कामसिन साली का प्यार: जीजा-साली की गर्म चुदाई कहानी हिंदी में

पढ़िए यह सेक्सी हिंदी कहानी जहां एक विधुर जीजा अपनी कामसिन साली रिंकू के साथ प्यार और वासना की हदें पार करता है। फिल्म से उत्तेजित होकर घर लौटने पर जीजा साली को बहलाता है, मालिश से शुरू होकर गर्म चुदाई तक पहुंचती है यह स्टोरी। सहमति और मस्ती से भरी यह कामुक कथा, जिसमें चूसना, चाटना और जोरदार चोदना शामिल है।

भरी जवानी में औरत के बिना जीवन गुजारना और ऊपर से एक बच्चे की परवरिश की जिम्मेदारी सचमुच बहुत मुश्किल थी। लेकिन छोटी साली रिंकू ने नवजात बच्चे को अपनी छाती से लगाकर घर को काफी कुछ संभाल लिया। दीदी के गुजरने के बाद रिंकू अपनी माँ के कहने पर कुछ दिनों के लिए मेरे पास रहने आई थी। रिंकू तो वैसे ही खूबसूरत थी, बदन में जवानी के लक्षण उभरने से और भी सुंदर लगने लगी थी। औरत के बिना मेरा जीवन बिलकुल सूना-सूना सा हो चुका था। लेकिन सेक्स की आग मेरे शरीर और मन में दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी। रातें गुजारना मुश्किल हो गया था। कभी-कभी अपनी साली रिंकू की कामसिन गोलाइयों को देखकर मेरा मन ललचाने लगता था। मगर वो मेरी सगी साली थी, यही सोचकर अपने मन पर काबू कर लेता था। फिर भी कभी-कभी मन बेकाबू हो जाता और जी चाहता कि रिंकू को नंगी करके अपनी बाहों में भर लूँ।

उसके छोटे-छोटे कसे हुए चूचियों को मुँह में भरकर देर तक चूसता रहूँ और फिर उसे बिस्तर पर लेटाकर उसकी नन्हीं सी चूत में अपना मोटा लंड घुसाकर खूब चोदूँ।

एक दिन मैं अपने ऑफिस के एक दोस्त के साथ एक इंग्लिश फिल्म देखने गया। फिल्म बहुत ज्यादा सेक्सी थी। नग्नता और संभोग के दृश्यों की भरमार थी। फिल्म देखते हुए मैं कई बार उत्तेजित हो गया था। सेक्स का बुखार मेरे सर पर चढ़कर बोलने लगा था। घर लौटते समय मैं फिल्म के चुदाई वाले सीन को बार-बार सोच रहा था और जब भी उन्हें सोचता, रिंकू का चेहरा मेरे सामने आ जाता। मैं बेकाबू होने लगा था। मैंने मन बना लिया कि आज चाहे जो भी हो, अपनी साली को चोदूँगा जरूर। घर पहुँचने पर रिंकू ने ही दरवाजा खोला। मेरी नजर सबसे पहले उसके भोले-भाले मासूम चेहरे पर गई, फिर टी-शर्ट के नीचे ढकी हुई उसकी नन्हीं चूचियों पर और फिर उसकी टाँगों के बीच चड्डी में छुपी हुई छोटी सी मक्खन जैसी मुलायम बुर पर। मुझे अपनी ओर अजीब नजरों से देखते हुए पकड़ रिंकू ने पूछा, “क्या बात है जीजू, ऐसे क्यों देख रहे हैं?”

मैंने कहा, “कुछ नहीं रिंकू… बस ऐसे ही… तबीयत कुछ खराब हो गई।”

रिंकू बोली, “आपने कोई दवा ली या नहीं?”

“अभी नहीं,” मैंने जवाब दिया और फिर अपने कमरे में जाकर लुंगी पहनकर बिस्तर पर लेट गया।

थोड़ी देर बाद रिंकू आई और बोली, “कुछ चाहिए जीजू?”

जी में तो आया कि कह दूँ “साली, मुझे चोदने के लिए तुम्हारी चूत चाहिए।” पर मैं ऐसा कह नहीं सकता था।

मैंने कहा, “रिंकू, मेरी टाँगों में बहुत दर्द है। थोड़ा तेल लाकर मालिश कर दो।”

“ठीक है जीजू,” कहकर रिंकू चली गई और फिर थोड़ी देर में एक कटोरी में तेल लेकर वापस आ गई। वो बिस्तर पर बैठ गई और मेरी दाहिनी टाँग से लुंगी घुटने तक उठाकर मालिश करने लगी। अपनी 18 साल की साली के नाजुक हाथों का स्पर्श पाकर मेरा लंड तुरंत ही कठोर होकर खड़ा हो गया।

थोड़ी देर बाद मैंने कहा, “रिंकू, ज्यादा दर्द तो जाँघों में है। थोड़ा घुटने के ऊपर भी तेल मालिश कर दे।”

“जी जीजू,” कहकर रिंकू ने लुंगी को जाँघों पर से हटाना चाहा। तभी जानबूझकर मैंने अपना बायाँ पैर ऊपर उठाया जिससे मेरा फुफकारता हुआ खड़ा लंड लुंगी के बाहर हो गया। मेरे लंड पर नजर पड़ते ही रिंकू सकपका गई। कुछ देर तक वो मेरे लंड को कनखियों से देखती रही। फिर उसे लुंगी से ढकने की कोशिश करने लगी। लेकिन लुंगी मेरी टाँगों से दबी हुई थी इसलिए वो उसे ढक नहीं पाई। मैंने मौका देखकर पूछा,

“क्या हुआ रिंकू?”

“जी जीजू, आपका अंग दिख रहा है,” रिंकू ने सकुचाते हुए कहा।

“अंग, कौन सा अंग?” मैंने अनजान बनकर पूछा।

जब रिंकू ने कोई जवाब नहीं दिया तो मैंने अंदाज से अपने लंड पर हाथ रखते हुए कहा, “अरे! ये कैसे बाहर निकल गया?” फिर मैंने कहा, “साली, जब तुमने देख ही लिया तो क्या शर्माना, थोड़ा तेल लगाकर इसकी भी मालिश कर दो।”

मेरी बात सुनकर रिंकू घबरा गई और शर्माते हुए बोली,

“छी जीजू, कैसी बात करते हैं, जल्दी से ढकिए इसे।”

“देखो रिंकू, ये भी तो शरीर का एक अंग ही है, तो फिर इसकी भी कुछ सेवा होनी चाहिए ना।

तुम्हारी जीजी जब थी तो इसकी खूब सेवा करती थी, रोज इसकी मालिश करती थी। उसके चले जाने के बाद बेचारा बिलकुल अनाथ हो गया है। तुम इसके दर्द को नहीं समझोगी तो कौन समझेगा?” मैंने इतनी बात बड़ी ही मासूमियत से कह डाली।

“लेकिन जीजू, मैं तो आपकी साली हूँ। मुझसे ऐसा काम करवाना तो पाप होगा,”

“ठीक है रिंकू, अगर तुम अपने जीजू का दर्द नहीं समझ सकती और पाप-पुण्य की बात करती हो तो जाने दो।” मैंने उदासी भरे स्वर में कहा।

“मैं आपको दुखी नहीं देख सकती जीजू। आप जो कहेंगे, मैं करूँगी।” मुझे उदास होते देखकर रिंकू भावुक हो गई थी। उसने अपने हाथों में तेल चिपोड़कर मेरे खड़े लंड को पकड़ लिया। अपने लंड पर रिंकू के नाजुक हाथों का स्पर्श पाकर, वासना की आग में जलते हुए मेरे पूरे शरीर में एक बिजली सी दौड़ गई। मैंने रिंकू की कमर में हाथ डालकर उसे अपने से सटा लिया।

“बस साली, ऐसे ही सहलाती रहो। बहुत आराम मिल रहा है।” मैंने उसे पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा।

थोड़ी ही देर में मेरा पूरा जिस्म वासना की आग में जलने लगा। मेरा मन बेकाबू हो गया। मैंने रिंकू की बाह पकड़कर उसे अपने ऊपर खींच लिया। उसकी दोनों चूचियाँ मेरी छाती से चिपक गईं। मैं उसके चेहरे को अपनी हथेलियों में लेकर उसके होंठों को चूमने लगा। रिंकू को मेरा यह प्यार शायद समझ में नहीं आया।

वो कसमसाकर मुझसे अलग होते हुए बोली, “जीजू ये आप क्या कर रहे हैं?”

“रिंकू आज मुझे मत रोको। आज मुझे जी भरकर प्यार करने दो।”

“लेकिन जीजू, क्या कोई जीजा अपनी साली को ऐसे प्यार करता है?” रिंकू ने आश्चर्य से पूछा।

“साली तो आधी घरवाली होती है और जब तुमने घर संभाल लिया है तो मुझे भी अपना बना लो। मैं औरों की बात नहीं जानता, पर आज मैं तुम्हें हर तरह से प्यार करना चाहता हूँ। तुम्हारे हर एक अंग को चूमना चाहता हूँ। प्लीज आज मुझे मत रोको रिंकू।” मैंने अनुरोध भरे स्वर में कहा।

“मगर जीजू, जीजा साली के बीच ये सब तो पाप है।” रिंकू ने कहा। “पाप-पुण्य सब बेकार की बातें हैं साली। जिस काम से दोनों को सुख मिले और किसी का नुकसान न हो वो पाप कैसे हो सकता है?” मैंने अपना तर्क दिया।

“लेकिन जीजू, मैं तो अभी बहुत छोटी हूँ।” रिंकू ने अपना डर जताया।

“वह सब तुम मुझ पर छोड़ दो। मैं तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होने दूँगा।” मैंने उसे भरोसा दिलाया।

रिंकू कुछ देर गुमसुम सी बैठी रही तो मैंने पूछा, “बोलो साली, क्या कहती हो?”

“ठीक है जीजू, आप जो चाहें कीजिए। मैं सिर्फ आपकी खुशी चाहती हूँ।” मेरी साली का चेहरा शर्म से लाल हो रहा था।

रिंकू की स्वीकृति मिलते ही मैंने उसके नाजुक बदन को अपनी बाहों में भींच लिया और उसके पतले-पतले गुलाबी होंठों को चूसने लगा। उसका विरोध समाप्त हो चुका था। मैंने अपना एक हाथ उसके टी-शर्ट के अंदर डालकर उसकी छोटी-छोटी चूचियों को हल्के-हल्के सहलाने लगा। फिर उसके निप्पल को चुटकी में लेकर मसलने लगा। थोड़ी ही देर में रिंकू को भी मजा आने लगा और वो सी…सी…ई… करने लगी।

“मजा आ रहा है जीजू… आह… और कीजिए बहुत अच्छा लग रहा है।”

अपनी साली की मस्ती को देखकर मेरा हौसला और बढ़ गया। हल्के विरोध के बावजूद मैंने रिंकू की टी-शर्ट उतार दी और उसकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा। दूसरी चूची को मैं हाथों में लेकर धीरे-धीरे दबा रहा था। रिंकू को अब पूरा मजा आने लगा था। वह धीरे-धीरे बुदबुदाने लगी। “ओह… आह… मजा आ रहा है जीजू… और जोर-जोर से मेरी चूची को चूसिए… आह… आपने ये क्या कर दिया?… ओह… जीजू।”

अपनी साली को पूरी तरह से मस्त होती देखकर मेरा हौसला बढ़ गया। मैंने कहा,

“रिंकू मजा आ रहा है ना?”

“हाँ जीजू बहुत मजा आ रहा है। आप बहुत अच्छे तरीके से चूची चूस रहे हैं।” रिंकू ने मस्ती में कहा।

“अब तुम मेरा लंड मुँह में लेकर चूसो, और ज्यादा मजा आएगा।” मैंने रिंकू से कहा।

“ठीक है जीजू।” वो मेरे लंड को मुँह में लेने के लिए अपनी गर्दन को झुकाने लगी तो मैंने उसकी बाह पकड़कर उसे इस तरह लिटा दिया कि उसका चेहरा मेरे लंड के पास और उसके चूतड़ मेरे चेहरे की तरफ हो गए। वो मेरे लंड को मुँह में लेकर आइसक्रीम की तरह मजे से चूसने लगी। मेरे पूरे शरीर में हाई वोल्टेज का करंट दौड़ने लगा। मैं मस्ती में बड़बड़ाने लगा।

“हाँ रिंकू, हाँ… शाबाश… बहुत अच्छा चूस रही हो… और अंदर लेकर चूसो।”

रिंकू और तेजी से लंड को मुँह के अंदर-बाहर करने लगी। मैं मस्ती में पागल होने लगा।

मैंने उसकी स्कर्ट और चड्डी दोनों को एक साथ खींचकर टाँगों से बाहर निकालकर अपनी साली को पूरी तरह नंगी कर दिया और फिर उसकी टाँगों को फैलाकर उसकी चूत को देखने लगा। वाह! क्या चूत थी, बिलकुल मक्खन की तरह चिकनी और मुलायम। छोटे-छोटे हल्के भूरे रंग के बाल उगे थे। मैंने अपना चेहरा उसकी जाँघों के बीच घुसा दिया और उसकी नन्हीं सी बुर पर अपनी जीभ फेरने लगा।

चूत पर मेरी जीभ की रगड़ से रिंकू का शरीर गनगना गया। उसका जिस्म मस्ती में काँपने लगा। वह बोल उठी, “हाय जीजू… ये आप क्या कर रहे हैं… मेरी चूत क्यों चाट रहे हैं… आह… मैं पागल हो जाऊँगी… ओह… मेरे अच्छे जीजू… हाय… मुझे ये क्या होता जा रहा है…” रिंकू मस्ती में अपनी कमर को जोर-जोर से आगे-पीछे करते हुए मेरे लंड को चूस रही थी। उसके मुँह से थूक निकलकर मेरी जाँघों को गीला कर रहा था। मैंने भी चाट-चाटकर उसकी चूत को थूक से तर कर दिया था। करीब 10 मिनट तक हम जीजा-साली ऐसे ही एक-दूसरे को चूसते-चाटते रहे। हम लोगों का पूरा बदन पसीने से भीग चुका था। अब मुझसे सहा नहीं जा रहा था। मैंने कहा, “रिंकू साली अब और बर्दाश्त नहीं होता। तू सीधी होकर, अपनी टाँगें फैलाकर लेट जा। अब मैं तुम्हारी चूत में लंड घुसाकर तुम्हें चोदना चाहता हूँ।”

मेरी इस बात को सुनकर रिंकू डर गई। उसने अपनी टाँगें सिकोड़कर अपनी बुर को छुपा लिया और घबराकर बोली, “नहीं जीजू, प्लीज ऐसा मत कीजिए। मेरी चूत अभी बहुत छोटी है और आपका लंड बहुत लंबा और मोटा है। मेरी बुर फट जाएगी और मैं मर जाऊँगी। प्लीज इस खयाल को अपने दिमाग से निकाल दीजिए।”

मैंने उसके चेहरे को हाथों में लेकर उसके होंठों पर एक प्यार भरा चुम्बन जड़ते हुए कहा, “डरने की कोई बात नहीं है रिंकू। मैं तुम्हारा जीजा हूँ और तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ। मेरा विश्वास करो मैं बड़े ही प्यार से धीरे-धीरे चोदूँगा और तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होने दूँगा।”

“लेकिन जीजू, आपका इतना मोटा लंड मेरी छोटी सी बुर में कैसे घुसेगा? इसमें तो उंगली भी नहीं घुस पाती है।” रिंकू ने घबराए हुए स्वर में पूछा।

“इसकी चिंता तुम छोड़ दो रिंकू और अपने जीजू पर भरोसा रखो। मैं तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होने दूँगा।” मैंने उसके सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए भरोसा दिलाया।

“मुझे आप पर पूरा भरोसा है जीजू, फिर भी बहुत डर लग रहा है। पता नहीं क्या होने वाला है।” रिंकू का डर कम नहीं हो पा रहा था।

मैंने उसे फिर से ढांढस दिया। “मेरी प्यारी साली, अपने मन से सारा डर निकाल दो और आराम से पीठ के बल लेट जाओ। मैं तुम्हें बहुत प्यार से चोदूँगा। बहुत मजा आएगा।”

“ठीक है जीजू, अब मेरी जान आपके हाथों में है।” रिंकू इतना कहकर पलंग पर सीधी होकर लेट गई लेकिन उसके चेहरे से भय साफ झलक रहा था।

मैंने पास की ड्रेसिंग टेबल से वैसलीन की शीशी उठाई। फिर उसकी दोनों टाँगों को खींचकर पलंग से बाहर लटका दिया। रिंकू डर के मारे अपनी चूत को जाँघों के बीच दबाकर छुपाने की कोशिश कर रही थी। मैंने उन्हें फैलाकर चौड़ा कर दिया और उसकी टाँगों के बीच खड़ा हो गया। अब मेरा तना हुआ लंड रिंकू की छोटी सी नाजुक चूत के करीब हिचकोले मार रहा था। मैंने धीरे से वैसलीन लेकर उसकी चूत में और अपने लंड पर चिपोड़ ली ताकि लंड घुसाने में आसानी हो। सारा मामला सेट हो चुका था। अपनी कामसिन साली की मक्खन जैसी नाजुक बुर को चोदने का मेरा बरसों पुराना ख्वाब पूरा होने वाला था। मैं अपने लंड को हाथ से पकड़कर उसकी चूत पर रगड़ने लगा। कठोर लंड की रगड़ खाकर थोड़ी ही देर में रिंकू की फुद्दी (क्लिटोरिस) कड़ी होकर तन गई। वो मस्ती में काँपने लगी और अपने चूतड़ को जोर-जोर से हिलाने लगी।

“बहुत अच्छा लग रहा है जीजू… ओ…ओ…ओह… आह बहुत मजा आ रहा है… और रगड़िए जीजू… तेज-तेज रगड़िए…” वो मस्ती से पागल होने लगी थी और अपने ही हाथों से अपनी चूचियों को मसलने लगी थी। मुझे भी बहुत मजा आ रहा था। मैं बोला,

“मुझे भी बहुत मजा आ रहा है साली। बस ऐसे ही साथ देती रहो। आज मैं तुम्हें चोदकर पूरी औरत बना दूँगा।” मैं अपना लंड वैसे ही लगातार उसकी चूत पर रगड़ता जा रहा था। वो फिर बोलने लगी, “हाय जीजू जी… ये आपने क्या कर दिया… ओओह… मेरे पूरे बदन में करंट दौड़ रहा है… मेरी चूत के अंदर आग लगी हुई है जीजू… अब सहा नहीं जाता… ओह जीजू जी… मेरे अच्छे जीजू… कुछ कीजिए ना… मेरी चूत की आग बुझा दीजिए… अपना लंड मेरी बुर में घुसाकर चोदिए जीजू… प्लीज… जीजू… चोदो मेरी चूत को।”

“लेकिन रिंकू, तुम तो कह रही थी कि मेरा लंड बहुत मोटा है, तुम्हारी बुर फट जाएगी। अब क्या हो गया?” मैंने यूँ ही प्रश्न किया।

“ओह जीजू, मुझे क्या मालूम था कि चुदाई में इतना मजा आता है। आह अब और बर्दाश्त नहीं होता।” रिंकू अपनी कमर को उठा-उठाकर पटक रही थी।

“हाय जीजू… ओओह… आग लगी है मेरी चूत के अंदर… अब देर मत कीजिए… अब लंड घुसाकर चोदिए अपनी साली को… घुसेड़ दीजिए अपने लंड को मेरी बुर के अंदर… फट जाने दीजिए साली को… कुछ भी हो जाए मगर चोदिए मुझे।” रिंकू पागलों की तरह बड़बड़ाने लगी थी। मैं समझ गया, लोहा गर्म है इसी समय हथौड़ा मारना ठीक रहेगा।

मैंने अपने फनफनाए हुए कठोर लंड को उसकी चूत के छोटे से छेद पर अच्छे तरीके से सेट किया। उसकी टाँगों को अपने पेट से सटाकर अच्छे तरीके से जकड़ लिया और एक जोरदार धक्का मारा।

अचानक रिंकू के गले से एक तेज चीख निकली। “आह… बाप रे… मर गई मैं… निकालो जीजू… बहुत दर्द हो रहा है… बस करो जीजू… नहीं चुदवाना है मुझे… मेरी चूत फट गई जीजू… छोड़ दीजिए मुझे अब… मेरी जान निकल रही है।” रिंकू दर्द से बेहाल होकर रोने लगी थी।

मैंने देखा, मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत को फाड़कर अंदर घुस गया था। और अंदर से खून भी निकल रहा था। अपनी दुलारी साली को दर्द से बिलबिलाते देखकर मुझे दया तो बहुत आई लेकिन मैंने सोचा अगर इस हालत में मैं उसे छोड़ दूँगा तो वो दुबारा फिर कभी इसके लिए राजी नहीं होगी। मैंने उसे हौसला देते हुए कहा, “बस साली थोड़ा और दर्द सह लो। पहली बार चुदवाने में दर्द तो सहना ही पड़ता है। एक बार रास्ता खुल गया तो फिर मजा ही मजा है।” मैं रिंकू को धीरज देने की कोशिश कर रहा था मगर वो दर्द से छटपटा रही थी।

“मैं मर जाऊँगी जीजू… प्लीज मुझे छोड़ दीजिए… बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है… प्लीज जीजू… निकाल लीजिए अपना लंड।” रिंकू ने गिड़गिड़ाते हुए अनुरोध किया। लेकिन मेरे लिए ऐसा करना मुमकिन नहीं था। मेरी साली रिंकू दर्द से रोती बिलखती रही और मैं उसकी टाँगों को कसकर पकड़े हुए अपने लंड को धीरे-धीरे आगे-पीछे करता रहा। थोड़ी-थोड़ी देर पर मैं लंड का दबाव थोड़ा बढ़ा देता था ताकि वो थोड़ा और अंदर चला जाए। इस तरह से रिंकू तकरीबन 15 मिनट तक तड़पती रही और मैं लगातार धक्के लगाता रहा। कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि मेरी साली का दर्द कुछ कम हो रहा था। दर्द के साथ-साथ अब उसे मजा भी आने लगा था क्योंकि अब वह अपने चूतड़ को बड़े ही लय-ताल में ऊपर-नीचे करने लगी थी।

उसके मुँह से अब कराह के साथ-साथ सिसकारी भी निकलने लगी थी। मैंने पूछा, “क्यों साली, अब कैसा लग रहा है? क्या दर्द कुछ कम हुआ?”

“हाँ जीजू, अब थोड़ा-थोड़ा अच्छा लग रहा है। बस धीरे-धीरे धक्के लगाते रहिए। ज्यादा अंदर मत घुसाइएगा। बहुत दुखता है।” रिंकू ने हाँफते हुए स्वर में कहा। वह बहुत ज्यादा थक चुकी थी।

“ठीक है साली, तुम अब चिंता छोड़ दो। अब चुदाई का असली मजा आएगा।” मैं हौले-हौले धक्के लगाता रहा। कुछ ही देर बाद रिंकू की चूत गीली होकर पानी छोड़ने लगी।

मेरा लंड भी अब कुछ आराम से अंदर-बाहर होने लगा। हर धक्के के साथ फच-फच की आवाज आने शुरू हो गई। मुझे भी अब ज्यादा मजा मिलने लगा था। रिंकू भी मस्त होकर चुदाई में मेरा सहयोग देने लगी थी। वो बोल रही थी,

“अब अच्छा लग रहा है जीजू, अब मजा आ रहा है… ओ…ओ…ओह जीजू… ऐसे ही चोदते रहिए। और अंदर घुसाकर चोदिए जीजू… आह आपका लंड बहुत मस्त है जीजू जी… बहुत सुख दे रहा है…” रिंकू मस्ती में बड़बड़ाए जा रही थी।

मुझे भी बहुत आराम मिल रहा था। मैंने भी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी। तेजी से धक्के लगाने लगा। अब मेरा लगभग पूरा लंड रिंकू की चूत में जा रहा था। मैं भी मस्ती के सातवें आसमान पर पहुँच गया और मेरे मुँह से मस्ती के शब्द फूटने लगे।

“हाय रिंकू… मेरी प्यारी साली… मेरी जान… आज तुमने मुझसे चुदवाकर बहुत बड़ा उपकार किया है… हाँ… साली… तुम्हारी चूत बहुत टाइट है… बहुत मस्त है… तुम्हारी चूचियाँ भी बहुत कसी-कसी हैं। ओह… बहुत मजा आ रहा है…”

रिंकू अपने चूतड़ उछाल-उछालकर चुदाई में मेरी मदद कर रही थी। हम दोनों जीजा-साली मस्ती की बुलंदियों को छू रहे थे। तभी रिंकू चिल्लाई, “जीजू… मुझे कुछ हो रहा है… आह… जीजू… मेरे अंदर से कुछ निकल रहा है… ओओह… जीजू… मजा आ गया… ओह… उई… माँ…”

रिंकू अपनी कमर उठाकर मेरे पूरे लंड को अपनी बुर के अंदर समा लेने की कोशिश करने लगी। मैं समझ गया कि मेरी साली का क्लाइमैक्स आ गया है। वह झड़ रही थी। मुझसे भी अब और सहना मुश्किल हो रहा था। मैं खूब तेज-तेज धक्के मारकर उसे चोदने लगा और थोड़ी ही देर में हम जीजा-साली एक साथ स्कलित हो गए। बरसों से इकट्ठा मेरा ढेर सारा वीर्य रिंकू की चूत में पिचकारी की तरह निकलकर भर गया।

मैं उसके ऊपर लेटकर चिपक गया। रिंकू ने मुझे अपनी बाहों में कसकर जकड़ लिया। कुछ देर तक हम दोनों जीजा-साली ऐसे ही एक-दूसरे के नंगे बदन से चिपके हाँफते रहे। जब साँसें कुछ काबू में हुईं तो रिंकू ने मेरे होंठों पर एक प्यार भरा चुम्बन लेकर पूछा, “जीजू, आज आपने अपनी साली को वो सुख दिया है जिसके बारे में मैं बिलकुल अनजान थी। अब मुझे इसी तरह रोज चोदिएगा। ठीक है ना जीजू?”

मैंने उसकी चूचियों को चूमते हुए जवाब दिया, “आज तुम्हें चोदकर जो सुख मिला है वो तुम्हारी जीजी को चोदकर कभी नहीं मिला। तुमने आज अपने जीजू को तृप्त कर दिया।”

बहुत देर तक हम जीजा-साली एक-दूसरे को चूमते-चाटते और बातें करते रहे और कब नींद के आगोश में चले गए पता ही नहीं चला।

अगली सुबह जब हम जागे, तो रिंकू मेरी बाहों में थी। उसका नंगा बदन मेरे साथ चिपका हुआ था, और मैंने महसूस किया कि मेरी साली अब पूरी तरह से मेरी हो चुकी थी। मैंने उसे फिर से प्यार से सहलाया, और वो शरमाते हुए मुस्कुराई। “जीजू, कल रात का मजा आज भी याद आ रहा है। लेकिन अगली बार और धीरे से कीजिएगा, ताकि मैं और ज्यादा एन्जॉय कर सकूँ।” मैंने उसका माथा चूमते हुए कहा, “बिलकुल मेरी जान, मैं हमेशा तुम्हारी सहमति से ही सब करूँगा। तुम्हें कभी जबरदस्ती नहीं करूँगा।”

उसके बाद हमारे बीच का रिश्ता और गहरा हो गया। रिंकू अब घर की मालकिन की तरह रहने लगी, और रातें हमारी मस्ती से भरी होतीं। मैं हमेशा उसकी सहमति लेता, और वो खुशी-खुशी मुझे अपना सब कुछ सौंप देती। सेक्स हमारे लिए अब सिर्फ शारीरिक सुख नहीं, बल्कि प्यार का एक तरीका बन गया था। रिंकू की कामसिन जवानी ने मेरे जीवन को फिर से रौशन कर दिया, और हम दोनों एक-दूसरे में खोकर खुश रहने लगे।

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