हेल्लो दोस्तों, अब आगे की कहानी पढ़िए!
सिम्मी ने डरते हुए पर अनिवार्य को स्वीकारते हुए कालिया का तगड़ा चिकना लण्ड अपने हाथ में लिया और उसे स्त्री सहज कर्तव्य भावना से सहलाने लगी।
उसके सहलाने में प्यार कम और भय ज्यादा था। कालिया के लण्ड को अपनी चूत के छिद्र में घुसने में जितनी ज्यादा देर लगे उतना अच्छा यह सोच कर सिम्मी कालिया के लण्ड को सहलाये जा रही थी। अब यही लण्ड उसकी चूत में जाना था।
वह कैसे घुसेगा यह चिंता सिम्मी को खाये जा रही थी। उसे मन ही मन में यह डर था की कहीं उस रात की चुदाई के बाद वह ज़िंदा नहीं बचेगी। जब कालिया उसकी चूत में लण्ड डालेगा तो उसका क्या हाल होगा वह भगवान ही जाने।
पर जो होना है वह तो होना ही है। यह सत्य सिम्मी समझ चुकी थी। उसे कालिया का लण्ड अपनी चूत में डलवाना ही था। सिम्मी की कई सहेलियों काफी अनुभवी भी थीं। उनमें से एक ने एक बार सिम्मी से कहा था की अगर मर्द का मोटा लण्ड हो तो उस को डलवाने में शुरू में दर्द होता है, पर बाद में मजा भी खूब आता है।
वह सहेली तो बल्कि यह कह रही थी की मोटा तगड़ा लण्ड बड़ी मुश्किल से मिलता है। अगर एक बार तगड़े लण्ड से चुदाई हो गयी तो फिर उसे दुसरा लण्ड भायेगा ही नहीं। सो डरने की कोई जरुरत नहीं है। यह याद कर सिम्मी अपने मन को दिलासा देने की कोशिश कर रही थी।
पर कहना अलग है और करना अलग है। अब जब कालिया का मोटा लण्ड उसकी छोटी सी चूत में डालना के वक्त आया तो सिम्मी कांप उठी। उसकी आँखों में आंसूं भर आये। वह बड़ी करुणा भरी नज़रों से कालिया को देखने लगी। कालिया ने जब देखा की सिम्मी उसे कुछ कहना चाह रही थी तो उसने पूछा, “क्या बात है रानी?”
सिम्मी ने कहा, “कालिया थोड़ा धीरे से डालना प्लीज?”
यह कह कर बिना जवाब का इंतजार किये सिम्मी कालिया के लण्ड को अपनी चूत की दरार पर रगड़ने लगी, ताकि उसकी चिकनाहट और बढ़ जाए और सिम्मी को कालिया का लण्ड अंदर लेने में तकलीफ ना पड़े। जैसे ही सिम्मी ने अपनी चूत की दरार पर कालिया का लण्ड जरासा घुसाया तो कालिया से रहा नहीं गया और उसने एक हल्का सा धक्का मारा और अपना लण्ड सिम्मी की चूत में थोड़ा सा घुसाया।
सिम्मी के मुंह से दर्द से नहीं पर दर्द के डर के मारे एक हलकी सी चीख निकल गयी। कालिया थम गया। उसने झुक के सिम्मी के होँठ चुम कर कहा, “रानी, घबराओ नहीं, मैं धीरे से चोदुँगा। तुम्हें शुरू में दर्द होगा पर बादमें अच्छा लगेगा।”
सिम्मी ने आँखें बंद कर अपना सर हिलाया और कालिया के लण्ड के घुसने का इंतजार करने लगी। कालिया ने सिम्मी का हाल देखा तो वह थोड़ा मुस्कुराया। अपने गाँव में भी जब वह किसी ना किसी लड़की को चोदने के लिये फाँसता था और जब उस लड़की की कालिया से चुदवाने की बारी आती थी तो सभी लडकियां उसके आगे ऐसे गिड़गिड़ाती थीं, जैसे कोई भेड़ एक शेर से शिकार में पकडे जाने पर अपने जीवन की भीख माँगने के लिए कराहता है।
कालिया ने अपने दोनों हाँथ सिम्मी के बदन के इर्दगिर्द रखे थे, उन हाथों और घुटनों के सहारे वह सिम्मी के बदन के ऊपर सिम्मी पर कोई वजन डाले बिना चढ़ा हुआ था। कालिया ने अब थोड़े जोर से एक धक्का दिया और अपना आधा लण्ड सिम्मी की गीली चूत में घुसेड़ा तो सिम्मी थोड़े जोर से चिल्ला उठी। अब उसे चूतमें काफी दर्द हो रहा था।
कालिया का लण्ड उसकी चूत के दरवाजे से कहीं मोटा था। उसे घुसने में सिम्मी की चूत के चमड़ी काफी खिंचाव में आ रही थी। उस दिन तक तो सिम्मी चूत में उंगलियां डाल कर अपनी गर्मी निकाल लेती थी। यह पहली बार हुआ था की सिम्मी की चूत की नाली में इतना मोटा लण्ड घुसने की कोशिश कर रहा था।
जैसे तैसे ही हो, कालिया का एक चौथाई से ज्यादा लण्ड सिम्मी की चूत में घुस ही गया था। सिम्मी की चूत की नाली अपनी क्षमता के अनुसार पूरी तरह से फूल चुकी थी। ऐसा अचानक पहली बार होने से सिम्मी को दर्द होना स्वाभाविक था।
सिम्मी की तो जान ही निकल रही थी। उसे उसकी चूत में बड़ी ही तेज दर्द की लहर उठी। सिम्मी का बदन पसीने से तरबतर हो गया। सिम्मी ने गले से चीख ना निकले उसके लिए अपने होँठ भींच रखे थे। उसने कस कर अपनी आँखें बंद कर रक्खी थीं।
कालिया अब अपनी मस्ती में था। उसको सिम्मी की परेशानी से ज्यादा उसके लण्ड में हो रही चरमराहट की चिंता थी। उसका लण्ड मारे उत्तेजना से फुला हुआ था। लण्ड की सारी धमनियां कालिया के खौलते हुए वीर्य के चाप से फूली हुई थी जिनमें उसके वीर्य का वीर्यचाप बढ़ रहा था। कई महीनों के बाद उसके लण्ड को ऐसी सख्त चूत मिली थी। कालिया ने एक थोड़ा तेज धक्का मारा और सिम्मी की चूत की नाली में कालिया का आधा लण्ड घुस गया। पर इसके कारण सिम्मी की हालत काफी खराब लग रही थी।
सिम्मी की सांस फूल रही थी। उसके कपाल के ऊपर पसीने की बूदें बह रहीं थीं। कालिया इन सब से बेखबर धीरे धीरे अपना लण्ड अंदर बाहर करने में लगा हुआ था। वह धीरे धीर अपना लण्ड ज्यादा और ज्यादा सिम्मी की चूत में डालने की कोशिश में लगा हुआ था।
वह बार बार उसके निचे लेटी हुई सिम्मी को देख रहा था और उसे देख कर उसका जोश और बढ़ता जाता था। उसने आज तक इतनी खूबसूरत कमसिन लड़की को चोदा नहीं था। उस दिन तक उसे गाँव की गरीब औरतों और वेश्याओं को चोदने का मौक़ा मिला था। कालिया जब सिम्मी को चोदते हुए एक धक्का मारता था तो सिम्मी का बदन पूरा हिल जाता था। साथ साथ सिमी के भरे, तने, पुरे, फुले हुए बब्ले ऊपर से निचे तक हिलते थे।
कालिया ने अपने पेंडू से एक और तगड़ा धक्का मारा और सिम्मी की चूत की नाली में अपना पूरा लण्ड घुसेड़ दिया। निचे लेटी सिम्मी से यह धक्का बर्दाश्त ना हो सका और वह जोर से चीख उठी। उसकी तेज चीख सुनकर कालिया के होश उड़ गए। इतनी तेज चीख जरूर बाहर तक गयी होगी। अब उसे और कुछ सोचे बिना कोई आ जाए उसके पहले सिम्मी की चुदाई पूरी करनी थी। ऊपर से उसे यह भी गुस्सा आया की सिम्मी ने ना चिल्लाने का वादा किया था वह तोड़ दिया।
कालिया ने सिम्मी के मुंह पर अपना हाथ रख दिया ताकि वह और ना चिल्लाये। उसने अपने चोदने की गति भी थोड़ी हलकी की ताकि सिम्मी को ज्यादा दर्द ना हो और वह ना चिल्लाये। पर उसने देखा की सिम्मी का बदन एकदम ढीला पड़ गया था। शायद सिम्मी ने अपने आप को कालिया के हवाले कर दिया था।
कोई भी आ कर उसके रंग में भंग करे उसके पहले वह सिम्मी की चुदाई पूरी कर देना चाहता था। कालिया ने सिम्मी को एक के बाद एक धक्के देने शुरू किये। कालिया सिम्मी के बदन पर सिम्मी को चोदते हुए ऐसे दिख रहा था जैसे कोई काला बड़ा भयावह अजगर कोई छोटे से हिरन को निगल रहा हो। देखने वाले को तो सिर्फ कालिया का लम्बा मोटा बदन और उसका लण्ड सिम्मी की चूत में पेलता हुआ ही दिखेगा।
सिम्मी के गोरे पाँव जो की कालिया के बदन के दोनों और फैले हुए थे उसके अलावा सिम्मी का गोरा बदन कालिया के घने बदन के नीच दिख ही नहीं रहा था। कालिया जैसे जैसे अपना लण्ड बाहर निकाल अंदर धक्का मारते हुए डालते जा रहा था तो सिम्मी का नन्हा सा बदन कालिया के धक्कों से बुरी तरह बलखाता हुआ हिल रहा था।
कालिया एक के बाद एक धक्के मार कर सिम्मी को चोद रहा था और कालिया के एक धक्के से सिम्मी ऐसे हिल जाती थी जैसे उसके कूल्हे से ले कर उससे ऊपर का हिस्सा कालिया के तगड़े धक्के से आगे की और खिसक जाता था जब की उसका बाकी का बदन वहीँ का वहीँ रहता था।
कालिया बेतहाशा अपने निचे लेटी सिम्मी के हाल से बेखबर सिम्मी को बड़े बड़े धक्के मार कर चोदे जा रहा था। पता नहीं कितना समय हो चुका था। कालिया का स्टेमिना गजब का था। पर आखिर उसका वीर्य उसके लण्ड की धमनियों में फुंफकार कर बाहर निकलने के लिए बेताब हो रहा था। एक जोर सा धक्का मार कर कालिया ने अपना सारा वीर्य का फव्वारा बिना कुछ सोचे समझे सिम्मी की चूत में छोड़ दिया और खुद सिम्मी के बदन पर एक ढेर की तरह गिर पड़ा।
सिम्मी की तरफसे उसे कोई भी रिस्पांस नहीं मिल रहा था। कालिया को कुछ शक हुआ, कालिया ने सिम्मी के मुंह को हिलाया। उसे लगा की शायद सिम्मी बेहोश हो गयी थी। सिम्मी से कालिया की चुदाई बर्दाश्त नहीं हुई शायद।
कालिया घबरा गया। वह फुर्ती से सिम्मी के ऊपर से हट गया। सिम्मी की जाँघों के बिच में से उसे चिकनाहट महसूस हुई। उसने ध्यान से देखा तो सिम्मी की चूत में से खून की हलकी सी धार निकल रही थी।
कालिया ने सिम्मी का सील तोड़ा था। उसका कौमार्य पटल उसने तोडा था। पर सिम्मी का हाल देख कर कालिया जान हथेली में आ गयी। गद्दा सिम्मी की चूत में से निकले हुए खून से लाल रंग से रंग गया था।
कुछ समय के लिए तो कालिया डर गया की सिम्मी कहीं मर तो नहीं गयी? पर सिम्मी की छाती को ऊपर निचे होते हुए देख कालिया की जान में जान आयी। उसने सिम्मी के गाल हिला कर उसे होश में लाने की कोशिश की पर सिम्मी को होश नहीं आ रहा था। चारों और देखते हुए जब उसने एक कोने में मटका देखा तब कालिया ने मटके में से पानी निकाल कर सिम्मी के चेहरे पर छिड़का। सिम्मी ने अचानक चौंकते हुए अपनी आँखें खोलीं और कालिया को अपने ऊपर मँडराते हुए देखा।
अचानक होश में आते ही सिम्मी ने दर्द महसूस किया और कालिया को अपने ऊपर देखा तो दर्द और डर के मारे जोरसे चीख उठी। सिम्मी की चीख सुनकर कालिया एकदम घबड़ा गया और फुर्ती से बिना कुछ सोचे समझे उठ खड़ा हुआ। उसका काम हो चुका था। अपनी पतलून पहन कर भागता हुआ सीढ़ी चढ़कर दूकान का शटर खोल कर अपना मिनी ट्रक लेकर कालिया भाग खड़ा हुआ।
पढ़ते रहिये कहानी आगे जारी रहेगी!