पहली बार गैर मर्द के साथ से चुदाई-1

पढ़िए रुबीना की सच्ची कहानी का पहला भाग, जहां शादीशुदा होने के बावजूद पड़ोसी अंकल के साथ पहली बार सेक्स का अनुभव हुआ। पति की जॉब बचाने के लिए शुरू हुई ये गुप्त संबंध की उत्तेजक हिंदी सेक्स स्टोरी, जिसमें कामुकता और सहमति की परतें हैं।

मेरा नाम रुबीना है, लोग मुझे रूबी कहकर पुकारते हैं। मैं शादीशुदा हूँ और मेरे हसबैंड का नाम जसीम है। ये बात अब से कोई चार साल पहले की है, जब मेरी शादी को एक साल और छह महीने हुए थे। मेरे हसबैंड की ख्वाहिश थी कि दो साल बाद बच्चा होना चाहिए, इस वजह से मेरी कोई औलाद नहीं थी। मेरे हसबैंड की बहुत अच्छी जॉब थी, हम दोनों बहुत खुश थे। हम लोग अपार्टमेंट के पेंटहाउस में रहते हैं। हमारे सामने वाले पेंटहाउस में पाँच रूम हैं, जबकि हमारे में चार। हर दो पेंटहाउस के कॉरिडोर में एक कॉमन डोर है, मतलब मेरे और सामने वालों के अलावा कोई और दाखिल नहीं हो सकता था। सामने वाले घर में अंकल, उनकी बीवी और एक बेटा था। अंकल (नाम जानबूझकर नहीं लिख रही हूँ) करीब 48 साल के सरकारी ऑफिसर थे। अंकल का बेटा मुल्क से बाहर स्टडी के लिए गया हुआ था।

शादी के बाद कोई चार महीने पहले तक मेरे हसबैंड की जॉब बहुत अच्छी चल रही थी, लेकिन चार महीने पहले एक केस की वजह से उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। इस वजह से घर में कुछ माली परेशानियाँ शुरू हो गईं। कभी-कभी जरूरत पड़ने पर सामने वाली आंटी से लेन-देन कर लेती थी। एक दिन दोपहर के वक्त जरूरत के तहत मैंने आंटी से 500 रुपये उधार मांगे, तो उन्होंने कहा कि तुम्हारे अंकल आ जाएं, उनसे लेकर देती हूँ। मैंने कहा ठीक है। इत्तेफाकन आंटी को अपने एक भतीजे के साथ अपने भाई के घर दो दिनों के लिए हैदराबाद जाना पड़ा। जाते हुए उन्होंने मुझे बताया कि तुम्हारे अंकल को मैं कह दिया है, वो तुम्हें रुपये दे देंगे। मैंने कहा अच्छा, और अपने घर के काम में लग गई। शाम 7 बजे डोर बेल बजी, तो दरवाजा खोला तो सामने अंकल खड़े थे। मैंने सलाम किया और अंदर आने को कहा, तो उन्होंने कहा नहीं अब नहीं, फिर किसी दिन तुम्हारे घर आऊंगा। ये कहकर अपना वॉलेट निकाला, उसमें से 500 का एक नोट निकालकर मेरे हाथ में थमा दिया। रुपये थमाते हुए उन्होंने मेरे हाथ को हल्का सा दबाया और सहलाते हुए कहने लगे, “मजेद जरूरत हो तो मुझे बता देना।” मैंने कहा जी अच्छा, और वो चले गए।

उनकी इस हरकत पर मेरे जिस्म में एक बिजली सी दौड़ गई। मैं समझी कि शायद पहली बार किसी गैर ने मेरे हाथ पकड़ा है, इसलिए ऐसा हुआ। लेकिन कहीं अंदर-अंदर एक अजीब सी उत्तेजना भी महसूस हुई। मैंने उसे इग्नोर करने की कोशिश की। एक दिन आंटी ने मुझसे कहा कि आज शाम अंकल ने तुम्हें बुलाया है। मैंने पूछा क्यों, तो उन्होंने बताया कि मेरे हसबैंड की जॉब के सिलसिले में। मैंने कहा ठीक है, मैं आ जाऊंगी। रात 8 बजे मैं अंकल के घर गई, तो आंटी टीवी लाउंज में टीवी देख रही थीं। मुझे देखकर उन्होंने अंकल को आवाज दी, जिस पर अंकल ने कहा मुझे उनके स्टडी रूम में भेज दो। मैं अंकल के रूम पहुंची, तो वो लुंगी और बनियान पहने हुए कंप्यूटर पर कुछ देख रहे थे। मुझे अपने पास बिठाया और मेरे हसबैंड के ऑफिस की डिटेल्स पूछीं, जो मुझे मालूम थीं, बता दीं। उस पर उन्होंने कहा कि उनकी मेरे हसबैंड के ऑफिस के डायरेक्टर जनरल से दोस्ती है, वो उनसे कहकर मसला हल करा देंगे। मैंने कहा अच्छा। कुछ देर घर के खर्च की बातें करने के बाद मैंने इजाजत चाही, तो उन्होंने एक मिनट का कहा। वो रूम से बाहर चले गए।

मैंने कंप्यूटर की तरफ देखा, तो स्क्रीन पर बड़ा सेक्सी मंजर चल रहा था। उसमें एक काला आदमी एक गोरी औरत की चुदाई कर रहा था। मैं उस मंजर में ऐसी खोई कि पता ही नहीं चला कब अंकल मेरे पीछे आकर खड़े हो गए। जब आदमी डिस्चार्ज हो गया, अंकल ने पीछे से आवाज दी, “तुम्हें पसंद आई?” मैं चौंककर पलटी और शर्म से सिर नीचे कर लिया। मैं वहां से भागना चाहती थी, लेकिन मेरे रास्ते में अंकल खड़े थे। उन्होंने मेरी ये हालत देखी, तो कहा, “अगर तुम्हारे हसबैंड को पता चल जाए कि तुमने मेरे साथ ब्लू फिल्म देखी है, तो क्या होगा?” ये सुनकर मेरे पसीने छूट गए और थर-थर कांपने लगी। तो अंकल ने आगे बढ़कर मुझे दोनों बाजुओं से पकड़ा और कहा, “डरो नहीं, मैं नहीं बताऊंगा।” मुझे उनके ये कहने से कुछ इत्मीनान हुआ। फिर उन्होंने अपने हाथ में पकड़े हुए 1000 रुपये मुझे देने की कोशिश की। मैंने मना किया, तो वो जबरदस्ती करके मेरे हाथ में पकड़ा दिए। इस दौरान उनका हाथ मेरे बूब्स से टकराया। मैं जाने लगी, तो मुझे से अंकल मेरा हाथ पकड़ते हुए पूछा कि पहली दफा सेक्सी फिल्म देखी है? मैंने शर्मा कर बोली जी। उसके बाद उन्होंने पूछा कैसी लगी, मैं खामोश रही, तो वो बोले मैं तुम्हारा हाथ उस वक्त तक नहीं छोड़ूंगा जब तक बताओगी नहीं। तो मजबूरन बोली अच्छी लगी। अंकल ने बताया कि ये दोनों (काला मर्द और गोरी औरत) मियां-बीवी नहीं बल्कि पड़ोसी हैं। मैंने पूछा अब मैं जाऊं? तो उन्होंने कहा दिल तो नहीं चाह रहा, लेकिन तुम जाओ। किसी चीज की जरूरत हो मुझे बता देना। ये कहते हुए उन्होंने मेरे हिप पर हाथ फेरते हुए हल्के से दबाया, जिससे मुझमें सनसनाहट की लहर दौड़ गई। मैं उछल गई। जिस पर मैंने एहतेजाज करने के लिए कुछ बोलना चाहा, तो उन्होंने मेरे मुंह पर अपना एक हाथ रख दिया और कहा, “शोर मचाने से तुम्हारी बदनामी होगी। अपार्टमेंट में तुम्हारा रहना मुश्किल हो जाएगा और तुम्हारा हसबैंड भी शक करेगा तुम पर। खामोशी में तुम्हारा माली फायदा भी होगा और तुम्हारे हसबैंड को नौकरी पर बहाल कर दूंगा।”

फिर उन्होंने हाथों से मेरे बूब्स को दबाने लगे। मैंने जोर लगाया छुड़ाने के लिए, लेकिन उनकी गिरफ्त बहुत मजबूत थी। 2 मिनट के बाद उन्होंने मेरे बूब्स छोड़ कर अचानक अपने दोनों हाथों से मेरे चेहरे को थामा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मैं बहुत कसमसाई, मगर बेबस रही। 1 मिनट बाद उन्होंने मुझे छोड़ा। कहा कि अपना सेल नंबर उन्हें दूं ताकि वो मुझसे राब्ता फोन पर रख सकें। मैंने कल का बहाना किया और जल्दी से अपने घर आ गई। मेरी सांसें फूल रही थीं। कुछ देर बाद मेरे हसबैंड भी बाहर से आ गए, तो मैंने खाना लगाया। खाना खाने के दौरान मैंने अपने हसबैंड से कहा कि अंकल ने आपके केस के सिलसिले में बुलाया था, उन्हें मैंने आपका केस समझा दिया है। वो एक-दो रोज में आपके डायरेक्टर से बात करेंगे। ये सुनकर मेरे हसबैंड खुश हुए और कहने लगे अंकल का शुक्रिया अदा करना। जिस पर मैंने कहा कि काम हो जाए तो उनकी दावत कर दूंगी। वो बोले ये ठीक रहेगा।


दो दिन गुजर गए, मैंने अंकल से मुलाकात नहीं की। तीसरे दिन आंटी ने आकर बताया कि आज तुम्हारे अंकल कोई अच्छी खबर तुम्हें सुनाएंगे, इसलिए तुम 8 बजे उनसे मिलना जरूर। मैंने कहा अच्छा। फिर मैंने उन्हें चाय पिलाई, कुछ देर बैठने के बाद वो चली गईं। मेरे हसबैंड घर पर ही थे, उन्होंने आंटी की बात सुन ली थी। आंटी के जाने के बाद वो बोले कि अंकल से मिलना जरूर। मैंने कहा आप भी चलना, तो वो कहने लगे कि पहले आप मिलो, फिर जब वो मुझे बोलाएंगे तो मैं मिल लूंगा। मैंने कहा ठीक है। शाम 6 बजे मेरे हसबैंड के ऑफिस से 2 दोस्त आए और उन्होंने बताया कि आज डायरेक्टर साहब ने तुम्हारी (हसबैंड की) फाइल मंगवाई है, इसलिए कल तुम ऑफिस जरूर आना। जिससे मेरे हसबैंड बहुत खुश हुए और कहा जरूर आऊंगा। वो लोग कुछ देर बैठने के बाद चले गए। उनके जाने के आधे घंटे बाद मेरे हसबैंड भी चले गए ये कहकर कि रात शायद देर हो जाए। मैंने टाइम पूछा कि कब तक वापसी होगी, तो बोले कि 11 से 12 बज सकते हैं।

हसबैंड के जाने के बाद मैंने जो घर के जरूरी काम थे निपटाए। उसके बाद मैं वक्त से 15 मिनट पहले ही अंकल से मिलने चली गई। डोर खुलने पर अंकल ही आए। उन्होंने मुझे देखते ही मुस्कुराते हुए अपना हाथ मेरी तरफ शेकहैंड के लिए बढ़ा दिया। मैं अभी हैरानी के आलम में थी कि अंकल ने जबरदस्ती मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर किस कर लिया। मेरे पूरे जिस्म में सनसनाहट सी दौड़ गई और मैंने झटके से अपना हाथ खींच लिया। जिस पर वो बोले क्या हुआ? मैंने कहा ये क्या हरकत थी, अगर कोई देख लेता तो। उन्होंने कहा कि कौन देख सकता है सिवाए मेरी बीवी के और वो इस वक्त अपने बेटे का फोन सुन रही हैं, वो यहां आ नहीं सकती। बाहर वालों को कुछ उस वक्त तक नजर नहीं आ सकता जब तक कॉरिडोर का मेन डोर ना खुले। मैंने पूछा क्यों बुलाया था? तो कहने लगे अंदर आओ फिर बताऊंगा। मैं उनके साथ उनके स्टडी रूम में चली गई। अंदर पहुंचते ही अंकल ने शिकवा किया कि मैंने उन्हें सेल नंबर नहीं दिया। मैं बहाने करने लगी, तो उन्होंने फौरन अपने मोबाइल से मेरा सेल नंबर मुझे सुनाया। मैं हैरान रह गई। वो कहने लगे कि जिस वक्त मैंने तुमसे नंबर मांगा था, उस वक्त भी ये नंबर मेरे पास था, लेकिन मैंने ये देखने के लिए कि तुम्हें मुझ पर एतबार है या नहीं।


मैंने उनसे कहा कि मैं आंटी को सलाम करके आती हूँ। उन्होंने कहा जल्दी आना, कुछ जरूरी बात करनी है। मैंने अभी आई और ये कहकर आंटी को सलाम करने उनके टीवी लाउंज में गई। उन्होंने फोन पर बात खत्म ही की थी। मैंने उन्हें सलाम किया, उन्होंने सलाम के जवाब में दुआ दी। फिर कहने लगी अंकल से मिली? मैंने कहा जी, दरवाजा उन्होंने खोला था, मैं सीधी आपको सलाम करने आ गई हूँ, अब अंकल के पास जा रही हूँ। उन्होंने कहा कि तुम अंकल से बातें करो, मैं टीवी पर ड्रामा देखती हूँ। जब वहां से फारिग हो तो खाना हमारे साथ खाना। मुझे पता है तुम्हारे हसबैंड आज बाहर खाना खाकर आएंगे। जी अच्छा मैंने कहा और अंकल के पास गई। अंकल ने मुझे देखते ही फौरन कहा कि तुम्हारे हसबैंड का केस बहुत खराब है, लेकिन वो (डायरेक्टर साहब) मेरी वजह से संभाल लेंगे। मैंने उनका शुक्रिया अदा किया, तो वो बोले शुक्रिए से काम नहीं होगा। मैंने पूछा फिर? तो उन्होंने साफ कहा कि तुम्हारी आंटी में अब मजा नहीं आता। तुम अगर मेरे साथ कोऑपरेट करो तो मैं तुम्हारी माली मुश्किलात में हेल्प करता रहूंगा और किसी को बताऊंगा भी नहीं।

मैं उनकी बातें सुनकर सोच में पड़ गई कि अगर मैं इन्हें मना करती हूँ तो मेरे हसबैंड की नौकरी खतरे में पड़ जाएगी और अगर एग्री करती हूँ तो बदनामी का डर। मुझे खामोश देखकर उन्होंने अंदाजा लगा लिया कि मैं किस कशमकश में हूँ। तो वो फौरन बोले सोच लो, एक तरफ हसबैंड की जॉब और मंथली माली फायदा है, दूसरी तरफ… उन्होंने जुमला अधूरा छोड़ दिया। मैंने कहा कि अच्छा मुझे सोचने का मौका दें। उन्होंने कल तक का टाइम दिया और कहा कि आज वेडनेसडे है, कल शाम को तुम मुझे मिसकॉल देना, मैं समझ जाऊंगा कि तुम राजी हो। फ्राइडे को तुम्हारे हसबैंड की सर्विस बहाल हो जाएगी। फिर मैं घर आ गई। कुछ देर बाद बेल बजी, डोर पर आंटी थीं। वो मुझे खाने पर बुलाने आई थीं। मैं उनके साथ जाकर खाना खाया, फिर घर आ गई। और रात सोते-जागते गुजारी कि हसबैंड से बेवफाई कैसे करूं। एक खयाल फौरन आता कि ये बेवफाई नहीं, कुरबानी है हसबैंड की सर्विस के लिए। खैर जैसे-तैसे सुबह हुई। नाश्ते पर मेरे हसबैंड ने पूछा कि रात सोई नहीं हो क्या? मैंने कहा हाँ, रात नींद नहीं आई। कुछ देर बाद वो ऑफिस का कहकर चले गए और मैं घर के काम में लग गई। आगे की कहानी जारी है आगले भाग में।

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