आप सब कैसे है,क्या हाल चाल मेरे मित्रगणों कैसे है आप सब आशा है अच्छे होंगे और चुदाई के जुगाड़ में होंगे , मेरा नाम फातिमा छोड़वने है और में 24 साल की हूँ. मेरा फिगर 33-28-36 है, में ग़ज़िआबाद की रहनी वाली हूँ. यह कहानी कई साल पहले की है जब में ग्रेजुयेशन के लिए किसी दोस्त के घर पर रह रही थी, उन दिनों में अपनी सहेली फरहीन के घर पर रहकर अपनी ग्रेजुयेशन कर रही थी. हम उनकी मम्मी और मौसी के साथ रहते थे, फरहीन के पापा ग़ज़िआबाद से बाहर काम करते थे और उसका भाई बोर्डिंग स्कूल में रहता था. लड़किया क्युआ गजब चुदकड़ होती है दोस्तों.
मेरे मित्रगणों क्या मॉल थी उसकी चुची पीकर मजा आ गया घर पर कोई भी मर्द नहीं रहता था, फरहीन की मम्मी ने कह रखा था कि कोई भी लड़का घर पर ना आए, वो बहुत गुस्से वाली औरत थी. जब बारिश का मौसम था और हर दिन बारिश की वजह से शाम के बाद ही मौहल्ले में कोई बाहर घूमता भी नहीं था. इस बीच में ही एक दिन रात को ज़ोर से बिजली कड़कने लगी, हम सब नीचे वाले कमरे में सोए हुए थे, क्योंकि ऊपर के कमरे से पानी टपकता था. फिर अचानक से किसी ने दरवाजा खटखटाया तो फरहीन ने जाकर दरवाजा खोला. दो बहुत ही हट्टे-कट्टे आदमी बाहर खड़े थे. मै एक नंबर का आवारा चोदा पेली करने वाला लड़का हु मुझे लड़किया चोदना अच्छा लगता है.
मेरे प्यारे दोस्तो चुची पिने का मजा ही कुछ और है फिर फरहीन ने पूछा कि आप क्या चाहते हो? तो पहला आदमी जो बहुत ही ख़तरनाक दिखने वाला था उन्होंने कहा कि हम शहर से होकर आ रहे थे कि बारिश में हमारी गाड़ी खराब हो गई, हमें थोड़ी मदद चाहिए. फरहीन बहुत ही भोली थी और बोली कि अरे आप तो पूरे भीग चुके है, आप ठहरो और में आपके लिए तौलिया ला देती हूँ. ये कहानी पढ़ कर आपका लंड खड़ा नहीं हुआ तो बताना लड खड़ा ही हो जायेगा .
मेरे मित्रगणों चुत छोड़ने के बाद सुस्ती सी आ जाती है इतने में दूसरा आदमी घर के अंदर आ गया और बोला कि हमें आज रात यही पर गुजारने दो मोहतरमा, हमारे बड़े भाई गाड़ी में ठहरे हुए है उन्हें भी आना है. फिर उन्होंने यह बोलकर पहले वाले आदमी से कहा कि जा नसीम अहमद भाई जान को लेकर आ. फिर फरहीन तौलिया ले आई और कहने लगी कि मम्मी और मौसी गुस्सा हो जायेंगे, क्योंकि घर पर कोई भी बाहर के लोग आने की इजाज़त नहीं है.
क्या बताऊ मेरे मित्रगणों उसको देखकर किसी लैंड टाइट हो जाये फिर यह सुनकर दूसरा वाला आदमी जिनका नाम था महमूद था, वो गुस्सा हो गये और कहने लगे कि इतनी रात को उन्हें गाड़ी में रुकना पड़ेगा और उनके भाईजान आ कर मम्मी से बात कर लेंगे. फिर मम्मी भी बाहर आई और उधर नसीम अहमद और उनके भाई जान भी आ गये, मौसी बहुत बीमार थी इसलिए वो बाहर नहीं आ पाई.
भाई जान : हम आपसे विनती करते है कि आज की रात हमें यहाँ पर रहने दे.
मेरे मित्रगणों मने बहुत सी भाभियाँ चोद राखी है मम्मी भी जैसे दंग रह गयी और राज़ी हो गयी, अब रात काफ़ी हो चुकी थी मौहल्ले में किसी को पता नहीं चले इसलिए मम्मी ने मुझसे कहा कि सारे ख़िड़की और दरवाज़े बंद कर दे.
मेरे मित्रगणों क्या मलाई वाला माल लग रहा था फरहीन दिखने में बहुत ही चिकनी थी, वो जब भी बाहर निकलती तो कॉलेज या मौहल्ले के लड़के उसे ताकते रहते थे, कई तो छेड़ते भी थे. अब नसीम अहमद शुरू से ही फरहीन को बड़ी हवस भरी नज़रों से देखे जा रहा था. फिर मम्मी ने सबके लिए खाना लगा दिया और में उनका हाथ बटाने में लग गयी. फिर खाना खाने के बाद उन सबने शुक्रिया अदा किया, लेकिन फिर मम्मी ने कहा कि घर में दो कमरे है इसलिए वो तीनों ऊपर वाले कमरे में सोए और सुबह होते ही चले जाए. चुदाई की कहानी जरूर सुनना चाहिए मजे के लिए.
साथियो की पुराणी मॉल छोड़ने का मजा ही कुछ और है फिर सब सो गये और में महमूद को दूध का गिलास देने गयी तो मुझे याद नहीं था कि मैंने हर दिन की तरह नाईट ड्रेस के नीचे सिर्फ़ ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी. फिर महमूद मुझे घूरने लगे और जब में झुकी तो वो मेरी चूचीयों की तरफ देखकर अपने होंठ चाटने लगे. फिर में पीछे मूडी, तो उन्होंने मेरी नाईट ड्रेस को पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया तो बाकी दो भाई हमारी तरफ देखने लगे, में शरमा गयी और जाने की कोशिश करने लगी. फिर उसने झट से एक चाकू निकाला और मेरी गर्दन पर रखकर बोले साली, रंडी चुपचाप मान जा नहीं तो तुझे काटकर बैग में डाल दूँगा. अब सुनिए चुदाई की असली कहानी.
मेरे मित्रगणों एक बार चोदते चोदते मेरा लंड घिस गया अब में बहुत डर गयी थी और उसका साथ देने लगी. फिर उसने मेरी नाईट ड्रेस को उतारा और मेरी गर्दन और कान चाटने लगा. अब मुझे शर्म से अपने आप पर घिन आ रही थी. फिर मैंने शोर मचाने की कोशिश की तो उसने जोर से मेरी चूचीयाँ दबोच ली और में डर गयी. तो इतने में मुझे धीरे से नीचे से फरहीन की आवाज़ आई, वो मुझे रज्जो-रज्जो कह कर पुकार रही थी. वहा का माहौल बहुत अच्छा था मेरे मित्रगणों .
मेरे मित्रगणों उस लड़की मैंने चुत का खून निकल दिया में नहीं चाहती थी कि वो भी ऊपर आए, लेकिन वो मुझे ढूंढते हुए ऊपर आ गयी और जैसे ही उसने दरवाजा खोला, तो नसीम अहमद उस पर टूट पड़ा. अब हम दोनों की हालत एक जैसी थी, अब महमूद मुझे उल्टा लेटाकर मेरी पीठ चाट रहा था और मेरी चूचीयों को हाथ से सहला रहा था और एक हाथ में चाकू लेकर मेरी गर्दन पर रखा हुआ था और उधर फरहीन की हालत और भी ख़राब थी. वहा जबरजस्त माल भी थी मेरे मित्रगणों .
अब नसीम अहमद उसके कपड़े उतार कर उसकी जाँघो पर अपना मुँह डालकर बैठा था और बोले जा रहा था कि अगर किसी को इस बात का मालूम पड़ा तो हम किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे. फिर ऐसे ही चलता रहा. अब हम दोनों को महमूद और नसीम अहमद अपनी हवस का शिकार बनने लगे थे. फिर नसीम अहमद ने फरहीन की चूत पर ज़बरदस्ती अपना लंड घुसा दिया तो कुँवारी फरहीन दर्द से चीख पड़ी. मेरे मित्रगणों चोदते चोदते चुत का भोसड़ा बन गया.
ऐसे माहौल कौन नहीं रहना चाहेगा मेरे मित्रगणों अब पूरे फर्श पर खून बहने लगा था. अब में बहुत डर गयी थी और महमूद से विनती करने लगी कि वो मुझे ना चोदे. लेकिन वहाँ कौन किसकी सुनने वाला था? अब महमूद ने मेरी चूचीयों को चूस-चूसकर उन्हें पूरा भीगो दिया था और अब उनका लंड मेरी गांड की दरार से कमर तक तना हुआ था.
मेरे मित्रगणों एक बार मैंने अपने गांव के लड़की जबरजस्ती चोद दिया.
उह क्या मॉल था मेरे मित्रगणों गजब अब में रोने लगी थी और विनती करने लगी थी, लेकिन किसी ने एक ना मानी. अभी कमरे में तीसरा आदमी बशीर जो उम्र में हमसे बहुत बड़े थे, वो खड़े हो गये थे. फिर उन्होंने अपने लंड को बाहर निकाला और बोले कि इस भूखे शेर को खाना चाहिए. फिर मैंने उसका हाथ पकड़कर उसे रोकना चाहा, लेकिन वो मेरे सामने देखकर हँसने लगा, वो जानता था में झड़ गयी हूँ. तुम एक एकदम चालू किस्म की औरत हो, क्यों तुम तो रांड से भी बहतर हो है ना? तुम्हें तो अपने आपसे शर्म आनी चाहिए, वो अपने आपसे आश्वस्त होते और हंसते हुए बोला था. मेरा तो मन ही ख़राब हो जाता था मेरे मित्रगणों .
क्या बताऊ मेरे मित्रगणों मैंने चुदाई हर लिमिट पार कर दिया अब वो सच बोल रहा था, मेरा सिर शर्म के मारे झुक गया था और मैंने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक दिया और रोने लगी. अब झड़ने की वजह से मेरे शरीर में अजीब सी चुभन पैदा हो गयी थी और बारिश की ठंडी बूँदें मेरे जिस्म को छेद रही थी, अब ठंडी हवा की वजह से मेरा पूरा बदन कांप रहा था. में सचमुच उस वक़्त एक बाजारू रंडी के समान लग रही थी. फिर अचानक से उसने मुझे धक्का दिया और मेरा हाथ पकड़कर मुझे घुटनों के बल लेटा दिया. कुछ भी हो माल एक जबरजस्त था .
उसको देखकर किसी का मन बिगड़ जाये अब में और फरहीन दोनों डर गये थे, अब फरहीन के चिकने बदन को नसीम अहमद आइसक्रीम की तरह चाट रहा था और बशीर भाई ने उसकी गांड में अपना मुँह डाल दिया था. अब वो ज़ोर से चीखने लगी थी, लेकिन अब गरजते बादल और बिजली के कारण और ज़ोर से बारिश के कारण मौहल्ले में किसी को उसकी चीख सुनाई नहीं पड़ी. मेरे मित्रगणों मैंने किसी भाभी को छोड़ा नहीं है.
उह भाई साहब की माल है उसकी चुत की बात ही कुछ और है फिर महमूद मेरे होंठ चाटने लगा और मेरी गांड को अपने हाथों से दबाने लगा. इतने में बशीर ने मेरी तरफ नज़र डाली और मेरी चूचीयों को चूसने लगा, क्या कहूँ? अब तो में जैसे स्वर्ग में थी, अब में अपने मुँह से सिसकारियां लेने लगी थी. अब फरहीन भी चौंकते हुए मेरी तरफ देखने लगी थी, फिर बशीर ने महमूद से कहा कि इसकी चूत को चाट ले महमूद, बड़ी कड़क चीज़ है. अब बाहर तूफान बहुत ही जोर से आ रहा था और अंदर पाँच नंगे बदन हवस की पूजा कर रहे थे. मेरे मित्रगणों एक बार स्कूल में चुदाई कर दिया बड़ा मजा आया.
मेरे मित्रगणों चोदते चोदते कंडोम के चीथड़े मच गए फिर बशीर ने मुझसे बोला कि अबे ओ रंडी बोल दे घर के पैसे और जेवरात किधर रखे है. अब में बहुत डर गयी थी, महमूद अब भी मेरी गर्दन पर चाकू रखे हुआ था. फिर मैंने कहा कि हम दोनों को जाने दोगे तो जेवरात देंगे, लेकिन मुझे पता नहीं था कि जेवरात कहाँ रखे है? फिर बशीर मेरे मुँह में अपना लंड डालकर बोला सही बोलेगी तो जान नहीं लेंगे. अब यह कह कर उसने मुझे उठाया और नीचे ले जाने लगा. अब में महमूद से छुटकारा पाकर साँस लेने लगी थी, लेकिन बशीर को जैसे मेरी परवाह ही नहीं थी. ओह्ह उसके यह का चुम्बन की तो बात अलग है.
एक बार मैंने अपने मौसी की लड़की को जबरजस्ती चोद दिया अब वो मेरे बाल पकड़कर मुझे नीचे ले जाने लगा और नीचे चलते ही में मम्मी को ज़ोर-जोर से बुलाने लगी और रोने लगी. फिर बशीर ने मेरे मुँह पर हाथ रखा और बोला कि खबरदार जो किसी को बुलाया तो जान ले लूँगा कुतिया. फिर इतने में मम्मी जाग गयी और बाहर आ कर हम दोनों को नंगा देखकर चीख पड़ी. बशीर ने मम्मी की गर्दन को ज़ोर से पकड़ा तो वो साँस नहीं ले सकी और छटपटा उठी और उसका दुपट्टा भी नीचे गिर गया और उसके कमीज़ के नीचे के गोल, बड़े-बड़े बूब्स साफ दिखने लगे. है उसके गांड मेरा मतलब तरबूज क्या गजब भाई.
मेरे मित्रो मामा की लड़की की चुदाई में बड़ा मजा आया फिर बशीर ने हम दोनों को नीचे लेटा दिया. अब डर के मारे मम्मी की आवाज़ नहीं निकल रही थी और वो साँसे भी जोर-जोर से ले रही थी. फिर बशीर ने मेरे हाथ पर्दे से बाँध दिए और मम्मी से बोला कि जल्दी बता किधर है पैसे और जेवरात? तो मम्मी ने हाथ उठाकर अलमारी की तरफ .इशारा किया. फिर बशीर मम्मी को पकड़कर अलमारी के पास ले गया और बोला कि चाबी निकाल. तो मम्मी अपनी कमीज़ के अंदर से चाबी निकालने लगी. अब बशीर से और रहा नहीं गया और उसने मम्मी की कमीज़ फाड़ दी, वो अंदर कुछ नहीं पहने हुई थी और इसमें बशीर उसके बूब्स देखकर दंग रह गया.
मेरे मित्रगणों कई बार जबरजस्ती शॉट मरने में चुत से खून निकल गया.
उसका भोसड़ा का छेड़ गजब का था मेरे मित्रगणों फिर वो मम्मी के बूब्स चूसने लगा और मम्मी उसकी शर्ट पकड़कर रोने लगी. अब बशीर को मज़ा आ गया था और उसने मम्मी के पूरे कपड़े उतार दिए थे. अब मम्मी शर्म के मारे बेहोश जैसी होने लगी थी, फिर बशीर लगातार मम्मी की गांड और चूत को चोदने लगा और मम्मी पागलों की तरह सिसकियां लेने लगी तो बशीर ज़ोर से हंस पड़ा और बोला कि क्यों बहुत प्यासी थी तू? कितने दिनों से कोई लंड नहीं लिया तूने? अब में भी दंग रह गयी थी और में इतनी आश्चर्य में थी कि भूल ही गयी थी कि में भी इनके क़ब्ज़े में हूँ. उसकी बूब्स देखते ही उसको पिने की इच्छा हो गयी .
मेरे मित्रगणों मै सबसे पहले उसकी गांड मरना चाहता हु अब सीढ़ियों से फरहीन और नसीम अहमद भी आने लगे. अब फरहीन ने रो रोकर अपनी आँखे लाल कर ली थी, लेकिन नीचे मम्मी और बशीर तो जैसे सुहागरात मना रहे थे, अब मम्मी अभी भी सिसकियाँ ले रही थी और बशीर उसकी चूत पर उछल रहा था. अब यह देखकर फरहीन की आखें खुली की खुली रह गयी, पहली चुदाई की प्यासी चूत रातभर तीनों लंड से तड़पती रही. उसको पेलने की इच्छा दिनों से है मेरे मित्रगणों .
अच्छा चुदाई चाहे जितनी कर साला फिर भी लैंड नहीं मनता मेरे मित्रगणों फिर महमूद अचानक से आया और बोला कि क्या बंदी है? वो कमिनी ऊपर एक साथ में दोनों का ही ले रही थी, घर पर तो बड़ी भोली बनकर बैठी थी. अब फरहीन की चूत से खून टपक रहा था और उसने महमूद और नसीम अहमद से अपना कुँवारापन टूटने के बाद मज़े भी लिए थे, लेकिन मम्मी को देखकर वो दोनों भी उन पर टूट पड़े, फिर महमूद ने मम्मी के मुँह में और नसीम अहमद ने उनकी गांड में अपना लंड घुसा दिया. इस तरह रात काट गयी और सारी रात हम तीनों को बहुत बेरहमी से चोदा मेरे मित्रगणों मेरा तो मानना है जब भी चुत मारनी हो बिना कंडोम के ही मारो तभी ठीक नहीं सब बेकार.
उसके बूर की गहराई में जाने के बाद क्या मजा आया मेरे मित्रगणों जैसे उसके चुत में माखन भरा हो गया. लेकिन जवानी की अंगारे हमने भी गर्म लंड लेकर सेक लिए थे, फिर वो लोग दूसरे दिन सुबह हमें घर में बाँधकर बाहर से कुण्डी लगाकर चले गये, क्या तूफान था वो? और इस तरह उन तीनों ने हमारी चूत की प्यास बुझाई. उसको देखने बाद साला चुदाई भूत सवार हो जाता मेरे मित्रगणों .