चाचा का लण्ड चूसा और खींच खींच कर रस निकालने लगी
चाचा का लण्ड चूसा और खींच खींच कर रस निकालने लगी मेरे घर वाले जब अहमदाबाद में जब सेटल हुए तो मुझे पापा ने होस्टल में डाल दिया। होस्टल में रह कर मैंने एस.सी. की पढ़ाई पूरी की थी। मेरे होस्टल के पास ही पापा के एक दोस्त रहते थे, पापा ने उन्हें मेरा गार्जियन बना दिया था। वो चाचा करीब 54 55 साल के थे। उनका बिजनेस बहुत फ़ैला हुआ था। एक तो उन्हें बिजनेस सम्हालना और फ़िर टूर पर जाना… उन्हें घर के लिये समय ही नहीं मिलता था। आन्टी नहीं रही थी… बस उनके दो लड़के थे, जो बिजनेस में उनका साथ देते थे। घर पर वो अकेले रहते थे।उन्होने घर की एक चाबी मुझे भी दे रखी थी। मैंकम्प्यूटर के लिये रोज़ शाम को वहां जाती थी… चाचाकभी मिलते…कभी नहीं मिलते थे… उस दिन मैं जबघर गई तो चाचा ड्रिंक कर रहे थे और कुछ काम कर रहेथे… मैं रोज़ की तरह कम्प्यूटर पर अपने ईमेल चेककरने लगी…आज चाचा मुझे घूर रहे थे… मुझे भी अहसास हुआ किआज …चाचा कुछ मूड में हैं…“नेहा मुझे लगता है तुम्हें कम्प्यूटर की बहुत जरूरत हैक्योंकि तुम रोज़ ही कम्प्यूटर प्रयोग करती हो !”“हां चाचा… पर पापा मुझे अभी नहीं दिलायेंगे…” “तुम चाहो तो ये कम्प्यूटर सेट तुम्हारा हो सकता है… परतुम्हे मेरा एक छोटा सा काम करना पड़ेगा…” सुनते हीमैं उछल पड़ी…“सच चाचा… बोलो बोलो क्या करना पड़ेगा…” मैं उठकर चाचा के पास आ गई।“कुछ खास नहीं… वही जो तुम पहले कितनी ही बारकर चुकी हो…”“अरे वाह चाचा …… तब तो कम्प्यूटर मेरा हो गया……”मैं चहक उठी।“आओ… उस कमरे में…”मैं चाचा के पीछे पीछे उनके बेड रूम में चली आई।उन्होने अन्दर से रूम को बन्द करके कुन्डी लगा दी।मुझे लगा कि चाचा कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं करनेवाले हैं। मेरा शक सही निकला।उन्होने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा “नेहा… मैं बरसोंसे अकेला हूं… तुम्हें देख कर मेरी मर्दों वाली इच्छाभड़क उठी है… प्लीज़ मेरी मदद करो…” “चाचा… पर आप तो मेरे पापा के बराबर है…” मैंने कुछसोचते हुए कहा। एक तो मुझे कम्प्यूटर मिल रहा था…… पर चाचा ने ये क्यों कहा कि तुम पहले कितनी हीबार कर चुकी हो… चाचा को कैसे पता चला।“सुनो नेहा … तुम्हे मुझे कोई खतरा नहीं है… क्योंकिअब मेरी उमर नहीं रही… और फिर मेरा घर तो तुम्हारेलिये खुला है…तुम चाहो तो तुम्हारे दोस्त को भी यहाबुला सकती हो” मैं समझ गई कि चाचा ये सब पता चल चुका है…अचानक मुझे सब याद आ गया… शायद चाचा को मेराईमेल एड्रेस और पासवर्ड मिल गया था…जो गलती सेमेज पर ही लिखा हुआ छूट गया था।“चाचा… मेरा मेल पढ़ते है ना आप…” चाचा मुस्करादिये। मैं उनकी छाती से लग गई।” थैंक्स नेहा…” कह कर उन्होंने मेरे चूतड़ दबा दिये। मैंनेअपने होंठ उनकी तरफ़ बढ़ा दिये… उन्होने मेरे होंठो सेअपने होंठ मिला दिये… दारू की तेज महक आई…चाचा ने मेरी जीन्स ढीली कर दी… फिर मैंने स्वयं हीझुक कर उतार दी… टोप अपने आप ही उतार दिया।चाचा ने बड़े प्यार से मेरे जिस्म को सहलाना शुरु करदिया। मेरे बोबे फ़ड़क उठे… ब्रा कसने लगने लग गई…पेंटी तंग लगने लगी… पर मुझे कुछ भी करने कीजरूरत नहीं पड़ी… चाचा ने खुद ही मेरी पुरानी सी ब्राखींच कर उतार दी और पैंटी भी जोश में फ़ाड़ दी।“चाचा ये क्या… अब मैं क्या पहनूंगी…” मैंने शिकायतकी।“अब तुम मेरी रानी हो… तुम ये पहनोगी… नही… मेरेसाथ चलना… एक से एक दिला दूंगा……” चाचा जोशमें भरे बोले जा रहे थे। मुझे नंगी करके चाचा ने बिस्तरपर लेटा दिया। मेरे पांव चीर दिये और मेरी चूत परअपने होन्ठ लगा दिये। मेरी चूत में से पानी निकलनेलगा… चुदने की इच्छा बलवती होने लगी। मेरा दाना भीफ़ड़कने लगा… चाचा जीभ से मेरे दाने को चाट रहे थे…साथ में जीभ चूत में भी अन्दर जा रही थी। मेरीउत्तेजना बढ़ती जा रही थी। अब चाचा ने मेरे पांव औरऊपर उठा दिये…मेरी गाण्ड ऊपर आ गई… उन्होने मेरीचूतड़ की दोनो फ़ांके अपने हाथों से चौड़ा दी। औरगाण्ड के छेद पर अपनी जीभ घुसा दी और गाण्ड कोचाटने लगे। मुझे गाण्ड पर तेज गुदगुदी होने लगी।“हाय चाचा… बहुत मजा आ रहा है…” कुछ देर गाण्ड चटने के बाद उनके हाथ मेरे बदन कीमालिश करने लगे… अब मैं चाचा से लिपट पड़ी…उनकी कमीज़ और दूसरेकपड़े उतार फ़ेंके। उनका बदन एकदम चिकना था…कोई बाल नहीं थे… गोरा बदन… लम्बा और मोटा लण्डझूलता हुआ। सुपाड़ा खुला हुआ …लाल मोटा औरचिकना। मैंने चाचा का लण्ड पकड़ लिया और दबानाशुरू कर दिया। चाचा के मुह से सिसकारी निकलनेलगी।“आहऽऽऽ नेहा… कितने सालों बाद मुझे ये सुख मिलाहै… हाय… मसल डाल…”मैंने चाचा का लण्ड मसलना और मुठ मारना चालू करदिया। वो बिस्तर पर सीधे लेट गये उनका लण्ड खड़ा होचुका था… मेरे से रहा नहीं गया… मैं उनके ऊपर बैठ गईऔर चूत के द्वार पर लण्ड रख दिया। मैंने जोश में जोरलगा कर सुपाड़ा को अन्दर लेने की कोशिश करनेलगी… पर लण्ड बार बार इधर उधर मुड़ जाता था…शायद लण्ड पर पूरी तनाव नहीं आया था।“चाचा……ये तो हाय…जा नहीं रहा है…” मैं तड़पउठी…” बस ऐसे ही मुझे रगड़ती रहो… लण्ड मसलती रहो…।”मैं चाचा से ऊपर ही लिपट पड़ी और चूत को उनकेलण्ड पर मारने लगी। पर वो नहीं घुस रहा था। मैं उठीऔर उनके लण्ड को मुख में ले कर चूसने लगी… उन्केलण्ड मे बस थोड़ा सा उठान था। सीधा खड़ा था परनरम था… चाचा अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मेरेमुख को ही चोदने लगे। मैंने उनका सुपाड़ा बुरी तरह सेचूस डाला और दांतो से कुचला भी… नतीजा… एकतेज पिचकारी ने मेरे मुख को भिगा दिया…चाचा ज्यादासह नहीं पाये थे। चाचा जोर लगा लगा कर सारा वीर्यमेरे मुख में निकाल रहे थे। मैंने कोशिश की कि ज्यादा सेज्यादा मैं पी जाऊं। मैं उनका लण्ड पकड़ कर खींचखींच कर रस निकालने लगी… चाचा का सारा मालबाहर आ चुका था। उनका सारा जोश ठंडा पड़ चुकाथा… उनका लण्ड और भी ज्यादा मुरझा गया था। औरवो थक चुके थे।मैं पलंग से उतर कर नीचे बैठ गई और दो अंगुलियों कोचूत मे डाल कर अन्दर घुमाने लगी… कुछ ही देर में मैंभी झड़ गई। मैं जल्दी से उठी और बाथ रूम में जा करमुंह हाथ धो आई… चाचा दरवाजे पर खड़े थे…” नेहा… तुम्हे कैसे थैंक्स दूं… आज से ये घर तुम्हाराहै…आओ भोजन करें…”“चाचा… पर आपका तो खड़ा होता ही नहीं है… फिरभी इतना ढेर सारा पानी कैसे निकला…”“बेटी… बस ये ही तो खड़ा नहीं होता है… इच्छायें तोवैसी ही रहती हैं… इच्छायें शांत हो जाती है तो ही काममें मन लगता है…”बाहर से नौकर को बुला कर डिनर लगवा दिया… औरकहा,” मेरी कार ले जाओ … और ये कम्प्यूटर सेट नेहाबेटी के होस्टल में लगा दो।मैं खुश थी कि बिना चुदे ही कम्प्युटर मुझे मिल गया।डिनर के बाद मैं होस्टल जाने लगी तो एक बार चाचा नेफिर से मुझे गले लगा लिया।“चाचा … प्लीज़ आप दुखी मत होईये… आपकी नेहा हैना… आपका पूरा खयाल रखेगी…” चाचा को किसकरके मैं होस्टल की तरफ़ चल पड़ी।चाचा मुझे जाते हुए प्यार से निहारते रहे……