खुली सड़क पर दो लंड से मेरी गांड चुदाई

क्रॉस ड्रेस बॉय गांड कहानी में मैं लड़का हूँ पर लड़की बन कर सड़क पर घूमती थी. एक दिन मुझे दो मर्दों ने पकड़ लिया और मेरे मन की मुराद पूरी कर दी.

नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम कामिनी है.
यह मेरी पहली क्रॉस ड्रेस बॉय गांड कहानी है जो मैं आपको बताने जा रही हूँ.

मैं 29 साल की प्लेबॉय हूँ.
हां आप प्लेबॉय सुनकर चौंकिए नहीं … मैं एक गांडू लड़का हूँ पर मुझे लड़की बन कर रहना पसंद है यानि क्रॉस ड्रेस बॉय!

मैं बहुत ज्यादा गोरी नहीं हूँ. थोड़ी भरी हुई शरीर की हूँ, तो खुद को फिट रखने के लिए मैं काफी कसरत करती हूँ.

यह बात तब की है जब मैं 20 साल की थी और पढ़ने के लिए इंदौर में एक किराए के कमरे में रहती थी.

मैं जहां रहती थी, वह जगह शहर से कुछ दूर थी.
इसलिए वह कमरा मुझे कम किराए में मिल गया था और यहां कोई आता जाता भी नहीं था.

मुझे सेक्स स्टोरी पढ़ना और सेक्स वीडियो आदि देखना बहुत अच्छा लगता है.

मैं लड़कियों के कपड़े भी पहना करती थी क्योंकि मुझे आज भी एक लड़की की तरह सज संवर कर रहना अच्छा लगता है.

जब से मैं इधर आकर रहने लगी थी, तो एकदम बिंदास हो गई थी.
जब भी मुझे मौका मिलता, मैं लड़की के कपड़े पहन लेती थी.

अपने गांव में घर वालों की वजह से मैं खुल कर अपनी जिंदगी नहीं जी पाती थी.
पर इंदौर में आने के बाद मैं अपने रूम में हर समय लड़की बन कर रहती थी क्योंकि यहां मुझे देखने वाला कोई नहीं था.

मैं रोज कॉलेज जाती और वहां से आकर लड़की बन कर पूरे दिन ऐसे ही रहती.
लड़की बनी हुई रह कर ही मैं अपना सब काम करती, पढ़ती और कभी कभी रात में 12 बजे के करीब मैं लड़की बनी हुई ही बाहर भी घूमने निकल जाती थी.

मेरा मन करता था कि कोई मुझे लड़की की तरह पकड़ कर प्यार करे और मेरे साथ सेक्स करे.

एक रात मैं खाना खाकर अपना काम खत्म करके बाहर घूमने निकली थी.

मैंने लाल रंग की ब्रा पैंटी और काली स्कर्ट व लाल रंग का टॉप पहना हुआ था.
मैं एक मस्त सेक्सी लड़की बन कर निकली थी, लिपस्टिक आदि लगाई हुई थी.

जैसा कि मैंने ऊपर बताया कि मेरा कमरा शहर की घनी आबादी से दूर था और रात में इस तरफ कोई नहीं आता था तो मैं बिंदास घूमती रहती थी.

उस रात जब मैं खुली सड़क पर घूम रही थी तो पता नहीं कहां से एक कार आई.
वह कार मेरे सामने आकर रुक गई.

उस कार में से दो लोग निकले और मेरे पास आकर खड़े हो गए.
मैं उन दोनों को देख कर डर गई थी.

उन दोनों ने मुझे आगे और पीछे से घेर लिया.
दोनों की उम्र 45-50 से ज्यादा थी. वे दोनों मुझसे उम्र में बहुत बड़े थे और उनके मुँह से दारू की भी बास आ रही थी.

मैं बोली- मुझे जाने दो.
उन दोनों में से एक ने कहा- अरे जानेमन, इतनी रात में कहां घूम रही हो!

यह कहते हुए वे दोनों मेरे साथ छेड़छाड़ करने लगे.
मैं घबरा कर बोली- मैं लड़का हूँ, लड़की नहीं हूँ … मुझे जाने दो!

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वह बोला- हमें पता है साली कि तू क्या है. कई दिनों से हम इस तरफ ही दारू पीने आते हैं और तुझे यहां घूमते हुए देखते भी हैं. आज तो हमको दारू के साथ तेरी गांड भी चाहिए.

पहले तो मैंने उन्हें मना किया कि नहीं नहीं, मैं ऐसा लड़का नहीं हूँ.
पर उन दोनों ने मुझे पकड़ लिया और बोलने लगे- तू मना कर या नहीं, हम तो अब तुझे चोद कर ही रहेंगे.

मैं खुद भी चाहती थी कि मेरे साथ कोई ऐसा करे, पर ऐसे कभी नहीं सोचा था कि हो ही जाएगा.

वे दोनों मुझे पकड़ कर मजा लेने लगे.
कभी वे मेरे बूब्स दबाते तो कभी मेरी गांड को दबाते और मेरी गांड पर जोर जोर से अपने हाथ बजाते.

मैं उन दोनों से छूट कर भागने की कोशिश कर रही थी.
पर उन दोनों ने मुझे जोर से पकड़ कर रखा था.

एक ने अपना हाथ मेरे मुँह पर रख दिया था तो मैं चिल्ला भी नहीं सकती थी.

जैसे तैसे मैंने अपने मुँह से हाथ हटवाया और कहा- मुझे जाने दो, प्लीज मैं आपके पैर पड़ता हूँ.
पर उन दोनों पर तो चुदाई का ही नशा चढ़ा हुआ था.

एक ने मुझे किस करना शुरू कर दिया तो दूसरे ने मेरी पीठ को चूमते हुए मेरी गांड को दबाना और सहलाना चालू कर दिया.

उनके लगातार स्पर्श से मुझे भी अब चुदने का नशा चढ़ने लगा था.
मैं भूल गई थी कि मेरे साथ यह सब खुली सड़क पर ही हो रहा है.

कुछ ही देर में मामला काफी आगे बढ़ गया था और अब मैं एक के होंठों से अपने होंठों को जोड़ कर चूमाचाटी करने लगी थी.

वे दोनों भी मेरी गांड मारने के लिए मुझे सड़क पर ही नंगी करने के मूड में आ गए थे.

पीछे वाले मर्द ने मेरा टॉप पकड़ कर फाड़ दिया और उसने मेरी स्कर्ट को भी नीचे करके निकाल दी.
मैं अब बस ब्रा पैंटी में थी.

मैं किसी सेक्सी लड़की की तरह ही ‘आहह आई … आहह ओह अई … मम्मी …’ सिसिया रही थी और वासना से भरी हुई आवाजें मेरे मुँह से निकल रही थीं.

कुछ देर बाद अचानक एकदम से उन दोनों ने मुझे नीचे बैठा दिया और अपना अपना लंड बाहर निकाल कर मेरे मुँह पर रख दिया.

मैंने उनके लंड की तरफ देखा, तो मैं डर गई और मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं.
दोनों के लंड 7-8 इंच लंबे और मोटे थे.

उनके फनफनाते हुए लौड़े देख कर मेरी तो जान हलक में आ गई थी क्योंकि अभी तक मैंने किसी का लंड नहीं लिया था, मैं एकदम कुंवारी माल थी.

दोनों जबरदस्ती मेरे मुँह में लंड डालने लगे.
मैं क्या करती, मुझे दोनों के लंड चूसने पड़े.

दोनों के लंड मैं अपने दोनों हाथों में पकड़ कर बारी बारी से चूस रही थी.

वे दोनों अपनी अपनी कमर पर हाथ रखे मुझसे अपना अपना लंड चुसवा रहे थे.
दोनों के लाल लाल सुपारे मेरी जीभ से चट रहे थे.

कुछ ही पलों में मुझे खुद भी उनके लंड चूसने में मजा आने लगा.

थोड़ी देर बाद उन दोनों के लंड मानो लोहे के हो गए थे.
उनकी नसें फूल गई थीं और मेरे हथेलियों को अहसास होने लगा था कि इनके लंड को झेल पाना मेरी गांड के कुंवारे छेद के लिए आसान नहीं होगा.

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तभी एक ने मुझे उठाया और कार के बोनट पर मुझे पेट के बल झुका दिया.
उसने मेरे दोनों पैर भी फैला दिए.

मैं समझ गई कि अब मैं चुदने वाली हूँ.
उसी पल उसने मेरी चड्डी को हाथ से पकड़ कर फाड़ दिया और अपने हाथ से मेरे चूतड़ मसल दिए.

मेरे कंठ से एक मादक आह निकल गई.
फिर उसने मेरी गांड के छेद में उंगली पेल दी और अन्दर तक थूक लगाने लगा.

मैं उसकी उंगली लेने से ही दहल गई.
चूंकि अब तक मैं अपनी गांड में मोमबत्ती लेती रही थी, तो इतना ज्यादा दर्द महसूस नहीं हुआ … लेकिन हुआ.

फिर उसने अपने लंड का टोपा मेरी गांड के छेद में लगा दिया.
उसके लंड का गर्म सुपारा मेरी गांड में कुलबुली मचाने लगा था.

उसने दाब देते हुए छेद में लंड डालने की कोशिश की.
पर उसका लंड काफी मोटा था और मेरी गांड नाजुक फूल सी थी तो लंड अन्दर नहीं जा रहा था.

उसने फिर से थूक से अपने लौड़े को चिकना किया और दुबारा से पेलने लगा.
इस बार मुझे बहुत ज्यादा दर्द हुआ.

मैंने हाथ झटकार कर उसे मना किया- आह, लग रही है प्लीज मत करो … बहुत दर्द हो रहा है!

वह लंड के सुपारे को मेरी गांड के पहले छल्ले में फंसा कर बाहर निकाल चुका था.
तो वह अपने साथी से बोला- अबे यार, इसकी गांड की तो अभी सील भी नहीं टूटी है. आज तो इसकी लेने में मजा आ जाएगा. तू कार में से तेल की शीशी लेकर आ!

दूसरा मर्द झट से गया और कार से तेल लेकर आया.

पहले वाले ने अपने लंड पर तेल लगा कर और उसने एक उंगली की सहायता से मेरी गांड में भी लगा दिया.

अब उसने फिर से अपने लंड को मेरी गांड पर लगाया और एक जोर का झटका दे मारा.
मेरी तो समझो जान निकल गई.
मैं जोर से चिल्लाने लगी और रोने लगी- आह मर गई निकालो … बहुत दर्द हो रहा है आहह आहह आई मर गई!

अभी उसका लंड कुछ इंच ही अन्दर गया था और मेरी हालत खराब हो गई.
इतने में उसने दूसरा झटका मार दिया और उसका लंड और अन्दर घुस गया.

ऐसे ही उसने चार या पांच झटके मार कर अपना पूरा लंड मेरी गांड में घुसा दिया.
मैं तड़पने लगी और छूटने के लिए छटपटाने लगी.
पर मैं उससे छूट नहीं पाई.

अब वह मुझे जोर जोर से चोदने लगा.
मैं दर्द से रो रही थी और ‘आहह … आह आह.’ कर रही थी.

वह मुझे ऐसे जोर जोर से चोद रहा था मानो उसे कोई करारी लौंडिया की गांड मारने मिल गई हो.

मेरी गांड पर वह जोर जोर से थप्पड़ भी मारे जा रहा था.
मेरे मुँह से बस ‘आई … आई अहहह … सी सी …’ की चीख निकल रही थी.

करीब 15 मिनट तक चोदने के बाद उसने अपना सारा माल मेरी गांड में ही निकाल दिया और अपना लंड बाहर निकाल दिया.
मैंने सोचा कि अब राहत मिल गई.

पर तभी दूसरे ने तुरंत अपना लंड मेरी फटी हुई गांड में अन्दर घुसा दिया और वह भी मुझे जोर जोर से पेलने लगा.

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मेरी हालत खराब होने लगी थी.
पर अब मुझे दर्द नहीं हो रहा था.
सच कहूँ तो अब मुझे मज़ा आने लगा था.

मैं भी अब अपनी गांड उठा उठा कर पीछे को करने लगी थी.
इससे मेरी गांड मारने वाले आदमी को बहुत मजा आने लगा था.
वह मेरे दोनों दूध पकड़ कर मेरी गांड में अपना लंड पेल रहा था.

उसके साथ बीस मिनट तक गांड मरवाने का मजा लेने के बाद उसने भी मेरी गांड में ही अपना माल निकाल दिया.

झड़ने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और मैं ऐसे ही कार पर झुकी हुई पड़ी रही.
मेरी गांड में दर्द तो बहुत हो रहा था पर एक अजीब सी लुकलुकाहट भी हो रही थी.

वे दोनों मेरे अगल बगल खड़े होकर बोलने लगे- साली को चोदने में मज़ा आ गया. किसी लड़की से ज्यादा तो इसे चोदने में मज़ा आया है.

दोनों मेरी गांड पर थप्पड़ मारते हुए मसलने लगे.
मैं हिलने की हालत में नहीं थी.
मेरे मुँह से बस ‘आह … उई आई …’ की आवाजें निकल रही थीं.

उस रात में उन दोनों ने मुझे एक एक बार और चोदा और मुझे सड़क पर ही लिटा कर चले गए.

मेरी गांड बहुत दर्द कर रही थी.
मैं दर्द के मारे खड़ी भी नहीं हो पा रही थी.

फिर भी मैं कैसे भी करके अपने फटे हुए कपड़े लपेट कर अपने कमरे पर आई और उधर आकर जब मैंने खुद को आईने में देखा तो सन्न रह गई.

मेरे फटे हुए कपड़े मेरी गांड से निकले हुए खून में सने थे.
यह देख कर पहले तो मैं बस गुमसुम सी हो गई थी, पर अगले ही पल अन्दर से मुस्कुरा भी दी क्योंकि आज मेरी गांड की सील टूट गई थी.

मेरी गांड में बेहद दर्द हो रहा था पर मुझे खुशी भी हो रही थी कि मेरी बरसों से गांड मरवाने की कामना आज पूरी हो गई थी.

फिर मैं घूम घूम कर अपनी गांड को आईने में देखा तो मैं देख कर घबरा गई.
मेरी गांड सूज कर बहुत मोटी हो गई थी.

मैंने अपनी गांड को गर्म पानी से साफ किया और सिकाई की; दर्द की गोली खाई और दो तीन दिन मैं घर से बाहर ही नहीं निकली.

उसके बाद अब मेरी गांड चुदाई ऐसे ही कई बार हुई.
मैं कभी किसी के साथ चली जाती थी, तो कभी अंधेरे में किसी कोने में चड्डी नीचे करके अपनी गांड में लंड ले लेती थी.

कुछ दिन बाद मैं इंदौर से वापस अपने घर आ गई.
अब मैं भोपाल में रहती हूँ.
मेरी अपनी इस घटना के बार में मैंने आज तक किसी को नहीं बताया, ना पता चलने दिया.

ये थी मेरी पहली गांड चुदाई की कहानी!
आगे क्या क्या हुआ, मैं एक रांड कैसे बनी … यह सब मैं विस्तार से आपको अगली सेक्स कहानी में लिखूँगी.

आप मुझे अपने मेल और कमेंट्स से अवगत कराएं कि आपको मैं क्रॉस ड्रेस बॉय कैसी लगी.
kanimirani.1993@gmail.com

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