मासूम गौरी चचेरे भाई के साथ की पहली चुदाई

मासूम गौरी की सेक्स की दुनिया में एंट्री की रोमांचक कहानी, जहां वो मम्मी-पापा को चोदते देखकर उत्तेजित होती है और चचेरे भाई चीकू के साथ अपनी कुंवारी चूत और गांड की चुदाई का मजा लेती है। पढ़िए ये हॉट हिंदी सेक्स स्टोरी जो वासना और मासूमियत का मिश्रण है, पहली बार के दर्द और आनंद से भरी हुई।

मैं घर में एकलौती बेटी हूँ, और लाड़-प्यार ने मुझे इतना जिद्दी बना दिया कि हर बात पर अपनी चलाती हूँ। बोलते वक्त भी मैं थोड़ा तुतलाती हूँ, जैसे कोई बच्ची। सेक्स के बारे में मुझे ज्यादा कुछ पता नहीं था। हाँ, कॉलेज तक पहुँचते-पहुँचते चूत और लंड के बारे में थोड़ा-बहुत सुन लिया था। माहवारी की वजह से चूत के बारे में तो पता था, लेकिन कभी मन में सेक्स की कोई हलचल नहीं हुई। लड़कों से मैं बेझिझक बातें करती थी, जैसे कोई दोस्त। लेकिन एक दिन तो मुझे सब पता चलना ही था, वो दिन जो मेरी जिंदगी बदल देगा।

उस रात मैंने अपना टीवी बंद किया ही था कि मम्मी-पापा के कमरे से एक अजीब-सी आवाज आई। जैसे कोई कराह रहा हो, लेकिन खुशी से। मैं बाहर निकली और उनके कमरे की तरफ देखा। लाइट जल रही थी, लेकिन दरवाजा हर तरफ से बंद। मैं वापस अपने कमरे में आ गई, लेकिन वो आवाज फिर सुनाई दी। मेरी नजर कमरे से लगे हुए उस दरवाजे पर पड़ी, जो दीवार में था। मैंने पर्दा हटाया तो नीचे एक छोटा-सा छेद नजर आया। मैं झुककर उसमें से झांकने लगी। अंदर का नजारा देखकर मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। मम्मी और पापा दोनों नंगे थे, और कुछ ऐसा कर रहे थे जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था।

मैंने जल्दी से अपने कमरे की लाइट बंद की और फिर छेद से झांकने लगी। पापा के चमकदार, गोल-गोल चूतड़ साफ नजर आ रहे थे। उनकी वो सू-सू, जो इतनी बड़ी और तनी हुई थी, जैसे कोई हथियार। पापा के चूतड़ कितने सेक्सी थे, उनका नंगा बदन बिलकुल किसी हीरो जैसा… नहीं, ही-मैन… या सुपरमैन की तरह। मैं तो पहली नजर में ही पापा पर फिदा हो गई। उनकी सू-सू मम्मी के चूतड़ों के बीच घुसी हुई लग रही थी। पापा बार-बार मम्मी के बोबे दबा रहे थे, मसल रहे थे, जैसे कोई नरम रोटी गूंथ रहे हों। मुझे कुछ समझ नहीं आया, लेकिन देखते रहने का मन कर रहा था। मम्मी को इसमें इतना मजा आ रहा था, उनकी सिसकारियाँ सुनकर मेरे शरीर में कुछ अजीब-सी हलचल हुई। पापा भी पसीने से तर, लेकिन जोश में भरे हुए। कुछ देर तक मैं बस झुककर देखती रही, फिर बिस्तर पर लेट गई। सुना था कि सू-सू लड़कियों की सू-सू में जाती है, लेकिन ये तो चूतड़ों के बीच थी। मैं कन्फ्यूज होकर सो गई।

अगले दिन मेरा चचेरा भाई चीकू आ गया। वो मेरी ही उम्र का था, जवान और स्मार्ट। उसका पलंग मेरे कमरे में ही दूसरी तरफ लगा दिया गया। सेक्स के मामले में मैं अब भी मासूम थी, लेकिन चीकू सब जानता था, शायद लड़कों की तरह। रात को हम दोनों मोबाइल पर गेम खेल रहे थे, तभी फिर वो ही आवाज सुनाई दी। चीकू किसी काम से बाहर गया था। मैं दौड़कर पर्दा हटाया और छेद में आँख लगा दी। पापा मम्मी के ऊपर चढ़े हुए थे, अपने चूतड़ आगे-पीछे करके रगड़ रहे थे। मम्मी की सिसकारियाँ और पापा का जोश देखकर मेरी साँसें तेज हो गईं। तभी चीकू आ गया।

“क्या कर रही है गौरी?” चीकू ने धीरे से पूछा।

“शश… चुप! आजा देख, अंदर मम्मी-पापा क्या कर रहे हैं?” मैंने मासूमियत से कहा।

“हट जरा,让我 देखूँ!” और चीकू ने छेद पर आँख लगा दी। उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई, जैसे मजा आ रहा हो।

“गौरी, ये तो मजे ले रहे हैं… सेक्स कर रहे हैं!” चीकू उत्सुकता से बोला।

उसके पजामे में उसके चूतड़ पापा जैसे गोल-गोल दिख रहे थे। अनजाने में मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर चले गए और सहलाने लगे। कितने सॉफ्ट और सेक्सी थे।

“अरे हट, क्या कर रही है?” उसने बिना मुड़े कहा, लेकिन छेद से नजर नहीं हटाई।

“ये बिलकुल पापा जैसे गोल-गोल मस्त हैं ना!” मैंने फिर हाथ फेरा। अब हाथ नीचे ले जाकर पजामे में से उसका लंड पकड़ लिया। वो तो इतना कड़ा और तना हुआ था!

“चीकू, ये तो पापा की सू-सू जैसा सीधा है!” मैंने कहा।

वो उछल पड़ा, “तू ये क्या करने लगी? हट यहां से!” लेकिन उसका लंड तंबू की तरह उठा हुआ था।

मैंने फिर भोलेपन में पकड़ लिया, “पापा का भी ऐसा ही मस्त है ना?”

इस बार वो मुस्कराया, “तुझे ये अच्छा लगता है? तू भी सेक्सी है गौरी।”

“हाँ, तुम तो पापा जैसे सुपरमैन हो! देखा नहीं पापा क्या कर रहे थे? मम्मी को कितना मजा आ रहा था। ऐसे करने से मजा आता है क्या?”

मेरा भोलापन देखकर उसका लंड और कड़क हो गया। “आजा, बिस्तर पर चल। एक-एक करके सब बताता हूँ।”

हम बिस्तर पर बैठ गए। उसका लंड तना हुआ था। “इसे पकड़कर सहला,” उसने इशारा किया।

मैंने बड़ी उत्सुकता से देखा और लंड पकड़कर सहलाने लगी। उसके मुँह से सिसकारी निकली, “आह… हाँ, ऐसे।”

“मजा आ रहा है भैया?” मैंने पूछा।

उसने हाँ में सिर हिलाया, “अब मैं तेरी ये सहलाता हूँ, तुझे भी मजा आएगा।” उसने मेरी चूचियों की तरफ इशारा किया।

मैंने सीना बाहर उभार दिया। मेरी छोटी-छोटी चूचियाँ और निप्पल बाहर से दिखने लगे। उसने धीरे से हाथ रखा और दबाया। मेरे शरीर में电流 सी दौड़ी, जैसे कोई मीठी लहर। अब उसके हाथ मेरी चूचियों को मसल रहे थे, निप्पल घुमा रहे थे। मेरे मुँह से “आह…” निकल गई।

“भैया, इसमें तो बड़ा मजा आता है!”

“तो मम्मी-पापा यूँ ही थोड़े कर रहे हैं? मजा आएगा तभी तो करेंगे।”

“पर पापा मम्मी के साथ पीछे से सू-सू घुसाकर क्या कर रहे थे? उसमें भी मजा?”

“अरे बहुत मजा आता है, रुक जा। अभी हम भी करेंगे।”

“देखो, पापा ने मेरे में नहीं घुसाई। बड़े खराब हैं!”

“ओहो, चुप। पापा तेरे साथ नहीं कर सकते। हाँ, मैं हूँ ना!”

“क्या? तुझे आता है? ठीक है!”

“अब मेरे लंड को पजामे के अंदर से पकड़ और जोर से हिला।”

“क्या लंड? ये तो सू-सू है। लंड तो गाली है ना?”

“नहीं, सू-सू का नाम लंड है, और तेरी सू-सू को चूत कहते हैं।”

मैं हँस पड़ी। मैंने पजामा का नाड़ा खोला, नीचे किया और उसका तन्नाया लंड पकड़कर दबाया, ऊपर-नीचे करने लगी। वो सिसकारियाँ भर रहा था, “आह… जोर से… हाँ!”

“गौरी, मुझे अपने होंठों पर किस करने दे।”

उसने चेहरा सटाया और पागलों की तरह चूमने लगा। जीभ अंदर डालकर चूसने लगा। उसने मेरा पजामा भी ढीला किया और हाथ अंदर घुसा दिया। हाथ मेरी चूत पर आया। मेरा बदन काँप उठा, जैसे कोई मीठी आग लग गई। चूत गीली होने लगी, लेकिन मुझे पता नहीं था। ऐसा लग रहा था कि वो मेरे अंदर समा जाए, पापा की तरह लंड घुसा दे।

उसने जोश में मुझे बिस्तर पर धक्का देकर लिटा दिया और मेरे बदन को बुरी तरह दबाने लगा। चूचियाँ मसल रहा था, गर्दन चूम रहा था। मैंने उसका लंड नहीं छोड़ा। अब मेरा पजामा उतर चुका था। चूत पानी छोड़ रही थी, तैयार थी चुदने को। मेरा बदन लंड के लिए मचल रहा था।

अचानक चीकू ने मेरे हाथ फैलाकर पकड़े और बोला, “गौरी, मस्ती लेनी हो तो टाँगें फैला दे।”

मुझे स्वर्ग जैसा मजा आ रहा था। मैंने टाँगें खोल दीं, चूत खुल गई। चीकू ऊपर झुक गया, होंठ दबा लिए। उसका लंड चूत के द्वार पर ठोकर मार रहा था। चूतड़ों ने जोर लगाया, लंड अटक गया। मेरे मुँह से चीख निकली, लेकिन दब गई। उसने और जोर लगाया, लंड चार इंच अंदर घुस गया। दर्द से मैं तड़पी, लेकिन वो रुका नहीं। फिर धक्का मारा, झिल्ली फट गई, लंड पूरा अंदर। आँखों से आँसू निकले।

वो बिना रुके लंड चलाने लगा। मैं दबी हुई कसमसा रही थी, चुद रही थी। कुछ देर में दर्द कम हुआ, मीठी कसक आने लगी। चीकू पसीने से तर, लेकिन जोश में। अब धक्कों से मजा आने लगा। चूत चिकनी हो गई। उसने हाथ छोड़े, मैं सिसकारियाँ भरने लगी।

मेरा बदन वासना से भर गया। हर अंग मसले जाने को बेताब। मुझे पता चला कि मम्मी-पापा यही मजा लेते हैं। लेकिन पापा मुझे क्यों नहीं देते? कुछ देर में चीकू चिपक गया, वीर्य छूट गया। लंड बाहर निकाला, चूत पर दबाया। सफेद-सफेद निकल रहा था। लेकिन मैं नहीं झड़ी थी, उत्तेजना बाकी थी।

“कैसा लगा गौरी? चुदने में मजा आता है ना?”

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“बहुत लगती है भैया! आह… ये क्या? खून?”

“पहली चुदाई का है, अब नहीं निकलेगा। बस मजा आएगा।”

मैं चूत धोकर आई, चादर साफ की। वो सो गया, लेकिन मेरी आग नहीं बुझी। रात को मैं उसके बिस्तर पर चढ़ गई। “भैया, मुझे अभी और चोदो। पापा जैसे जोर से!”

“मतलब गांड मरवाना है?”

“छी, गंदी बात! चलो, मैंने पजामा उतारा और गांड चौड़ी करके खड़ी हो गई।”

चीकू क्रीम लाया, गांड में लगाई। “गांड ढीली रखना, नहीं तो दर्द होगा।”

लंड छेद पर लगाया, जोर लगाया। गांड कस गई, फिर ढीली। लंड घुस पड़ा। हल्का दर्द, लेकिन चिकनाई से आराम। पूरा घुस गया।

“हाय… पूरा घुस गया ना, पापा की तरह?”

“हाँ गौरी, अब धक्के मारता हूँ।”

धक्के शुरू, दर्द हुआ लेकिन रोमांच था। लेकिन चूत चू रही थी। “चीकू, चूत चोद दे यार!”

उसने लंड चूत में टिकाया, इस बार आसानी से घुस गया। कोई दर्द नहीं, बस मीठा कसक। “आह… जोर से चोदो!”

वो जमकर चोदने लगा। मम्मी इतना मजा लेती हैं, मुझे क्यों नहीं बताती? मैंने चूत उभारी, चूतड़ उछाल-उछालकर चुदवाने लगी। चूत लबरेज थी। सटासट धक्के। अचानक चूत में आग भरी, मैं सहन नहीं कर पाई। चूत मचक उठी, पानी छूट गया। झड़ना इतना आनंददायक!

तभी चीकू का भी छूट गया, लंड बाहर निकालकर झड़ता रहा। सुकून मिला।

“चीकू, मजा आ गया! अब रोज करेंगे।”

“हाँ गौरी, मेरी मासूम सेक्सी गौरी। लेकिन किसी को मत बताना, वरना बंद हो जाएगा।”

“तुम भी मत बताना। रोज मस्ती मारेंगे!”

हम दोनों प्लान बनाने लगे, आगे की रातों के लिए। अब मैं मासूम नहीं रही, चुदाई की दीवानी हो गई।

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