पहले खाला फिर हलाला – ३
सुबह पांच बजे मेरी आँख खुली तो नूरी खाला मुझसे से चिपट कर सो रही थीं. वे मेरे सीने से लिपटी हुई सोते हुए बड़ी प्यारी और मासूम लग रही थीं, उनको देखते ही मेरा संयम टूट गया. सोते देख मुझे उन पर प्यार आ गया और धीरे से मैंने उनकी गोरी पेशानी चूम ली. मेरे स्पर्श से वह जग गईं और बड़े प्यार से बोलीं- मेरी आँख लग गयी थी. मैंने पूछा खाला- आपकी तबीयत कैसी है? “हम्म …” मैंने प्यार से उनके गुलाबी होंठों को चूमते हुए पूछा- क्या आपको अच्छा नहीं लगा? वे धीरे से बोलीं- अच्छा तो लगा … मजा भी बहुत आया … पर दर्द बहुत हुआ. मैंने उनकी चूची मसल दी तो कराहते हुए उन्होंने मेरे होंठों को चूम लिया- आराम से करो न … मेरे राजा मैं पूरी तुम्हारी हूँ. मैंने फिर से चूची मसली तो शरमाते हुए उन्होंने कहा- तुमने अपनी खाला …