दोस्त की चाची आरजू २

हम लोग फिल्म चालू होने के 45 मिनट बाद ही निकल गए। हमारा होटल वहाँ से पांच मिनट की दूरी पर ही था। वहाँ से हम सीधे अपने कमरे में आ गये।

कमरे में आते ही चाची ने अपनी साड़ी उतार फेंकी, लपक कर मेरी शर्ट और जींस खोल दी। अब मैं सिर्फ अंडरवीयर में था। चाची ने अगले ही पल अपनी ब्लाउज को खोल दिया और पेटीकोट भी उतार दिया। अब वो भी सिर्फ ब्रा और पेंटी में और मैं सिर्फ अण्डरवीयर में था।

वो मुझे अपने सीने के लपेट कर पागलों की तरह चूमने लगी, मेरे पूरे बदन को चूमने-चाटने लगी।

चाची- इम्तियाज़, आ जा ! अब जो भी करना है आराम से कर ! मुझे भी तेरी काफी प्यास लगी है, मेरी प्यास बुझा दे, चीर डाल मुझे !

मैंने अपना अंडरवीयर खोल दिया, मेरा 9 इंच का लंड किसी तोप की भांति चाची की तरफ निशाना साधे खड़ा था। मैं आगे बढ़ा और अपना लंड अपनी प्यारी चचीजान के हाथों में थमा दिया।

चाची मेरे लंड को सहलाने लगी, बोली- बाप रे बाप ! कितना बड़ा लंड है रे !

मैंने आरज़ू की चूचियों का दबाते हुए कहा- आरज़ू, तू बड़ी मस्त है ! चाचा को तो खूब मज़े देती होगी तू !

आरज़ू- तू भी ले न मज़े ! तू चाचा का भतीजा है, तेरा भी उतना ही हक बनता है मुझ पर ! और तू मुझे सिर्फ आरज़ू कह ना ! चाची क्यों पुकारता है मुझे. अब से तू मेरा दूसरा खसम है !

मैंने- हाँ आरज़ू ! क्यों नहीं !

आरज़ू- हाय, कितना अच्छा लगता है जब तू मुझे मेरे नाम से बुलाता है, सच बता कितनियों को चोदा है तूने अब तक?

मैंने- अब तक एक भी नहीं आरज़ू डार्लिंग, आज तुझसे ही अपनी ज़िंदगी की पहली चुदाई शुरू करूँगा।

मैंने आरज़ू की ब्रा को खोला और चूचियों को नंगी करके आज़ाद कर दिया। इसकी चूचियाँ तो ऐसी थी कि आज तक मैंने किसी ब्लू फिल्मों की रंडियों की चूचियाँ भी वैसी नहीं देखी, एकदम चिकनी और गोरी, एक तिल का भी दाग नहीं था !

मैंने उसकी घुंडियों को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। आरज़ू सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने उसे लिटा लिया, उसके बदन के हर अंग को चूसते हुए उसकी कच्छी पर आया, वो बिल्कुल गीली हो चुकी थी। मैं उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी फ़ुद्दी को चूसने लगा।

आरज़ू पागल सी हो रही थी।

मैंने धीरे धीरे उसकी पेंटी को उसकी चूत पर से हटाया। आह ! क्या शानदार चूत थी ! लगता ही नहीं था कि पिछले चार साल से इसकी चुदाई हो रही थी ! गोरी गोरी चूत पर काली काली झांटें ! ऐसा लगता था चाँद पर बादल छा गए हों ! मैंने झांटों को हाथ से बगल किया और उसके चूत को उँगलियों से फैलाया, अन्दर एकदम लाल नजारा देख कर मेरा दिमाग ख़राब हो रहा था। मैंने झट से उसकी लाल लाल चूत में अपनी लपलपाती जीभ डाली और स्वाद लिया, फिर मैंने अपनी पूरी जीभ जहाँ तक संभव हुआ उसकी चूत में घुसा कर चूस चूस कर स्वाद लेता रहा।

आरज़ू जन्नत में थी, उसने अपनी दोनों टांगों से मेरे सर को लपेट लिया और अपनी चूत की तरफ दबाने लगी। दस मिनट तक उसकी चूत चूसने के बाद उसकी चूत से माल निकलने लगा। मैंने बिना किसी शर्म के सारा माल को चाट लिया।

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आरज़ू बेसुध होकर पड़ी थी, वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी।

मैंने कहा- सच बता आरज़ू, चाचा से पहले कितनों से चुदवाया है तूने?

आरज़ू- तेरे चाचा से पहले सिर्फ दो ने चोदा है मुझे !

मैंने कहा- हाय, किस किस ने तुझे भोगा री?

आरज़ू- जब मैं स्कूल में थी तब स्कूल की एक सहेली के भाई ने मुझे तीन बार चोदा। फिर जब मैं उन्नीस साल की थी तो कालेज में मेरा एक फ्रेंड था, हम सब एक जगह पिकनिक पर गए थे, तब उसने मुझे वहाँ एक बार चोदा। एक साल बाद तो मेरी शादी ही तेरे चाचा से हो गई।

मैंने- तब तो मैं चौथा मर्द हुआ तेरा न?

आरज़ू- हाँ ! लेकिन सब से प्यारा मर्द !

मैं उसके बदन पर लेट गया आर उसके रसीले होंठ को अपने होंठों में लिए और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। कभी वो मेरी जीभ चूसती, कभी मैं उसकी जीभ चूसता। इस बीच मैंने उसके दोनों टांगों को फैलाया और उसकी चूत में उंगली डाल दी। आरज़ू ने मेरा लंड पकड़ा और उसे अपने चूत के छेद के ऊपर ले गई और हल्का सा घुसा दिया। अब शेष काम मेरा था, मैंने उसकी जीभ को चाटते हुए ही एक झटके में अपना लंड उसके चूत में पूरा डाल दिया।

वो दर्द में मारे बिलबिला गई।

बोली- अरे, फाड़ देगा क्या रे? निकाल रे !

लेकिन मैं जानता था कि यह कम रंडी नहीं है, इसे कुछ नहीं होगा, मैंने उसकी दोनों बाहें पकड़ी और अपने लंड को उसकी चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए। वो कस कर अपनी आँखें बंद कर रही थी और दबी जुबान से कराह रही थी लेकिन मुझे उस पर कोई रहम नहीं आ रहा था बल्कि उसकी चीखों में मुझे मजा आ रहा था।

70-75 धक्कों के बाद उसकी चीखें बंद हो हो गई। अब उसकी चूत पूरी तरह से मेरे लंड को सहने योग्य चौड़ी हो गई थी, अब वो मज़े लेने लगी। उसने अपनी आँखे खोल कर मुस्कुरा कर कहा- हाय रे मेरे दूसरे खसम, बड़ा जालिम है रे तू ! मुझे तो लगा मार ही डालेगा !

मैंने कहा- आरज़ू डार्लिंग, मैं तुझे कैसे मार सकता हूँ रे ! तू तो अब मेरी जान बन गई है और तुझे तो आदत होगी न बचपन से?

आरज़ू हंसने लगी. बोली- लेकिन इतना बड़ा लंड की आदत नहीं है मेरे शेर राजा ! मज़ा आ रहा है तुझसे चुदवा कर !

करीब दस मिनट तक चोदने के बाद मेरे लंड से माल निकलने पर हो गया, मैंने कहा- आरज़ू डार्लिंग, माल निकलने वाला है।

आरज़ू- निकाल दे ना वहीं अन्दर !

अचानक मेरे लंड से माल की धार बहने लगी और मैंने पूरा जोर लगा कर आरज़ू की चूत में अपना लंड घुसा दिया। आरज़ू कराह उठी।

थोड़ी देर बाद हम दोनों को होश आया, मेरा लंड उसकी चूत में ही था।

मैं उसके नंगे बदन पर से उठा, समय देखा तो नौ बजने को थे, मैंने पूछा- आरज़ू नहाएगी?

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आरज़ू- हाँ रे, चल !

मैंने उसे अपनी गोद में उठाया, उसने भी हँसते हुए अपनी दोनों बाहें मेरे गले में लपेटी और हम दोनों बाथरूम में आ गए। वहाँ मैंने आरज़ू को बाथटब में डाल दिया, फिर शावर को टब की ओर घुमाया और चला दिया। अब नीचे भी पानी और ऊपर से भी पानी बरस रहा था। मैं आरज़ू के ऊपर लेट गया, अब हम ठण्डे पानी में एक दूसरे के आगोश में थे, मेरे होंठ उसके होंठों को चूम रहे थे। मेरा एक हाथ उसकी चूचियों से खेल रहा था, और दूसरा हाथ उसकी चूत के छेद में उंगली कर रहा था।

और वो भी खाली नहीं थी, वो मेरे लंड को दबा रही थी। दस मिनट तक ठण्डे पानी में एक दूसरे के बदन से खेलने के बाद हम दोनों का शरीर फिर गर्म हो गया, मैंने उसकी टांगों को टब के ऊपर रखा और अपने लंड को उसके सुराख में डाला और पानी में डूबे डूबे ही उसे 20 मिनट तक आराम से चोदता रहा। इस दौरान मेरे और उसके होंठ कभी अलग नहीं हुए।

अचानक मेरे लंड ने माल निकलना चालू किया तो मैं उसे चोदना छोड़ कर उसके चूत में लंड को पूरी ताकत के साथ दबाया और स्थिर हो गया और मेरे होंठों का दबाव उसके होंठों पर और ज्यादा बढ़ गया। जब मैं उसके होंठों को छोड़ा तो उसने कहा- कितनी देर तक चोदते हो, मेरी जान, तुम्हें पता है मेरा दो बार माल निकल चुका था इस चुदाई में ! मैं कब से कहना चाहती थी लेकिन तुमने मेरे होठों पर भी अपने होंठों से ताला लगा दिया था।

मैंने कहा- आरज़ू डार्लिंग, सच बताना, कैसा लगा मेरे लंड का करिश्मा?

आरज़ू- मानना पड़ेगा, सच में मज़ा आ गया मुझे तो आज ! अब चल कुछ खा पी लें ! अभी तो पूरी रात बाकी है।

मैंने बाथरूम के ही फोन पर से खाने के लिए चिकन, पुलाव, बियर और सिगरेट रूम में ही मंगवा लिया। थोड़ी देर में कमरे की घंटी बजी, मैं तौलिया लपेट कर बाहर आया और खाना मेज पर रखवा कर वेटर को वापस किया। कमरे का दरवाजा बंद करके मैंने आरज़ू को आवाज दी तो आरज़ू नंगी ही बाथरूम से बाहर आ गई

मैंने भी तौलिया खोल दिया। फिर हम दोनों ने जम कर चिकन-पुलाव खाया और बीयर पी। आरज़ू पहले भी बियर पीती थी, चाचा पिलाता था। मेरे कहने पर उसने उस दिन 3 सिगरेट भी पी ली। उसके बाद मैंने उसकी कम से कम 10-12 बार चुदाई की।

कभी उसकी चूत की चुदाई, तो कभी गांड की चुदाई, तो कभी मुँह की चुदाई, कभी चूची की चुदाई !

साली आरज़ू भी कम नहीं थी, एकदम रंडी की तरह रात भर चुदवाती रही, सारी रात मैंने उसे लूटा। सुबह के आठ बजे तक मैंने उसकी चुदाई की, तब जाकर आरज़ू को थकान हुई। तब बोली- इम्तियाज़, अब मैं थक गई हूँ, अब बाथरूम चल ना !

मैं उसे उठा कर बाथरूम ले गया, बाथरूम में संडास की दो सीट थे. एक देसी और एक विदेशी ! उसे देसी सीट पसंद थी, मैं विदेशी सीट पर बैठ गया और संडास करने लगा। वो मेरे सामने ही देसी सीट पर बैठ कर संडास करने लगी। मुझे उसकी संडास की खुशबू भी अच्छी लग रही थी।

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मैंने कहा- आरज़ू, तेरी गांड मैं धोऊंगा आज.

उसने कहा- ठीक है. मैं भी तेरी गांड धोउंगी .

संडास कर के हम दोनों उठे, मैंने उसे सर नीचे करके गांड उठाने कहा। उसने ऐसा ही किया. इससे उसकी गांड खुल गई मैंने पानी से अच्छे से उसके गांड में लगे पैखाने को अपने हाथ से साफ़ किया, फिर मैंने भी वही पोजीशन बनाई, उसने भी मेरी गांड को अपने हाथ से साफ़ किया।

फिर हम दोनों लगभग एक घंटे तक टब में डूबे रहे और एक दूसरे के अंगों से खेलते रहे। टब में एक बार उसकी चुदाई की।

फिर वापस कमरे में आकर नाश्ता मंगवाया और नाश्ता करके हम दोनों जो सोये तो सीधे पांच बजे उठे।

हम दोनों नंगे थे, उसने मेरे लंड पर हाथ साफ़ करना शुरू किया, लंड दूसरी पारी के लिए एकदम से तैयार हो गया। मैं आरज़ू के बदन पर चढ़ गया और उसके चूत में अपना नौ इंच का लंड घुसेड़ दिया।

तभी चाचा का फोन आया लेकिन मैंने आरज़ू की चुदाई बंद नहीं की, आरज़ू ने मुझसे चुदवाते हुए अपने खाविन्द यानि मेरे चाचा से बात की।

उन्होंने कहा कि वो दुबई पहुँच गए हैं, फिर आरज़ू से पूछा कि क्या तुम इम्तियाज के साथ बंगलौर घूमी या नहीं।

आरज़ू ने मुस्कुराते हुए मेरी ओर देखा और फोन पर कहा- उसे फुर्सत ही नहीं मिलती है। जब आप आयेंगे तभी मैं आपके साथ घूमूंगी। तब तक आपका इंतज़ार करती हूँ।

फोन रख कर उसने बगल से सिगरेट उठाई और जला कर कश लेते हुए कहा- क्यों इम्तियाज? तब तक तुम मुझे जन्नत की सैर करवाओगे न?

मैंने हँसते हुए अपने लंड के धक्के उसके चूत में तेज किया और कहा- क्यों नहीं आरज़ू डार्लिंग ! लेकिन तू हैं बड़ी कमीनी चीज !

आरज़ू ने भी मेरे लंड के धक्के पर कराहते हुए मुस्कुरा कर कहा- तू भी तो कम हरामी नहीं है, पक्का मादरचोद है तू ! मौका मिले तो अपनी माँ-बहन को भी चोद डालेगा तू !

मैंने कहा- पक्की रंडी है तू साली ! एकदम सही पहचाना मुझे ! तुझ पर तो मेरी तभी से नजर थी जब से तू मेरे घर पर चाची बन के आई थी। अब जाकर मौका मिला है तुझे चोदने का।

आरज़ू- हाय मेरे हरामी राजा, पहले क्यों नहीं बताया, इतने दिन तक तुझे प्यासा तो ना रहना पड़ता।

मैंने कहा- सब्र का फल मीठा होता है मेरी जान !

तब तक मेरे लंड का माल उसके चूत में निकल चुका था, अब मैं उसके बदन पर निढाल सा पड़ा था और वो सिगरेट के कश ले रही थी।

और फिर अगले 6 दिन तक हम दोनों में से कोई कमरे के बाहर भी नहीं निकला जब तक कि चाचा दुबई से वापस नहीं आ गए।

समाप्त……..

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