मेरी कामवाली शकीला

नमस्कार मेरे मित्रगणों  और सुनाइए कैसे आप सब हम नए नए इस घर में आए थे। इस अपार्टमेंट  में मेरा कोई दोस्त नहीं था। स्कूल से आने के बाद मैं अकेला बैठ कर बोर होता रहता था। पापा सिर्फ सप्ताहांत पर घर आते थे और मम्मी शाम 5 बजे तक। कुछ ही दिनों में मम्मी ने काम करने के लिए एक नौकरानी रख लिया था जो कि पास ही के झुग्गी इलाके की थी। देखने में वो कुछ खास नहीं थी पर बहुत ही चुदकड़  थी। उसे देख कर अच्छे अच्छे का दिल डोल सकता था तो फिर मैं कौन था। वो हमेशा ढीले-ढाले कपड़े पहन कर आती थी और जब झुक कर कोई काम करती थी तो मेरा लंड तड़प कर रह जाता था। मोटी गांड वाली लड़कियों की बात ही कुछ और है.

 क्या गजब चुदकड़ अंदाज थी मैंने उसे पटाने की ठानी। मेरे स्कूल से आने के थोड़ी देर बाद ही वो आ जाती थी। अब मैं उस पर खास मेहरबान रहता था। मैं हमेशा उससे बात करने की कोशिश करता रहता था। जब भी मेरी और उसकी नज़रें मिलती, मैं मुस्कुरा देता था। धीरे धीरे वो मुझसे खुल कर बातें करने लगी। लड़किया क्युआ गजब चुदकड़ होती है दोस्तों.

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 मेरे मित्रगणों  क्या मॉल थी उसकी चुची पीकर मजा आ गया एक दिन मैं बैठा टीवी देख रहा था । तभी वो काम ख़त्म करके मेरे पास आई और बोली- देखो तनु, मैं जा रही हूँ।

मैंने कहा- अभी तो मम्मी आई भी नहीं हैं, थोड़ी देर बैठो और टीवी देखो।

 मै एक नंबर का आवारा चोदा पेली करने वाला  लड़का हु मुझे लड़किया चोदना अच्छा लगता है वो वहीं बैठ गई और टीवी देखने लगी । वो बहुत महीन कपड़े पहने हुए थी और गौर से देखने पर उसकी चूचियां दिखाई पर रही थी। मेरा लंड पैंट के अन्दर ही कसमसाने लगा। मैंने अपने पैर फैला दिए और इस तरह कर दिया जिससे मेरे पैर उसके पैरों को छूने लगें।.

 मेरे प्यारे दोस्तो चुची पिने का मजा ही कुछ और है तभी बिजली चली गई, मैंने कहा- चलो शकीला, बालकोनी में से सड़क पर देखते हैं।.

 ये कहानी पढ़ कर आपका लंड खड़ा नहीं हुआ तो बताना  लड खड़ा ही हो जायेगा  फिर हम दोनों उठ कर बालकोनी में आ गए। वो रेलिंग पर हाथ रख कर खड़ी थी। मैंने भी अपना हाथ हौले से उसके हाथ पर रखा और बगल में खड़ा हो गया। मेरा दिल बड़े जोर से धड़क रहा था लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।

मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने हल्के से उसके हाथ को दबाना शुरू किया, उसने एक बार मेरी तरफ देखा और मैंने मुस्कुरा दिया। इस पर उसने अपनी आँखें नीची कर ली। मैं समझ गया कि वो भी तैयार है।.

 मेरे मित्रगणों  चुत छोड़ने के बाद सुस्ती सी आ जाती है     मैं अब उससे सट कर खडा हो गया और अपना हाथ उसके कूल्हे पर रख दिया। दूर से देखने पर ऐसा लग रहा था कि जैसे हम सड़क पर कुछ देख रहे हैं। मैंने अपना हाथ धीरे से उसके कमीज़ के भीतर डाल दिया और उसकी चिकनी पीठ सहलाने लगा।.

वो धीरे से बोली- तनु अन्दर चलो यहां कोई देख लेगा।.

हम अन्दर आ गये और एक सोफे पर बैठ गए। मैंने एक हाथ से उसके सर को पकड़ा और अपने होंठ उसके होंटों पर रख दिए और चूसने लगा । कसम से उसके होंठ इतने रसीले थे कि जैसे कोई लॉलीपोप।.

 क्या बताऊ मेरे मित्रगणों   उसको देखकर किसी लैंड टाइट हो जाये शकीला ने अपनी आँखों को बंद कर लिया था। लगभग दस मिनट तक मैं उसके होंटों को चूसता रहा। फिर मैंने उसके कपड़े उतारना शुरू कर दिया। अब वो बिल्कुल नंगी थी और आँखें नीचे किये खड़ी थी। उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को देख मैं पागल हुआ जा रहा था। मैंने पहली बार किसी की नंगी चूचियां देखी थी। मैं किसी बच्चे की तरह उसकी चुचियों को चूसने लगा था। कभी मसल रहा था और शकीला अपनी होंठों को दांतों से दबाये सिसकारी ले रही थी। मेरे मित्रगणों  मने बहुत सी भाभियाँ चोद राखी है.

 मेरे मित्रगणों  क्या मलाई वाला माल लग रहा था     मैंने उसे सोफे पे लिटाया और अपने कपड़े भी उतार दिए। मेरा लंड बिल्कुल खड़ा हो चुका था। मैंने उसके पैरों को थोड़ा फैलाया और लंड के अगले मोटे भाग को उसकी झांट से भरी चूत पर रख कर एक जोर का धक्का दिया। मेरा लंड आधे तक अन्दर घुस गया। चुदाई की कहानी जरूर सुनना चाहिए मजे के लिए.

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शकीला के मुंह से एक दबी दबी सी सिसकारी निकली और उसने सोफे को कस कर पकड़ लिया। मैंने लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया और एक जोरदार धक्का फिर दिया और शकीला के मुंह से चीख सी निकल गई। मैं अब तेजी से धक्के लगा रहा था और शकीला भी चूतड़ उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रही थी और उसके मुंह से लगातार ओह…ओह…..आ अ अ अ……….इईईई …….. की आवाज़ें आ रही थी। मेरे मित्रगणों  एक बार स्कूल में चुदाई कर दिया बड़ा मजा आया.

 साथियो की पुराणी मॉल छोड़ने का मजा ही कुछ और है  उसे करीब दस मिनट तक चोदा और फिर उसकी चूत में ही झड़ गया। उसकी चूत से भी काफी पानी निकला। थोड़ी देर तक हम यूँ ही चूत में लंड डाल कर पड़े रहे। फिर उठ कर हम साथ साथ बाथरूम गए। बाथरूम से आने के बाद हमने अपने कपड़े पहने और फिर शकीला अपने घर चली गई और मैं अपने पहले सेक्स सम्बन्ध के बारे में सोच सोच कर रोमांचित हो रहा था। मेरे मित्रगणों  एक बार चोदते  चोदते  मेरा लंड घिस गया उह भाई साहब की माल है उसकी चुत की बात ही कुछ और है.

नवीन ने मालिश करने के बाद चोदा

नमस्कार मेरे मित्रगणों  और सुनाइए कैसे आप सब शादी कर के मुझे अभी केवल 6 महीने ही हुए थे और मेरे सारे अरमान ख़ाक में मिल चुके थे. मैंने एक जबरजस्त हैंडसम  के सपने देखे थे लेकिन पति की गोरी चमड़ी के निचे एक राजकुमारी रहती थी क्यूंकि वह पुरुष के शरीर में महिला का दिल थे. मुझे गे समाज से कोई गिला नहीं है, भगवन ने उन्हें ऐसा बनाया है वह क्या करे, लेकिन शादी कर के मेरी जिन्दगी भी तो ख़राब न करते. जिस हिम्मत से वह मुझे कह सकते है की तुम अपने लिए कुछ देख लेना मैं तुम्हारी चूत के लिए योग्य नहीं हूँ. मेरे उपर तो जैसे की आभ फटा था उस दिन…पर जैसे उपर वाले की मरजी, मैं इसे छोड़ भी नहीं सकती थी क्यूंकि मेरे घरवालो के उपर शरम का पहाड़ लदा था जो मेरी जिन्दगी से भी बड़ा था. मैंने कुछ दिन तक पति को चुदाई के लिए राजी करने की कोशिश की लेकिन एक दिन उस ने मुझे साफ़ कह दिया की वह चुदाई के लायक ही नहीं है, उसे केवल मर्द अच्छे लगते हैं. मैं मनोमन अपने चूत के लिए एक योग्य लंड की तलाश में लग गई. मोटी गांड वाली लड़कियों की बात ही कुछ और है. क्या गजब चुदकड़ अंदाज थी.

 लड़किया क्युआ गजब चुदकड़ होती है दोस्तों मेरी नजर तभी नवीन के उपर पड़ी, नवीन मेरे पति के साडी के शो रूम पर काम करता था और उसकी उम्र होंगी केवल 20, लेकिन वह एकदम तगड़ा और सशक्त था. उसके बाजू में मुझे वह दम लगा जो मेरी चूत को शांत कर सके. मैंने अब धीरे धीरे नवीन को लाइन देना चालू कर दिया. नवीन पहेले खचक रहा था लेकिन एकाद महीने में वह भी मुझे स्माइल देने लगा. एक दिन जब वोह घर पति का टिफिन लेने आया तो मैंने टिफिन पकडाते हुए उसके हाथ का लम्बा स्पर्श किया, उसने मेरी तरफ देखा और मैंने उसे आँख मारी. वह हंस पड़ा और चला गया. मैंने अपने पति को साफ़ कह दिया के मैं नवीन से चुदाई करवाउंगी. पति को इससे कोई एतराज नहीं था क्यूंकि उसे भी एक बच्चा चाहिए था जो उसके बस की बात नहीं थी. मैंने उसे कह दिया की जब मैं कहूँ वह नवीन को घर भेज दें बाकी मैं सब संभाल लुंगी. एक दिन सास, ससुर और मेरी जेठानी कोमल खरीदी के लिए बाजू के शहर जा रहे थे, मुझे भी जाना था लेकिन मैंने बीमारी का बहाना करके जाना केंसल कर दिया. मैंने दोपहर के 12 बजे पति को फोन किया की वह कुछ भी बहाना कर के नवीन को घर भेज दें. मेरे पति गुलशन ने कहाँ ठीक है. नवीन कुछ 15 मिनिट के बाद ही बेल बजा रहा था घर के बहार. मैंने उसे लुभाने के लिए पारदर्शक साडी, और काली ब्रा पहन रखी थी. मेरे मित्रगणों  क्या मॉल थी उसकी चुची पीकर मजा आ गया.

 मै एक नंबर का आवारा चोदा पेली करने वाला  लड़का हु मुझे लड़किया चोदना अच्छा लगता है नवीन को मैंने हस्ते हुए घर के अंदर लिया और उसने तुरंत पुछा मेडम साब ने बोला है की आप को कुछ काम है. मैंने कहाँ हां क्या आप मेरी मदद करोंगे. उसने कहा हां बोलिए ना. मैंने कहा गुलशन बता रहे थे की आप मोच वगेरह के लिए मसाज करते है. नवीन बोला हां मेडम वोह तो ऐसे ही कभी कभी दुकान पर कर देते है हम. मेरी चूत के अंदर चुदाई का कीड़ा सलवटे ले रहा था, मेरी नजर नवीन के तगड़े बाजुओ पर ही थी और मैं खुली आँखों से उन बाजुओ से कस के जकड़ कर चुदाई करवाने के सपने देख रही थी. नवीन बोला, बीबीजी आपको कहाँ मोच आई है, उसके बोलते ही मैं अपने चुदाई के दिन-स्वप्न से बहार आई. मैंने उसे कहा पहले आप चाय तो लो, मालिक का टेंशन मत लो, उनको मैंने बोला है की आप को देर भी हुई तो दिक्कत नहीं है. मैंने उसे ठंडा पानी और रूहअफज़ा पिलाया. नवीन को मैंने तिरछी नजर से देखा था आर वह मेरी गांड की तरफ नजरे गडाए हुआ था. उसके लंड को चूस कर मैं भी उससे चुदाई करवाना चाहती थी लेकिन अभी एकदम से नहीं कहे सकती थी के नवीन लाओ तुम्हारा लंड…..!मेरे प्यारे दोस्तो चुची पिने का मजा ही कुछ और है.

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 ये कहानी पढ़ कर आपका लंड खड़ा नहीं हुआ तो बताना  लड खड़ा ही हो जायेगा  ठंडा पिलाने के बाद मैंने नवीन को बेडरूम में बुलाया और मैं खुद पलंग के उपर उलटी लेट गई. मैंने साडी हटाई और उसको मेरी चिकनी कमर दिखाते हुए कहाँ यहाँ पर मोच आई है. मैंने उसे कमर के और गांड के बिच का हिस्सा दिखाया था. नवीन बोला ठीक है मेडम आप आँखे बंध करके लेटे रहें. वो पलंग के उपर चढ़ गया और उकडू बैठ गया. मैंने उसे कहाँ आप मेरे पाँव पर बैठ जाओना तो मुझे पैर के दर्द में भी राहत होगी. वोह मेरी गांड के थोड़े उपर पाँव के उपर बैठ कर मसाज करने लगा. मैं जानबूझ कर कराहने की एक्टिंग करने लगी. नवीन के घुटने मेरे जांघो को साइड से छू रहे थे. वोह मेरे कमर के निचले हिस्से को दबा रहा था और मुझे पुरुष स्पर्श से एक अलग ही नशा चढ़ रहा था. मैंने नवीन को कहा, और निचे…..!मेरे मित्रगणों  चुत छोड़ने के बाद सुस्ती सी आ जाती है    .

 क्या बताऊ मेरे मित्रगणों   उसको देखकर किसी लैंड टाइट हो जाये नवीन के हाथ लगभग मेरे कूलों को छू रहे थे और मैंने तभी उसे कहा, मजा आ रहा है..आपके हाथों में तो जान है नवीन. यह शायद नवीन को चुदाई के लिए उकसाने के लिए काफी था. वह मेरे कूलों के करीब अपना लंड ले आया, मुझे उसके लंड की गर्मी अपनी गांड पर महसूस हो रही थी. वो अभी भी कूलों के सिर्फ थोड़ी उपर मसाज कर रहा था. मैंने आँखे खोली और पलट के उसकी .तरफ देख के हंस दिया, नवीन पसीने में डूबा था. यह जवान इंडियन लड़का शायद पहेली बार किसी भाभी की गांड के इतने करीब पहुंचा था. मैंने जैसे उसकी तरफ देख हंस दिया उसकी हिम्मत खुलने लगी और वह लौड़े को और भी जोर से गांड के उपर गडाने लगा. नवीन बोला, मेडम आपकी साडी बिच में आ रही है इसलिए मसाज सही नहीं हो रहा, मैंने कहा उतार दो ना फिर. नवीन के हाथ मेरे पल्लू को हटाने लगे. उसने धीमे से पल्लू हटा दिया. अब में केवल ब्लाउज में उसके सामने पड़ी थी. मैंने आगे होते हुए कहा, नवीन ब्लाउज भी उतार दो ना मुझे कमर पे भी अच्छेवाला मसाज करवाना है. नवीन का लंड गांड को बेहद खुसी दे रहा था. उसने जैसे ही ब्लाउज उतारा मैंने बिना रुके उसके लंड को हाथ में भर लिया. मेरे मित्रगणों  मने बहुत सी भाभियाँ चोद राखी है.

 मेरे मित्रगणों  क्या मलाई वाला माल लग रहा था नवीन का लंड हाथ में लेते ही वह एंठने लगा और मैंने उसे कहा, नवीन मुझ से रहा नहीं जाता, प्लीज़ अपने कपडे उतार दो और मुझे भी नंगा कर दो. नवीन ने मेरे कपडे फट से उतारे और वह खुद भी पेंट और शर्ट निकाल के चड्डी में आ गया. मैंने अपने हाथ से उसकी लंगोट निकाली और उसके कड़े लंड की आँखों से ही चुदाई करने लगी. मेरी चूत एकदम गीली हो चुकी थी और मुझे चुदाई की एक तलब सी लगी पड़ी थी. मैंने उसके लंड को हाथ से तोला, बिलकुल जवान लंड था और मेरी चूत के लिए बिलकुल सही साइज़ था इसका. मैंने नवीन को पलंग की उपर लिटा दिया और खुद उसकी जांघो के बिच बैठ गई. नवीन अभी भी एंठ रहा था. मैंने अपना मुख चलाया और उसके लंड के सुपाडे को मुहं में दबाया. नवीन के मुहं से आह ओह निकलने लगा और मैं अब उसके लंड को क्रमश: और मुहंके अंदर घुसाने लगी. तक़रीबन आधे से ज्यादा लंड मुहं में घुसते ही वह जैसे की मेरे गले तक पहुँच चूका था और मुझ से और आगे लिया भी नहीं गया. मैंने लौड़े को मस्त चुसना चालू किया और नवीन लंड को मेरे मुहं में धकेलने लगा. मैंने उसके जांघ पर हाथ रख उसके झटको को अंकुशीत किया. नवीन भी चुदाई के लिए उत्सुक था बिलकुल मेरी तरह. नवीन मेरे चुंचे और गाल, कंधे पर हाथ फेर रहा था. मैं भी उसके हाथों का स्पर्श मस्त मजे से भोग रही थी. चुदाई की कहानी जरूर सुनना चाहिए मजे के लिए.

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 साथियो की पुराणी मॉल छोड़ने का मजा ही कुछ और है नवीन का लंड अब बिलकुल तन के लकड़े जैसा सख्त हो चूका था और मेरी चूत भी मस्त गीली हो चुकी थी, मैंने चुदाई करवाने के लिए नवीन का लंड मुहं से निकाला. नवीन भी चुदाई मारने को बेताब ही था. मैं अपनी टाँगे फैला के पलंग पर लेटी और नवीन लंड हाथ में लिए चूत के करीब पहुँचा. उसने अपना लंड मेरे चूत के समीप कर दिया. मैंने उसके लंड को अपने हाथ से पकड के चूत के ऊपर .सहलाया. क्या असीम सुख था चुदाई का जिस से मैं कितने दिन से विमुख थी. नवीन ने लंड अंदर थोडा धकेला और  अब सुनिए चुदाई की असली कहानी.

 मेरे मित्रगणों  एक बार चोदते  चोदते  मेरा लंड घिस गया  एंठ पड़ी, नवीन ने मेरे स्तन मेरे मुहं में भर लिए और वह लंड को चूत के अंदर धीमे धीमे धकेलने लगा. कुछ ही देर में उसका पूरा लंड मेरी चूत की तह तक पहुँच चूका, और फिर चालू हुई चुदाई की रेस. उसका लंड चूत से रेस में जितने के लिए अंदर बहार हो रहा था. और मेरी चूत लौड़े को अपने अंदर पूरा समा के उससे आगे होने की दौड़ में थी. लंड और चूत की रेस में कोई भी जीते, चुदाई जरुर अच्छी मिल रही थी हम दोनों को. नवीन के मस्तक पर पसीने की धार थी और मेरे पेट और सीने पर भी पसीना आया था. नवीन के झटके बढ़ते गए और साथ ही उसका एंठना भी. मैं भी मस्त हिल हिलके उसे ज्यादा से ज्यादा मजा देने की कोशिस कर रही थी. नवीन लंड को जैसे की चूत के अंदर से पीछे गांड के रस्ते निकालना हो वैसे तीव्र झटके दे रहा था. वहा का माहौल बहुत अच्छा था  मेरे मित्रगणों  .

मेरे मित्रगणों  उस लड़की मैंने चुत का खून निकल दिया नवीन के लंड से अब लावा बहने लगा और इस चुदाई के रस ने मेरी चूत को जैसे की पिगला दिया. मैंने नवीन को एकदम कस के जकड लिया और मेरे चुंचे उसकी छाती से चिपक गए. मैंने अपनी चूत टाईट कर के उसके लंड का सारा रस चूत के अंदर भर लिया. नवीन भी मुझे कमर से खिंच के और जकड़ने लगा. मैंने उसके होंठो से अपने होंठ लगाये और हम दोनों एक मिनिट तक एक लंबी लिप किस करने लगे. इसी बिच मेरी चूत भी तृप्त हो गई. नवीन ने जकड़ ढीली की और मैं आँखे बांध कर के वही लेटी रही. जब मैंने आँखे खोली नवीन अपने कपडे पहन चूका था, मैंने उससे ऊँगली से इशारा किया और वो जैसे झुका मैंने उसको कोलर पकड के अपनी तरफ खिंच के उसके होंठ पर दुबारा अपने होंठो से ताला लगा दिया. हम किस करते रहे….! मैंने उठ के उसे अपने पर्स से 500 का नोट दिया, वैसे भी पति के पैसे अच्छे काम में ही यूज़ करने थे ना. नवीन से मैंने उसका मोबाइल नम्बर ले लिया और उसे कह दिया की मैं उसे हफ्ते में एकाद बार बुलाऊंगी. वोह बोला,साहब…मैंने कहा साहब का टेंशन तू मुझ पे छोड़ दे. वहा जबरजस्त माल भी थी मेरे मित्रगणों.

मेरे मित्रगणों  चोदते चोदते चुत का भोसड़ा बन गया नवीन से चुदाई करवाते मुझे आज पुरे दो साल हो चुके है, उसका और मेरा एक बेटा भी है, जिसे मेरे पति ने समाज के लिए अपना बताया हुआ है. ऐसे माहौल कौन नहीं रहना चाहेगा मेरे मित्रगणों  मेरे मित्रगणों  एक बार मैंने अपने गांव के लड़की जबरजस्ती चोद दिया.

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