माँ के साथ लेस्बियन सेक्स किया

मेरे मित्रगणों  मै आप सब का हार्दिक अभिनंदन करता हु.. यह मेरी पहली कहानी है और में आशा करती हूँ कि आप सभी को मेरी यह बहुत पसंद आएगी. दोस्तों मेरा नाम अंजनी  है और मेरी उम्र 20 साल है. में अपनी ज्यादा तारीफ नहीं करना चाहती क्योंकि अपने मुहं अपनी तारीफ करना अच्छा नहीं लगता.. लेकिन में इतना बता दूँ कि में दिखने में बहुत सुंदर हूँ और मेरे बड़े बड़े फिगर है. वैसे तो मेरा एक बॉयफ्रेंड भी है.. लेकिन मुझे सुधा में ही रूचि थी. घर में ज़्यादातर सिर्फ़ में और मेरी माँ सुधा ही रहते है और मेरा छोटा भाई हॉस्टिल में नौकरी पर है और पापा बाहर नौकरी करते है और वो 6-7 महीनो में एक या दो बार ही घर पर आते है.. घर पर अकेले बेठे बेठे बोर हो जाती हूँ. में इस साईट पर बहुत सालो से चुदकड़    कहानियाँ पढ़ती आ रही हूँ और मुझे यह सब करना बहुत अच्छा लगता है. मोटी गांड वाली लड़कियों की बात ही कुछ और है.


 लड़किया क्युआ गजब चुदकड़ होती है दोस्तों मेरी माँ की शादी जब हुई तब वो 18 साल की थी और जब वो 21 की थी तब बच्चे.. लेकिन वो कभी भी चुदाई  से संतुष्ट नहीं रहती थी.. क्योंकि पापा कभी भी घर पर नहीं होते थे.. वो ज्यादातर समय बाहर अपनी नौकरी पर ही रहते थे. अब सुधा की उम्र 37 साल है.. लेकिन वो ऐसी लगती है जैसे मेरी बड़ी बहन हो. बहुत चुदकड़    शरीर, हाईट 5.9 इंच होगी और फिगर है 34-23-38 रंग बिल्कुल गोरा और वो सफेद साड़ी पहन कर एकदम 1965 फिल्म की हिरोईन लगती है. दोस्तों अब स्टोरी शुरू करते है. मेरे मित्रगणों  क्या मॉल थी उसकी चुची पीकर मजा आ गया.


 मै एक नंबर का आवारा चोदा पेली करने वाला  लड़का हु मुझे लड़किया चोदना अच्छा लगता है यह बात कुछ 4 महीने पुरानी है. घर पर सिर्फ़ हम दोनों ही थे और हम दोनों हमेशा से ही अपनी सभी बातें एक दूसरे से शेयर करते है और हम कभी कभी थोड़ी बहुत चुदाई  से सम्बन्धित बातें भी शेयर करते थे. फिर एक दिन मेरे बॉयफ्रेंड के बारे में बात कर रहे थे. तभी बातों बातों में सुधा बोली कि कर लो मज़े अभी तुम्हारी उम्र है और बाद में मेरी जैसी हालत हो जानी है. तो बातों चलते चलते हम दोनों चुदाई  पर आ गए और फिर मुझे पता नहीं क्या हुआ और मुझसे रहा नहीं गया और मैंने मौका देखकर बात छेड़ ही दी.. फिर मैंने कहा कि क्यों हम दोनों भी तो मज़े कर सकते है? तो सुधा मुझे बड़ी हैरान  .मेरे प्यारे दोस्तो चुची पिने का मजा ही कुछ और है सी निगाहों से मुझे देखने लगी. तो मैंने कहा कि मैंने आपको कभी बताया नहीं.. लेकिन मुझे लड़की और लड़कों दोनों में बहुत रूचि है और ख़ास तौर से आप में. तभी सुधा हंसने लगी और बोली कि चल पागल.. ऐसा अजीब मज़ाक ना कर. तो उस समय मेरी भी हिम्मत टूट गयी और में भी हंसकर बोली कि में मज़ाक कर रही थी. फिर में वहाँ से उठकर आ गयी और उसके बाद से मेरी सुधा में रूचि और भी बढ़ गई और मुझे सपनों में भी सुधा की चूत दिखने लगी. ये कहानी पढ़ कर आपका लंड खड़ा नहीं हुआ तो बताना  लड खड़ा ही हो जायेगा .

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 मेरे मित्रगणों  चुत छोड़ने के बाद सुस्ती सी आ जाती है     फिर एक दिन वो कपड़े धोकर बाहर आई तो वो बिल्कुल पसीने से भीगी पड़ी थी और उसकी ब्रा का हुक दिख रहा था.. क्योंकि वो हमेशा ढीला टॉप और जीन्स पहनती थी. मेरी तो उसके ऊपर से नज़र हट ही नहीं रही थी और में मन ही मन उसे सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में सोचने लगी. तभी सुधा की नज़र मुझ पर पड़ी और वो बोली कि क्या हुआ? तो में बोली कि वो.. वो.. वो में कह रही थी कि आप नहा लो बहुत गर्मी हो रही है. वो तभी नहाने चली गयी और बाथरूम में कहीं भी अंदर झाँकने की जगह नहीं थी. बाहर उसके कपड़े उतार कर उसने सूखने के लिए छोड़ दिए थे. तो मैंने उसकी ब्रा और पेंटी उठाई और अपने रूम में ले जाकर उन्हे सूँघा और अपनी चूत में उँगलियाँ डाली.. मेरी चूत का सारा रस मैंने सुधा की पेंटी पर लगा दिया और वापस वहीं पर चुपचाप ला कर रख दी. क्या बताऊ मेरे मित्रगणों   उसको देखकर किसी लैंड टाइट हो जाये.


 मेरे मित्रगणों  मने बहुत सी भाभियाँ चोद राखी है फिर थोड़ी देर बाद वो टावल बाँधकर बाहर आई और अपने कपड़े उठाने लगी. तो उसने पेंटी को देखा और वहीं छोड़ दिया और वो कपड़े बदलने गयी तो में उसके पीछे पीछे चली गयी. वो अपने रूम में जाकर कपड़े बदलने लगी.. लेकिन उसके रूम का दरवाजा अच्छी तरह से बंद नहीं होता था तो में बाहर से उसे देखने लगी.. उसने टावल उतारा तो मेरी आखें फटी की फटी रह गयी वाह क्या फिगर है? और मेरी चूत में से बिना कुछ करे ही धीरे धीरे पानी बाहर आने लगा और मेरी पेंटी गीली होने लगी उसको देखकर में अब बहुत गरम हो चुकी थी. थी सुधा ने एक स्कर्ट और शर्ट पहन ली बिना पेंटी के.. क्योंकि बहुत गर्मी थी और वो बाहर आ गयी. उसकी स्कर्ट घुटनो से ऊपर तक थी.. लेकिन में मौके के इंतज़ार में घूमती रही कि कब वो बैठे और में स्कर्ट के नीचे से नज़ारा देख सकूं. फिर वो हॉल में आकर टीवी के सामने बैठ गयी और में उसकी तरह मुहं करके बैठ गयी और उसके टाँगें खुलने का इंतज़ार करने लगी. तभी सुधा की नज़र मुझ पर पड़ी और में तब भी उसके बूब्स की तरफ़ देख रही थी फिर वो कुछ बोली नहीं.. लेकिन थोड़े टाईम बाद उठकर वहाँ से चली गयी और अब सुधा को भी मुझ पर शक होने लगा .था और फिर यह सिलसिला चलता रहा और सुधा का शक धीरे धीरे यकीन में बदल गया. मेरे मित्रगणों  क्या मलाई वाला माल लग रहा था.    

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 चुदाई की कहानी जरूर सुनना चाहिए मजे के लिए फिर एक दिन वो मुझसे बहुत तंग आकर मुझसे हंसकर कहने लगी कि मैंने कभी सोचा नहीं था कि में कभी मेरी बेटी से यह बात कहूँगी.. लेकिन आज कल तेरी नज़र कुछ बदली बदली सी लगने लगी है. मेरे ऊपर तो चुदाई  का भूत सवार हो रहा था और में कुछ सोचे बिना उसके बिल्कुल पास आ गयी और सुधा चुपचाप खड़ी थी. फिर मैंने धीरे धीरे अपने होंठ उसके होठों से टच कर दिया और वो लम्बी लम्बी सांसे लेनी लगी और फिर उसी टाईम वो मुझे धक्का देकर चली गयी और बोलने लगी कि पागल हो गयी है क्या? यह सब ग़लत है. फिर उसके बाद बहुत दिनों तक वो यही कहती रही कि यह ग़लत है.. लेकिन वो भी क्या करती? वो भी तो कई बरसों से चुदाई  की प्यासी थी. एक दिन में नहा रही थी और में कभी दरवाज़ा बंद नहीं करती क्योंकि घर में सिर्फ़ हम दोनों ही थे. सुधा का ध्यान नहीं था और वो अचानक से बाथरूम में घुस आई अंदर घुसते ही वो मुझे देखकर खड़ी की खड़ी रह गयी और मुझे देखती रही और फिर मेरे और पास आकर जोर से मुझे किस करने लगी 5 मिनट हम किस करते रहे और फिर वो रुक गयी. तो मैंने कहा कि क्या हुआ? वो बोली कि अभी बस और नहीं और फिर वहाँ से वो चली गयी. में भी टावल डालकर बाहर आई तो देखा वो बाहर बैठी थी. मैंने फिर से पूछा कि क्या हुआ? तो वो बोली कि मुझे यह सब नहीं करना है और में उसके पास बैठ गयी और कहा कि बहुत मज़ा आएगा.. छोड़ो ना अब यह सब नखरे. तो वो बोली कि क्या मज़ा? तू क्या कोई मर्द है? तो में बोली कि अच्छा चलो अपनी कोई चुदाई  में सोच बताओ कि तुम क्या चाहती हो? और में उसे पूरा करूँगी. फिर वो सोचने लगी और शरमाने लगी और धीरे से बोली कि कोई मुझे पकड़ कर मेरा रेप करे. तो में बोली कि चलो रोल प्ले करते है और में आज तुम्हारा रेप करूँगी. साथियो की पुराणी मॉल छोड़ने का मजा ही कुछ और है.

 अब सुनिए चुदाई की असली कहानी फिर सुधा कुछ टाईम तक तो ना ना करती रही और फिर बाद में मान गयी. मैंने कहा कि.. लेकिन ऐसे नहीं ढंग से करेंगे आप साड़ी पहनना में आदमी के कपड़े पहनूंगी और नकली लंड लगा लूँगी. फिर सुधा ने साड़ी पहन ली और मैंने नकाब लगा कर मेरे भाई का एक कोट पेंट पड़ा था वो पहन लिया. मेरा भाई मुझसे छोटा था तो उसका सूट मुझे बिल्कुल फिट आया और फिर मैंने सुधा को कहा कि तू किचन में खड़ी हो जा.. में गेट के पास से आऊंगी और यह सोचना कि तेरा सही में रेप हो रहा है. में गेट के पास चली गयी और फिर भागकर आई और सुधा को पकड़ लिया और वो जोर जोर से चिल्लाने लगी. मैंने उसका ब्लाउज पकड़ा और उतारने की कोशिश की तो वो छूटकर भागने लगी. मैंने उसको पकड़कर एक जोर से थप्पड़ मारा वो नीचे गिर गयी और बिल्कुल फिल्म की .हिरोईन की तरह कहने लगी कि भगवान के लिए मुझे छोड़ दो. मेरे मित्रगणों  एक बार चोदते  चोदते  मेरा लंड घिस गया.

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 वहा का माहौल बहुत अच्छा था  मेरे मित्रगणों   फिर में उसे खींचकर बेडरूम में ले गयी और दरवाज़ा लॉक कर दिया और उसे ज़बरदस्ती किस करने लगी. वो मुझे धक्का दे रही थी.. मैंने एक और जोर से थप्पड़ मारा वो जोर जोर से रोने लगी और मैंने उसे पकड़ कर उसके सारे कपड़े फाड़ दिए और अपने कपड़े भी उतार दिए और अपनी पेंटी उसके मुहं में डाल दी और सीधा एकदम से पूरा 8 इंच का मेरा नकली लंड उसकी चूत में पूरा का पूरा एक बार में ही डाल दिया. फिर वो बहुत जोर से चिल्लाने लगी और मैंने उसके बाद करीब 30 मिनट तक उसके बूब्स चूसे और उसे कुत्तों की तरह उसे छोड़ा और फिर मैंने उसके खींचकर उल्टा कर दिया और में बोली कि अब रंडी तेरी गांड चोदूंगा. वो बिल्कुल सहम गयी और बोली कि नहीं.. नहीं.. नहीं गांड नहीं. मैंने उसके बड़े बड़े चूतड़ो पर एक खींचकर थप्पड़ मारा तो उसके चूतड़ टमाटर की तरह लाल हो गये वो और ज़ोर से चिल्लाने लगी. मैंने नकली लंड गांड में लगाया और उसकी गांड में एक धक्के से आधा अंदर कर दिया और धीरे धीरे पूरा अंदर कर दिया और ऐसे ही उसे 1 घंटे चोदा और तब तक में बहुत थक गयी थी और में थककर उसके ऊपर ही लेट गयी. फिर हमने एक किस किया और सुधा बोली कि मज़ा आ गया अंजनी . फिर हम दोनों वहीं पर सो गये और उसके बाद से हम रोज़ ऐसे ही चुदाई करने लगे. मेरे मित्रगणों  उस लड़की मैंने चुत का खून निकल दिया मेरे मित्रगणों  एक बार मैंने अपने गांव के लड़की जबरजस्ती चोद दिया मेरे मित्रगणों  एक बार स्कूल में चुदाई कर दिया बड़ा मजा आया.

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