पड़ोसी आंटी की प्यासी चूत की हार्डकोर चुदाई

एक जवान लड़के की कहानी जो अपनी पड़ोस वाली ३७ साल की मोटी आंटी ऋतु को पिटाई से बचाने के बहाने उनकी चूत और गांड मारता है। गर्म किस, ब्लोजॉब और हार्डकोर चुदाई से भरी यह हिंदी सेक्स स्टोरी पढ़ें, जहां आंटी की प्यास बुझती है और मजा दोगुना होता है।

घर के सामने वाली आंटी का नाम ऋतु है। वो ज्यादा उम्र की नहीं है, बस ३७-३८ साल की होगी, लेकिन उनकी बॉडी ऐसी है कि देखते ही दिल धड़कने लगता है। थोड़ी सी मोटी हैं, लेकिन वो मोटापा उन्हें और भी सेक्सी बनाता है। उनका फिगर ३८-३८-४० का है – बड़े-बड़े ब्रेस्ट, मोटी कमर और भारी हिप्स जो चलते समय ऐसे हिलते हैं कि नजर हटाना मुश्किल हो जाता है। मैं तो हमेशा उनके घर जाने के बहाने ढूंढता रहता हूं, क्योंकि मैं उन्हें बहुत पसंद करता हूं। उनकी वो मुस्कान, वो नरम-नरम होंठ, और वो आंखें जो कभी-कभी मुझे ऐसे घूरती हैं जैसे कुछ कहना चाहती हों।

उनके पति प्रॉपर्टी का बिजनेस करते हैं, ज्यादातर बाहर रहते हैं, रात को देर से आते हैं और हमेशा नशे में धुत्त। कई बार तो वो आंटी की पिटाई भी करते हैं, जो मुझे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होता। जब रात को उनके घर से चीखें और झगड़े की आवाजें आती हैं, तो मेरा दिल करता है कि जाकर अंकल की जमकर धुनाई कर दूं। लेकिन मैं चुप रहता हूं, इंतजार करता हूं सही मौके का।

एक रात फिर वैसा ही हुआ। अंकल ने आंटी की बुरी तरह पिटाई की। अगले दिन सुबह जब अंकल काम पर चले गए, तो मैं उनके घर चला गया। दरवाजा खुला था, मैं अंदर गया तो देखा आंटी बेडरूम में लेटी हुई हैं। वो हमेशा सलवार-कमीज पहनती हैं, जो उनकी बॉडी को और हाइलाइट करता है। उनकी आंखें बंद थीं, और कमीज पेट के ऊपर तक सरक गई थी। उनकी नंगी कमर दिख रही थी – गोरी-गोरी चमड़ी, थोड़ी सी मोटी लेकिन इतनी सॉफ्ट लग रही थी कि छूने का मन कर रहा था। मैं वहां खड़ा होकर उन्हें घूरता रहा, मेरी नजर उनकी कमर पर पड़ी तो कुछ नीले-नीले निशान दिखे, जैसे किसी ने बेल्ट से मारा हो।

अचानक आंटी थोड़ा हिलीं, और उन्होंने मुझे देख लिया। वो झट से कमीज नीचे की और पूछा, “तुम कब आए? क्या चाहिए?”

मैंने कहा, “बस अभी-अभी आया हूं आंटी। आप सो रही थीं तो जगाया नहीं। कल रात आपके घर से फिर झगड़े की आवाजें आईं थीं, इसलिए चेक करने आया।”

ये सुनकर आंटी का चेहरा उदास हो गया, उन्होंने सिर नीचे कर लिया। मैंने आगे कहा, “आंटी, मैंने अभी आपकी कमर पर कुछ निशान देखे। क्या हुआ?”

वो खड़ी हो गईं और बोलीं, “कुछ नहीं बेटा, वो तो पुराने हैं, बचपन के।”

मैंने पूछा, “बचपन के? कैसे लगे थे?”

वो सोचने लगीं, लेकिन मैंने कहा, “नहीं आंटी, ये कल रात के हैं। मुझे पता है।”

उन्होंने फिर मना किया, “नहीं-नहीं, पुराने हैं।”

मैंने जिद की, “दिखाओ ना, मैं देखूं कि कितने पुराने हैं।”

वो मना करने लगीं, लेकिन मैंने उन्हें पकड़कर घुमा लिया और उनकी कमीज ऊपर उठाने लगा। वो रोकने की कोशिश कर रही थीं, “नहीं-नहीं, मत करो,” लेकिन मैं कहां मानने वाला था। मैंने कमीज ऊपर की तो देखा, पूरी पीठ पर बेल्ट के लाल-नीले निशान। मेरा खून खौल उठा।

मैंने पूछा, “ये बेल्ट के हैं ना? अंकल ने मारा?”

ये सुनकर आंटी रोने लगीं और सीधे मेरे गले लग गईं। उनकी बॉडी मेरे बदन से सट गई, उनके बड़े-बड़े ब्रेस्ट मेरे सीने से दब रहे थे। मुझे दया भी आ रही थी और मजा भी। इतने दिनों से मैं उन्हें अपनी बाहों में लेना चाहता था, आज वो खुद आ गईं। मैंने उन्हें कसकर पकड़ लिया, उनकी पीठ पर हाथ फेरने लगा।

फिर मैंने उन्हें सोफे पर बिठाया और पूछा, “आंटी, ये सब क्यों होता है? बताओ ना।”

वो और जोर से रोने लगीं। मैं उनके पास बैठ गया, उनका चेहरा हाथों में पकड़ा और कहा, “बताओ ना, मैं हूं ना आपके साथ।”

वो बोलीं, “क्या बताऊं बेटा, ये तो रोज का है। तुम्हें कैसे बताऊं?”

मैंने कहा, “आंटी, आप मुझ पर भरोसा कर सकती हैं। मैं किसी को नहीं बताऊंगा।”

वो थोड़ा हिचकिचाईं, फिर बोलीं, “तेरे अंकल हर रात देर से आते हैं, नशे में। फिर वो मेरी… मेरी चुदाई करते हैं, लेकिन बस दो-चार मिनट में झड़ जाते हैं। मैं जब कहती हूं कि ‘इतनी जल्दी हो गया’, तो गुस्से में मेरी पिटाई कर देते हैं। न तो वो मुझे संतुष्ट करते हैं, ऊपर से मारते हैं। अब तुम ही बताओ, मैं क्या करूं?”

ये सुनकर मैं स्तब्ध रह गया, लेकिन अंदर से खुश भी हुआ। आंटी फिर रोने लगीं। मैंने उन्हें फिर गले लगा लिया, उनकी कमर पर हाथ फेरते हुए कहा, “आंटी, अगर आप बुरा ना मानें तो इस काम में मैं आपकी मदद कर सकता हूं।”

वो मेरे सीने से सटी हुई पूछीं, “किस काम में?”

मैंने धीरे से कहा, “जो अंकल नहीं कर पाते। फिर आपको पिटाई भी नहीं झेलनी पड़ेगी।”

आंटी थोड़ा पीछे हटीं, लेकिन मेरी आंखों में देखते हुए बोलीं, “तुम तो मुझसे बहुत छोटे हो।”

मैंने कहा, “तो क्या हुआ आंटी? मैं आपको बहुत पसंद करता हूं। आप कितनी खूबसूरत हैं, आपकी ये बॉडी… मैं आपको खुश रख सकता हूं।”

उनकी पकड़ मेरे पर टाइट हो गई। मैंने उनकी कमर पर हाथ घुमाना शुरू किया, धीरे-धीरे नीचे की तरफ। उन्हें मजा आने लगा, वो सिहर उठीं। मेरी लाइन क्लियर थी। मैंने उनका चेहरा हाथों में लिया, उनकी आंखें बंद हो गईं। मैंने अपने होंठ उनके नरम-नरम होंठों पर रख दिए। वो मुझे कसकर पकड़ लीं और किस का जवाब देने लगीं – गहरा, पैशनेट किस। उनकी जीभ मेरी जीभ से खेल रही थी, जैसे सालों की प्यास बुझ रही हो।

मैंने उनके हिप्स पकड़कर दबाए, वो कराह उठीं। फिर मैंने उन्हें सोफे पर लिटा दिया और खुद उनके ऊपर लेट गया। उनके बड़े-बड़े ब्रेस्ट दबाने लगा, कमीज के ऊपर से ही। वो पूरी तरह मस्त हो गईं, उनकी सांसें तेज हो गईं। हम २० मिनट तक किस करते रहे, एक-दूसरे को छूते रहे। अचानक आंटी बोलीं, “रुको, दरवाजा बंद कर आती हूं। कोई आ गया तो?”

वो उठीं, दरवाजा बंद किया और वापस आईं। मैं फिर उन पर टूट पड़ा। मैंने उनकी कमीज उतारी, सलवार भी। वो पूरी नंगी हो गईं – उनकी गोरी बॉडी, बड़े ब्रेस्ट जिनके निप्पल्स सख्त हो चुके थे, और नीचे गीली हो चुकी चूत। उन्होंने मेरे कपड़े उतारे, मेरा लंड देखकर बोलीं, “हे भगवान, इतना बड़ा लंड! अंकल का तो आधा भी नहीं।”

मैंने हंसकर कहा, “आंटी, चिंता मत करो। ये पूरा तुम्हारी चूत में जाएगा, और तुम्हें मजा देगा।”

वो बोलीं, “आराम से करना, दर्द होगा।”

हम बेड पर लेट गए। फिर से किस शुरू। आंटी मेरे लंड से खेल रही थीं, उसे सहला रही थीं। मैं अपनी उंगली उनकी चूत में डालकर चोद रहा था, दूसरा हाथ उनकी चूची दबा रहा था। उनकी चूत पूरी गीली थी, रस बह रहा था। मैं उनकी चूचियां चूसने लगा, निप्पल्स काटने लगा। वो जोर-जोर से मेरा लंड हिला रही थीं, “आह… कितना हार्ड है तेरा।”

५ मिनट बाद उन्होंने मेरा लंड मुंह में ले लिया, लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं। उनकी जीभ मेरे लंड के टॉप पर घूम रही थी, मैं स्वर्ग में था।

फिर वो बोलीं, “बस अब नहीं सहा जाता। जल्दी डालो अंदर।”

मैं उनकी टांगों के बीच आया, ऊपर लेट गया। किस करते हुए उन्होंने मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत पर सेट किया। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, आधा लंड अंदर। वो चीखीं, “आह… धीरे!”

लेकिन मैं रुका नहीं, दूसरा धक्का – पूरा लंड उनकी टाइट चूत में। वो मुझे कसकर पकड़ लीं, “रुक जाओ थोड़ा।”

मैंने उनकी बात नहीं सुनी, धक्के मारने लगा – तेज-तेज। उनकी चूत इतनी गर्म और गीली थी कि मजा दोगुना हो रहा था। थोड़ी देर बाद वो भी कमर हिलाने लगीं, “हां… ऐसे ही… जोर से!”

वो बोलीं, “जल्दी करो, मैं झड़ने वाली हूं!”

मैंने स्पीड बढ़ाई, और वो झड़ गईं – उनका रस बहने लगा। वो खुश लग रही थीं, पहली बार संतुष्ट। फिर मैंने लंड निकाला, उन्हें डॉगी स्टाइल में किया। वो बेड के किनारे झुक गईं, उनके बड़े हिप्स मेरे सामने। मैं पीछे से डालने लगा, धक्के मारते हुए। उनकी गांड इतनी सेक्सी थी, मैंने उंगली डाली तो बोलीं, “नहीं, वहां मत!”

१५ मिनट बाद मैं झड़ने वाला था, मैंने गहराई तक डालकर अपना माल उनकी चूत में डाल दिया। उस दौरान वो दो बार और झड़ीं। मैं उनके ऊपर लेट गया, लंड अंदर ही। १५ मिनट बाद मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा।

आंटी बोलीं, “ये तो फिर रेडी हो रहा है! आज बस इतना, कल।”

मैंने कहा, “बस एक बार और प्लीज।”

वो पहले मना कीं, फिर मान गईं। इस बार मैंने उन्हें मिशनरी में चोदा, फिर डॉगी में, और आखिर में उनकी गांड भी मारी। पहले तो दर्द हुआ, लेकिन फिर मजा आने लगा। वो चीख रही थीं, “आह… इतना मजा कभी नहीं आया!” हम रात भर मजे करते रहे, अब वो मेरी हो चुकी थीं।

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