Drishyam, ek chudai ki kahani-2

हेल्लो दोस्तों, अब आगे की कहानी पढ़िए!

जब से सिम्मी ने कालिया का लण्ड देखा था तब से उसके मन में पता नहीं कुछ अजीब सी उलझनें पैदा हो रही थीं। उसे कालिया के प्रति एक तरह का विचित्र आकर्षण होने लगा था। हालांकि उसे कालिया कतई पसंद नहीं था; या यूँ कहिये की वह उसे नफरत करती थी। फिर भी उसकी मर्दानगी और उसका गठा हुआ बदन उस सुबह के बाद उसकी रातों की नींद हराम कर रहा था।

सिम्मी ने पुरुष और स्त्री के यौन संबंधों के बारे में कुछ कुछ जानकारी अपनी सहेलियों से और कुछ किताबों में से पायी थी। एक बार सिम्मी ने छुप कर अपने भाई को उसके कमरे में उसका लण्ड निकाल कर उसे तेजी से हिलाते हुए देखा था। सिम्मी अपनीं जिज्ञासा रोक नहीं पायी और उसने देखा तो चौंक गयी जब भाई के लण्ड में से उसे सफ़ेद सा चिकनी मलाई जैसा द्रव्य निकलते हुए देखा।

उस समय भाई का हाल देख कर सिम्मी और भी चौंक गयी, क्यूंकि जैसे ही वह द्रव्य निकलने लगा तो भाई का बदन एकदम सख्त हो गया और भाई के मुंह से आह्हः ओह…. जैसे शब्द निकल ने लगे। सिम्मी को लगा जैसे उस घडी भाई किसी बड़ी उन्माद की स्थिति में थे।

बाद में सिम्मी ने अपनी सहेलियों से पता लगा लिया की उस प्रक्रिया को हस्त मैथुन कहते हैं। सिम्मी की कई बड़ी सहेलियों सिम्मी को शादी और स्त्री पुरुष की चुदाई के बारे में भी बताया करतीं थीं। सिम्मी और अर्जुन काफी करीबी थे और साथ में बैठ कर दोनों भाई बहन कई बार घंटों तक इधर उधर की बातें करते हुए थकते नहीं थे।

कई बार माँ बाप के बारे में तो कई बार चाचा चाची के बारे में दोनों बातें करते थे। सिम्मी ने तय किया की अगर उसे सही मौक़ा मिला तो वह भाई से उसके लण्ड हिलाकर मलाई निकालने के बारे में जरूर पूछेगी।

उस दिन रात को जब भाई बहन सोने जा रहे थे तब सिम्मी ने अर्जुन से पूछ ही लिया।, “अर्जुन, एक बात पूछूं? तुम बुरा तो नहीं मानोगे?”

दीदी की बात सुनकर अर्जुन कुछ हैरान सा हुआ। उसने कहा, “नहीं दीदी, पूछो।”

सिम्मी ने कहा, “मैंने तुम्हें दोपहर को अपने बिस्तरे में अपनी टांगों के बिच में यह तुम्हारा है ना, उसी हिलाते हुए देखा था। उस समय उसमें से कुछ मलाई जैसा निकला था। तुम क्या कर रहे थे?”

दीद की बात सुनकर अर्जुन कुछ क्षोभित सा हुआ फिर अर्जुन ने घबड़ाते हुए कहा, “कुछ नहीं दीदी, मैं थोड़ा खुजला रहा था।”

दीदी ने डाँटते हुए कहा, “देखो अर्जुन, सच सच बताओ वरना चाचाजी को बता दूंगी। मैंने सब कुछ देखा है दरवाजे के पीछे से।”

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अर्जुन ने कुछ डरते हुए कहा, “मुझे यह कालिया ने सिखाया है।”

अर्जुन की बात सुनकर सिम्मी चौक उठी। अर्जुन ने बताया की एक दिन कालिया अर्जुन को मिलने क्रिकेट के मैदान में अपना ट्रक लेकर आया था। गेम ख़तम हो जाने के बाद भी कालिया वहीं रहा और वह अर्जुन को ट्रक में बिठा कर आइसक्रीम खिलाने ले गया। अर्जुन को बड़ी जिज्ञासा थी की वह ट्रक में बैठे। धीरे धीरे अर्जुन और कालिया इसी तरह मिलने लगे। एक दिन कालिया ने ट्रक में अर्जुन की निक्कर खोल कर अर्जुन का लण्ड हिलाकर उसका माल निकाल दिया था। अर्जुन ने यह भी बताया की कालिया ने अपनी निक्कर खोल कर अर्जुन को अपना मोटा लण्ड भी दिखाया था।

जब सिम्मी ने यह सूना तो वह अपनी जिज्ञासा रोक नहीं पायी। उसने अर्जुन से पूछा, “उसका कैसा था?” सिम्मी ने लण्ड शब्द नहीं बोला। तब अर्जुन ने पूछा, “क्या?”

सिम्मी ने शर्माते हुए कहा, “जो कालिया ने तुम्हें दिखाया था ना? वह।”

अर्जुन ने कहा, “दीदी अब मैं बड़ा हो गया हूँ। मुझे लण्ड चूत यह सब समझ में आने लगा है। अब आप मुझसे साफ़ साफ़ बात कर सकती हो। अब तुम्हें मुझसे ना तो शर्माने की और ना तो कोई बात छिपाने की जरुरत है। हम आपस में एक दूसरे की सारी बातें शेयर कर सकते हैं। है ना? मैं भी आप से कुछ नहीं छुपाऊंगा। कालिया का लण्ड बहुत बड़ा, मोटा और इतना लंबा है।” ऐसा कह कर अर्जुन ने अपने हाथ से कालिया के लण्ड की करीब नौ इंच जैसी लम्बाई बताई। फिर अपना अंगूठा और साथ वाली उंगली से गोल बना कर बोला, “यह तो बहुत कम गोलाई है। उसका लण्ड इससे कहीं मोटा है।”

अर्जुन की बात सुन कर सिम्मी के होशोहवाश उड़ गए। सिम्मी ने डरते हुए पूछा, “इतना लंबा? तुम्हारा तो इतना लंबा नहीं है?”

अर्जुन ने अपना सर उठाकर कहा, “कालिया ने कहा है की मैं जैसे जैसे बड़ा होऊंगा तो मेरा लण्ड भी बड़ा हो जाएगा। कालिया यह भी कह रहा था की चोदते रहने से लण्ड लंबा और मोटा होता है।”

“क्या कहते हो? इसका मतलब कालिया औरत के साथ वह करता रहता है? पर उसके साथ तो कोई औरत नहीं रहती?”

अर्जुन ने कहा, “हो सकता है उसके अपने गाँव में उसकी बीबी होगी। पता नहीं हो सकता है यहां पर भी उसने कोई औरत को पटा रखा हो।” यह सुनकर सिम्मी चुप हो गयी।

इस बातचीत के बाद अक्सर भाई बहन खुल कर बात करने लगे। सिम्मी ने अर्जुन को वचन दिया की सिम्मी अर्जुन से कुछ भी नहीं छुपाएगी।

एक रात को जब दोनों भाई बहन सोने जा रहे थे तव अचानक अर्जुन बिस्तर में उठ खड़ा हुआ और उसने दीदी से पूछा, “दीदी क्या आपको पता है की लोग शादी क्यों करते हैं?”

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सिम्मी बड़े ही आश्चर्य से अर्जुन को देखती रही और बोली, “क्यों? तुम यह क्यों पूछ रहे हो? तुम क्या कहना चाहते हो?”

अर्जुन ने कहा, “दीदी, मैंने चाचा को अपने रूम में अपने और चाची के सारे कपडे निकाल कर अपना लण्ड चाची की चूत में डाल कर कमर से लण्ड को धक्के मार कर चूत के अंदर पेलते हुए देखा है। कालिया कह रहा था की उसे चोदना कहते हैं। मैंने चाचा चाची को चोदते हुए कई बार देखा है। चाचा चाची को हररोज चोदते हैं। मुझे कालिया कह रहा था की सब मर्द औरतों को चोदने के लिए ही उनसे शादी करते हैं। बोलो तुम्हें देखना है चाचा को चाची की चुदाई करते हुए?”

यह सुनकर उत्तेजना के मारे सिम्मी का दिल जोर से धड़कने लगा। उसने पहली बार किसी की वास्तव में चुदाई करने के बारे में सूना था। सिम्मी को उत्तेजना के मारे रहा नहीं गया। कुछ झिझकती हुई वह बोली, “अगर तुम दिखाओगे तो मैं भी देखूंगी। तुमने कैसे देखा? वह तो हमेशा दरवाजा खिड़कियाँ बंद करके सोते है ना?”

अर्जुन ने कहा, “दीदी, चाचा के कमरे में एक रोशनदान है। वह हमेशा खुला रहता है। चाचा चाची ने उस पर कभी ध्यान नहीं दिया। सीढ़ी से जब हम ऊपर चढ़ते हैं तब उसमें से उनका कमरा साफ़ दिख़ता है। एक बार मैंने सीढ़ी चढ़ते हुए अकस्मात उस रोशनदान से देखा तो मैंने उनको चोदते हुए देख लिया। दीदी! बापरे! चाचा, क्या चाची को मस्त चोदते हैं! मैंने पुरे आधाघण्टा उनकी चुदाई देखि। चाचीजी भी क्या मस्तीसे चुदाई करवातीं हैं! कभी चाचाजी के निचे सो कर, कभी चाचा के ऊपर चढ़कर चोदती हैं, और कभी घोड़ी बनकर पीछे से चुदवाती हैं। पूरी चुदाई में वह इतनी कराहती हैं की कई बार तो चाचाजी ने बोला की धीमे से चिल्लाओ, वरना बच्चे सुन लेंगे।”

सिम्मी दाँतों में उंगलियां दबाती हुई बोली, “अर्जुन, यह तुम क्या बक रहे हो, चाचाजी और चाचीजी के बारे में?”

तब सिम्मी ने देखा की अर्जुन सेहम सा गया और अपनी दीदी को रूसाई सी नजर से देखने लगा। सिम्मी समझ गयी की भाई को बुरा लगा है। उसे अफ़सोस हुआ की भाई को बेकार ही नाराज कर दिया। सिम्मी खुद भी जानती थी की चाचा और चाची कई बार दिन में और रातमें चुदाई करते रहते थे। उसने चाचीजी की कराहटें कई बार सुनी भी थीं।

भाई का हाथ अपने हाथ में लेकर सिम्मी ने कहा, “सॉरी भाई। मुझे माफ़ करना। मैंने तुम्हें गलत ही डाँट दिया। तुम क्या कह रहे थे?” फिर कुछ देर चुप रह कर दीदी बोली, “अर्जुन सचमुच तुमने देखा और सूना है यह सब? कहीं तुम मुझे उल्लू तो नहीं बना रहे?” यह कह कर सिम्मी अर्जुन का हाथ प्यार से सहलाने लगी ताकि अर्जुन नाराज ना हो और अपनी बात खुल कर कहे।

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फिर कुछ देर चुप रह कर सिम्मी धीरे से बोली, “मैंने कभी किसी की चुदाई नहीं देखि। मुझे भी दिखाओ ना भैया!”

अर्जुन का यह सुनकर सीना चौड़ा हो गया। हालांकि वह सिम्मी से कुछ साल छोटा था पर उसे गर्व हुआ की दीदी को वह कुछ बातें बता सकता है जिसके बारे में उनको पता नहीं था।

अर्जुन ने गर्व से सर उठाकर कहा, “दीदी, मैं आपको दिखाऊंगा। जैसे ही मुझे भनक पड़ेगी, मैं आपको फ़ौरन ले जाऊँगा और दिखाऊंगा। पर दीदी ध्यान रखना। आवाज बिकुल मत करना। कहीं चाचा चाची को भनक पड़ गयी तो वह हमें डाँट ना दे और वह रोशनदान को बंद ना कर दें। फिर तो हम कुछ नहीं देख पाएंगे।”

ऐसे ही दो चार दिन बीत गए। एक रात अर्जुन ने दीदी को बिस्तरे में से हिलाकर जगाया और दीदी के कान में मुंह रख कर दीदी के कानों में फुसफुसाता हुआ बोला, “दीदी चलो अगर चाचा चाची जी की चुदाई देख्ननी है तो।”

यह सुन कर फ़ौरन सिम्मी अर्जुन का हाथ थामे चोरी चोरी चुपके, कुछ डरते हुए सीढ़ी पर पहुंची जहां रोशन दान में से चाचाजी के रूम का दीदार हो सकता था। जैसा की अर्जुन ने बताया था, चाचा चाची की चुदाई करने में जम कर लगे हुए थे। सिम्मी के लिए वह किसीकी चुदाई देखने का पहला मौक़ा था।

चाचा चाची को अलग अलग पोजीशन में चोदने की उनकी काम क्रीड़ा देख कर काफी देर तक तक दोनों वहाँ जमे हुए देखते रहे। अर्जुन बार बार दीदी को देख रहा था जो बड़ी मुश्किल से अपनी मन की कामनाओं के ऊपर नियत्रण रख रही हों ऐसी दिख रही थी। दीदी बारबार अपनी दोनों जाँघों के बिच में अपना एक हाथ डालकर शायद अपनी चूत की हलचल को शांत करने की कोशिश कर रही हो ऐसा लग रहा था।

उस दिन के बाद जब भी मौक़ा बनता था अर्जुन सिम्मी को नींद में से जगा कर चाची की चुदाई दिखाने के लिए ले जाता था। दोनों भाई बहन मन्त्र मुग्ध होकर वह कामक्रीड़ा देखते और फिर वापस अपने अपने बिस्तर में आकर अपनी टांगों के बिच में हुए घमासान को शांत करते। सिम्मी और अर्जुन इस तरह से जानेअनजाने सेक्स के मामले में एक दूसरे के राजदार बन गए।

पढ़ते रहिये कहानी आगे जारी रहेगी!

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