रितिका | Desi Antarvasna kahani

मैं विशाल एक बार फिर हाज़िर हूँ आप सबके सामने, आजकल मैं गुडगाँव में रह रहा हूँ अपनी जॉब की वजह से !

मेरी पहली कहानी ‘क़यामत थी यारो’ के बाद मुझे बहुत मेल मिले, आप सभी का उत्तर भी मैंने दिया है ज्यादातर लोग उस लड़की का नंबर और नाम जानना चाहते हैं तो दोस्तो, उसका नाम रितिका है पर मुझे माफ़ करना मैं उसका नंबर नहीं दे सकता।
आप लोगों के मेल के बाद मैं आगे की कहानी आप तक पहुँचा रहा हूँ।


उस रात के बाद करीब दो महीने बाद मुझे रितिका का कॉल आया, उसने कहा कि वो मुझे अपनी पक्की सहेली से मिलवाना चाहती है और रात 8 बजे गौरव टावर पर मेरा इंतज़ार करेगी। मैं भी उससे मिलने तय वक्त पर वहाँ पहुँच गया और उस रात वो और भी ज्यादा हॉट लग रही थी और उसके साथ जो उसकी सहेली थी, वो थोड़ी सी सांवली थी पर शरीर से तो क्या लड़की थी ! मतलब फिगर मस्त था उसका, उसकी चूची का साइज़ भी कोई 36 होगा और गाण्ड तो जैसे बज बज कर मस्त हो चुकी थी।
वहाँ पहुँचते ही रितिका ने मुझे चूमा और मेरी नजर उसकी सहेली से थोड़ी देर के लिए हट गई और फ़िर रीतिका ने मेरा परिचय शीतल से करवाया, यही नाम था उसका !


उसके बाद हम वहाँ से राम बाग के पास एक होटल में गए, वहाँ पर उसने मेरी और रितिका की पूरी गाथा सुनी और रात एक 1:30 बजे तक हमने बातें की और दारू पी।
हम तीनों में शीतल बहुत ज्यादा नशे में थी और रितिका भी मुझे उनके साथ ही घर चलने के लिए कहने लगी, मैंने उसकी बात मान ली और अपनी बाइक वहीं पर अपने दोस्त के यहाँ खड़ी करके मैं उनके साथ उनके घर चला गया।
घर वास्तव में बहुत बड़ा था और रितिका ने शीतल से चाबी ले कर वहां का दरवाजा खोला तो मैं समझ गया कि यह घर शायद शीतल का है।


मैं और रितिका शीतल को सहारा देकर उसके कमरे में ले गए। अंदर जाते ही शीतल मुझ से लिपट गई और रितिका एक तरफ़ होकर कुर्सी पर बैठ गई।


शीतल मुझे चूमने लगी और मैं उसका साथ देने लगा। रितिका ने सिगरेट जलाई और कुर्सी पर बैठे हुई हमें देख रही थी।
मुझे अजीब सा लग रहा था पर उसके चुम्बन करने का स्टाइल भी मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। हमें ऐसे देख कर रितिका भी गर्म होने लगी, वो भी जब मुझे किस करने के लिए आगे बढ़ी तो शीतल मेरे तरफ चूतड़ करके मुझसे चिपक गई और रितिका की तरफ उंगली करके बोली- साली रंडी, कितनी भूख है तुझे सेक्स की? अभी परसों ही तो चुदी थी ना? और तू तो इससे पहले भी चुद चुकी है, आज पहले मैं फिर तू !

Read New Story..  Bhai - Bahan Ya Pati - Patni


और अचानक ही रितिका वापस बैठ गई फिर मैं और शीतल फ़िर से चूमाचाटी करने लगे। इसी दौरान मैंने शीतल की टॉप धीरे से निकाल दी और उसके मोम्मे दबाने लगा।


वो तो जैसे पागल सी हो गई, मैंने उसे बिस्तर पर लेटाया और उसके बदन के एक-एक अंग को चूमने लगा जिससे वो और भी ज्यादा गर्म होने लगी और मैंने शीतल की ब्रा भी उतार दी। उधर मैंने देखा कि रितिका ने अपनी पेंटी निकल दी है और अब वो अपनी चूत में उंगली कर रही है। शीतल में न जाने कहाँ से जान आ गई और वो मेरे ऊपर सवार हो गई और मुझे नीचे लिटा दिया, धीरे धीरे मेरी शर्ट का एक-एक बटन खोल कर मेरे छाती को चूमने लगी फिर मेरी पैंट खोल कर मेरे लौड़े को मुँह में ले कर चूमने लगी और मैं जैसे पागल सा हो रहा था मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
अचानक से रितिका आई और मेरे मुँह पर अपनी चूत रख कर चाटने के लिए कहने लगी। मैं उसकी चूत चाटने लगा और साथ साथ उसके चुच्चे भी दबाने लगा और अपने पैरों को शीतल के चूतड़ों पर फिराने लगा जिससे वो और भी ज्यादा उत्तेजित हो गई।
शीतल मेरा लण्ड चूस रही थी और जब मेरा छुटने वाला था तो मैंने शीतल को नहीं बताया और सारा माल उसके ही मुँह में गिरा दिया, वो भी मेरा सारा रस पी गई।


उसके बाद मेरा लंड फिर से बैठ गया तो शीतल ने फिर से चूस चूस कर उसे खड़ा कर दिया और रितिका ने भी अपना चूत का पानी मेरे मुँह पर छोड़ दिया जिससे मैं उत्तेजित हो गया और मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।
यह देखते ही शीतल अचानक से मेरे लंड को अपनी चूत में डाल कर उसके ऊपर बैठ गई और जैसे मुझे चोद रही हो वो पूरी जान लगा कर आवाज निकाल रही थी- आह… ऊह… येह…
उसकी आवाज से सारा कमरा गूंज रहा था, दूसरी तरफ रितिका भी झड़ चुकी थी तो मैं अपनी उंगली से उसकी गांड को चोद रहा था।
और अब मेरी आहें भी निकलने लगी थी जिससे हम तीनों की आवाज से कमरा गूंज गया था।
और शीतल अचानक चिल्ला उठी- फाड़ दे मेरी साली चूत को ! बहुत तड़पाती है कुतिया ! और इस मां की लौड़ी रितिका भी तेरे से अकेली अकेली चुद गई, और इस राण्ड ने मुझे अब बताया है एक हफ़्ते पहले ! और ये मादरचोद की औलाद तो तुमसे मिलवा भी नहीं रही थी, वो तो जब मैंने ही जिद की तो मानी ये बहनचोद !
मैंने कहा- चिंता न कर जानेमन, तुझे भी अपना नाम याद न दिला दिया तो बात रही ! और जो तू इतना मचल रही है, मैं भी देखता हूँ कल कैसे चल पाती है तू !
मेरे इतना कहते ही वो झड़ गई और मैं अभी भी गेम में था, तो वो मेरे ऊपर से हट गई और बाथरूम चली गई। मैंने उठ कर रितिका को दीवार से लगा कर झुकाया और पीछे से उसकी चूत में पेल दिया।
अब वो जोर जोर से चिल्लाने लगी, मैं और जोर जोर से उसे चोदने लगा और बोला- घर मैं कोई और फ़ुद्दी भी है क्या?
वो बोली- क्यूँ?

Read New Story..  खड़े लंड पर धोखा-2


तो मैंने बोला- तो इस तरह चिल्ला कर बुलाना किसे चाहती है?
तो वो हंसने लगी और मैंने उसके चूचे इतनी जोर से मसले कि उसकी चीखें निकल गई।
अब मेरा भी छुटने वाला था तो मैंने पूछा- अन्दर ही डालवाएगी क्या कुतिया?


तो बोली- हाँ मेरे कुत्ते ! जानेमन, बहुत टाइम से अन्दर डालने का मज़ा नहीं लिया।और मैंने सारा माल अंदर ही डाल दिया।
इतने में शीतल भी अंदर से आ चुकी थी और मैं रितिका को बाहों में भर कर बाथरूम ले गया। वह हमने एक दूसरे को साफ़ किया। और बाहर आकर मैंने कहा- अब मुझे भूख लग रही है।
तो शीतल ने भी हाँ में सर हिला दिया और हम नंगे ही रसोई की ओर जाने लगे।
रसोई में जाकर देखा तो वह पहले से खाना बना रखा था, मैंने पूछा तो शीतल ने बताया- ये तो मैंने पहले ही बनवा लिया था, मुझे पता था कि इतनी मेहनत के बाद भूख तो लगेगी ही।
और हम तीनों खाना बेडरूम में ही ले आये और तीनों ने एक दूसरे को खाना खिलाया। खाने के बाद शीतल फ्रिज से ‘रोयल स्टेग’ की बोतल और तीन गिलास ले आई।


मैंने देख कर पूछा- पहले की उतर गई क्या?
तो बोली- वो तो झड़ने के साथ ही हवा हो गई थी।


उसने तीन गिलासों में पटियाला पेग बनाया और उसे लेने के बाद मैं शीतल के स्तन दबाने लगा और रितिका मेरा लंड चूसने लगी। और इस बार मैंने रितिका को लिटा कर उसकी गांड में अपना लण्ड गाड़ दिया। वो दर्द से चिल्लाने लगी, मुझे भी कुछ असर मेरे लंड पर महसूस हो रहा था, मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- जान, आराम से करो ना ! तुम्हारे बाद किसी से नहीं मरवाई है। यह कहानी आप नाईट डिअर डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
और फिर मैंने थोड़ा सा तेल लगा कर डाला तो आराम से लंड अन्दर चला गया और शीतल ने अपनी चूत रितिका के मुँह पर रख दी और उसके बाल पकड़ कर उसे अपनी चूत चटाने लगी, मैं जोर जोर से उसे चोदने लगा और उसकी आवाजों का भी साथ देने लगा।
हम दोनों की आवाज पूरी कमरे में थी। फिर मैं और रितिका दोनों एक साथ झड़ गए और मैं रितिका से अलग हो कर लेट गया, तो शीतल बोली- यार, मैं भी भी तो हूँ !

Read New Story..  Naukrani nee paise ke lia apni aur apni behan ki choot bechi


मैंने अपने लंड की तरफ इशारा किया तो वो भाग कर आई और मेरा लंड मुँह में लेकर उसे चाटने लगी और मैं पीछे से उसकी गुदा में उंगली करने लगा जिससे वो उत्तेजित होने लगी और म्मम्म आआ ऊऊऊ… की आवाज करने लगी और थोड़ी ही देर में मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया और मैंने वो शीतल की गांड में डाल दिया और पूरे जोर से उसे चोदने लगा।
शीतल मेरे से पहले झर गई पर मैं तो अभी अभी झरा था तो मैं अपना सारा जोर लगा कर उसे चोदने लगा, मैंने उसे नहीं छोड़ा और मैं उसे चोदता रहा वो भी मेरे लंड की मार सहती रही और मैंने उसे तब तक चोदा जब तक मेरा दुबारा नहीं छुट गया।
सच बताऊँ तो अब मैं पूरा थक चुका था और शीतल के ऊपर ही मैं लेट गया।
और रितिका तो पहले ही सो चुकी थी। हम ऐसे ही सो गए।


हमें अगले दिन सुबह दस बजे एक सुन्दर सी औरत ने जगाया। उसे देखते ही मैंने चादर अपने ऊपर ओढ़ ली और रितिका को उठाने लगा।
उसने उठते ही बोला- भाभी आप??
भाभी मेरी तरफ देख कर बोली- तुम कौन हो?
तो मैंने कहा- जी, मैं इन दोनों का दोस्त हूँ !
भाभी ने कहा- अच्छी दोस्ती निभा रहे हो… अब कपड़े पहनो और निकलो, शीतल के भैया ने देख लिया तो हंगामा हो जायेगा।
और मैं वहाँ से रितिका, शीतल और उनकी भाभी को बाय कह कर चला आया।
आगे की कहानी फिर कभी बताऊँगा, आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे बताना जरूर, आपके मेल का इन्तजार रहेगा मुझे…

Rate this post
error: Content is protected !!