Drishyam, ek chudai ki kahani-7
हेल्लो दोस्तों, अब आगे की कहानी पढ़िए! सिम्मी ने डरते हुए पर अनिवार्य को स्वीकारते हुए कालिया का तगड़ा चिकना लण्ड अपने हाथ में लिया और उसे स्त्री सहज कर्तव्य भावना से सहलाने लगी। उसके सहलाने में प्यार कम और भय ज्यादा था। कालिया के लण्ड को अपनी चूत के छिद्र में घुसने में जितनी ज्यादा देर लगे उतना अच्छा यह सोच कर सिम्मी कालिया के लण्ड को सहलाये जा रही थी। अब यही लण्ड उसकी चूत में जाना था। वह कैसे घुसेगा यह चिंता सिम्मी को खाये जा रही थी। उसे मन ही मन में यह डर था की कहीं उस रात की चुदाई के बाद वह ज़िंदा नहीं बचेगी। जब कालिया उसकी चूत में लण्ड डालेगा तो उसका क्या हाल होगा वह भगवान ही जाने। पर जो होना है वह तो होना ही है। यह सत्य सिम्मी समझ चुकी थी। उसे कालिया का लण्ड अपनी चूत में डलवाना …