Drishyam, ek chudai ki kahani-22

कुछ देर बाद सिम्मी ने एक छोटा सा तौलिया लिया और अपनी चूत के अंदर डाल कर सफाई की और जाँघों को पोंछा।

सिम्मी कालिया की चुदाई करने की क्षमता से प्रभावित थी। जैसे करीब आधा घंटे तक कालिया ने सिम्मी को बगैर झड़े चोदा यह उसकी सख्त बदन और शारीरक क्षमता का परिचय देता था। साथ साथ में कालिया ने सिम्मी को थोड़ा थका दिया था। सिम्मी जिद्दी और अड़ियल थी। वह अपनी हार मानने वाली नहीं थी। उस के लिए अब यह इज्जत का सवाल था।

सिम्मी ने कहा, “मेरे आज रात के पति, मैं थकी नहीं हूँ। ज़रा इसे साफ़ करलूं।” कह कर सिम्मी फिर से कालिया का वीर्य साफ़ करने में जुट गयी।

जाँघों की सफाई होने के बाद सिम्मी कालिया को देखने पीछे मुड़ी और कालिया की और घूम कर उससे सट गयी। कालिया की बाँहों में जाकर उसने अपने होँठ कालिया को किस करने के लिए उठाये। कालिया ने फ़ौरन झुक कर सीम्मी को उठाकर पलंग के ऊपर रखा और उसे सुलाकर फिर उसके ऊपर चढ़ गया और उसके होठोँ से अपने होँठ मिलाकर उससे प्रगाढ़ चुम्बन में जुट गया।

चुम्बन के बाद कालिया सिम्मी को घोड़ी बनाकर उसके पीछे पहुँच गया। कालिया ने सिम्मी के पीछे जा कर उसे कमर से पकड़ा। पीछे से कालिया को सिम्मी की गाँड़, उसकी गोलाई, उसके बिच की दरार को बड़े प्यार से देखा।

सिम्मी की गाँड़ की दरार, जो इतनी लम्बी दिख रही थी की कब वह गाँड़ में से चूत में परिवर्तित हो जाती थी, पता ही नहीं लगता था, बहुत मोहक लग रही थी। कालिया सिम्मी की करारी और कामुक, भरी हुई गाँड़ देख कर अपने आपको रोक ना सका।

उस ने कस कर सिम्मी की गाँड़ पर तगड़ी चपेट मारी। वह चपेट इतनी तगड़ी थी की पूरा कमरा उसकी आवाज से गूँज उठा। सिम्मी को इतनी सख्त टीस उठी की वह दर्द के मारे कराह उठी। सिम्मी की गाँड़ लाल हो उठी थी। पर सिम्मी को इस दर्द में भी एक अजीब से रोमांच का एहसास हुआ।

पता नहीं क्यों सिम्मी को बड़ा आश्चर्य हुआ की उसकी की गाँड़ के गालों पर कालिया ने जो तगड़ी चपेट मारी थी उसके लिए कालिया को डाँटने के बदले सिम्मी को वह दर्द इतना कामुक लगा की वह उम्मीद करने लगी की कालिया एक बार फिर उसकी गाँड़ के गालों पर उतनी ही तगड़ी चपेट फिर से मारे।

चपेट की ताकत इतनी थी की उस चपेट के धक्के से सिम्मी एक कदम आगे लुढ़क पड़ी। चाहते हुए भी सिम्मी कालिया से उसकी यह चपेट की कोई शिकायत नहीं कर पायी। जिसका सीधासादा मतलब यह था की सिम्मी को उस चपेट के लिए कालिया से कोई शिकायत नहीं थी।

कालिया ने आगे झुकी हुई और अपनी गाँड़ कालिया के लण्ड के सामने प्रस्तुत करती हुई सिम्मी की कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और सिम्मी की गाँड़ को अपने लण्ड से सटा दिया। कालिया भुजंग सामान अपने महाकाय लण्ड से सिम्मी की गाँड़ की दरार को कुरेदने लगा।

सिम्मी एकदम घबड़ायी की कहीं कालिया उसके वह भयावह लण्ड से सिम्मी की गाँड़ मारने की जिद ना करे। सिम्मी ने राहत की सांस ली जब कालिया ने अपना लण्ड सिम्मी की गाँड़ के छिद्र को छोड़ कर सिम्मी की चूत पर केंद्रित किया।

कालिया ने अपना लण्ड सिम्मी की चूत से रगड़ कर चूत के मुख्यद्वार के सामने रखा। सिम्मी ने कालिया का लण्ड अपने एक हाथ में पकड़ा और उस लण्ड के टोपे को अपनी चूत में दो पंखुड़ियों को खोलकर उनके बिच में रखा।

सिम्मी यह सोच कर सिहर उठी की कालिया जब पीछे से उसे चोदेगा तो उसका क्या हाल होगा। ऊपर से चोदना एक बात है पर पीछे से चोदने में मर्द का लण्ड चूत के सिरे तक पहुँच जाता है। कालिया का लंड तो वैसे भी बड़े से अजगर जैसा लंबा और मोटा था। सिम्मी को लगा की जरूर उस रात कालिया सिम्मी की चूत को फाड़कर रख देगा।

कालिया धीरे धीरे सिम्मी की चूतमें पीछे से अपना लण्ड घुसेड़ता गया। कालिया का लण्ड सिम्मी की बच्चेदानी तक पहुँच गया पर फिर भी वह पूरा अंदर घुस ही नहीं पाया था। ऐसा लगता था जैसे कालिया का लण्ड ख़तम ही नहीं हो रहा था।

आखिर में जब कालिया का लण्ड सिम्मी की बच्चेदानी तक पहुँच गया और उसे आगे जाने की जगह नहीं बची थी तब भी वह सिम्मी की चूत से फिर भी आधा बाहर था। कालिया ने सिम्मी को पीछे से धक्के मार कर चोदना शुरू किया। आगे झुकी हुई सिम्मी की मदमस्त चूँचिया ऐसे लटक रही थीं जैसे आम के पेड़ से पके हुए आम के फल हों।

कालिया ने चोदना जारी रखते हुए सिम्मी के बड़े बड़े आम को अपने हाथों में पकड़ा और सिम्मी की चूत में लण्ड का धक्का मारते हुए वह साथ साथ में सिम्मी की चूँचियों को भी मसलता और जोर से दबाता था।

धीरे धीरे सिम्मी को कालिया के मोटे और लम्बे लण्ड की आदत हो गयी और उसे अपनी गाँड़ पीछे कर वह कालिया को और फुर्ती से चोदने के लिए आह्वान कर रही थी। कालिया अब अपनी धुन में सिम्मी की चूत चोदे जा रहा था। इस वक्त वह जल्दी झड़ ने वाला नहीं था।

पलंग के एक छोर को पकडे, आगे की और झुकी हुई सिम्मी की गाँड़ में कालिया की झांटों से आच्छादित उसके पेंडू इतनी तगड़ी फटाक…. फटाक…. सी आवाज के साथ धक्के मार रहे थे की सारा पलंग जबरदस्त हिल रहा था। सिम्मी को लगा की कहीं कालिया चोदते चोदते पलंग को ही ना तोड़ दे। अगर ऐसा हुआ तो कालिया की चुदाई पलंगतोड़ साबित हो जायेगी।

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कालिया की अविराम चुदाई से सिम्मी की चूत में उसे काफी दर्द होने लगा। हालांकि उसे यह दर्द एक अजीब से मधुर टीस दे रहा था पर दर्द तो था ही। पर अब बात ज़िद की थी। सिम्मी कालिया से पिछे नहीं हट सकती थी।

कालिया सिम्मी के बदन से ऐसे चिपका था जैसे कोई अजगर अपने शिकार को अपने बाहुपाश में लेकर उसकी हड्डियां तोड़ने में लगा हो। फर्क यह था की कालिया सिम्मी को अविश्राम चोदे जा रहा था और सिम्मी के बदन को अपने बदन से कस कर चिपकाए हुए सिम्मी के सख्त और भरे हुए स्तनोँ को पीछे से ही अपने बाजू आगे कर दबाये और मसले जा रहा था। सिम्मी का पिछवाड़ा और सिम्मी की गाँड़ कालिया के आगे से एकदम सटी हुई थी।

सिम्मी की गर्दन पर कभी कालिया अपना मुंह रख कर चूमता तो कभी अपने दांतों से सिम्मी की गर्दन या उसका कंधा हलके से काटता। एक बार तो कालिया ने अपना लण्ड पीछे हटाकर सिम्मी की गाँड़ के गाल को चूमा और एकदम उत्तेजित हो कर उसकी गाँड़ के गालों पर अपने दांत गाड़ कर उन्हें काटा।

कालिया के दांत के निशान सिम्मी की गाँड़ के गालों पर चिह्नित हो गए। सिम्मी की लाल हुई गाँड़ के गाल और भी लाल हो गए बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे उन चिह्नों में से अभी खून निकल आएगा। सिम्मी दर्द के मारे जोर से कराह उठी। सिम्मी ने कालिया को कुछ भद्दी भाषा में गाली देते हुए कहा, “साले, मुझे चोदने से तेरा पेट नहीं भरा क्या? मुझे अब तू कुत्ते की तरह काटने लगा है?”

सिम्मी की गाली सुन कर कालिया थम गया। सिम्मी ने महसूस किया की कालिया ने चोदना रोक दिया है तो सिम्मी ने पीछे मुड़कर देखा। कालिये का चेहरा एकदम फीका पड़ गया था। कालिया सिम्मी के आक्रमक रवैये और सिम्मी की फटकार से झेंप गया था और सेहमा हुआ सिम्मी को देख रहा था।

सिम्मी को अपना चिल्लाना बुरा लगा। वह फिर अपनी पोजीशन में आ गयी और बोली, “ठीक है दर्द हुआ तो चिल्लाई और तुझे गाली दी। पर यार तेरे काटने से मैं और चुदासी होगयी हूँ। चल अब रुक मत चोद मुझे, मैं झड़ने वाली हूँ। और फुर्ती से चोद।”

यह सुन कर कालिये के मुंह की सिकन गायब हो गयी और वह और फुर्ती से सिम्मी को चोदने में जुट गया। सिम्मी की उत्तेजना अब उसके चरम शिखर पर पहुँच चुकी थी। वह झड़ने वाली थी। फिर एक तगड़ा झटका लगा और सिम्मी की चूत जोर जोर से फड़क ने लगी और एकदम सिम्मी का छूट गया। वह झड़ गयी। सिम्मी का सारा बदन एकदम ढीला सा पड़ गया।

कालिया को खुद महसूस हुआ की शायद वह सिम्मी पर ज्यादत्ती कर रहा था। कहाँ कालिया का सख्त, लंबा, काला, तगड़ा, माँसल और भारी भरखम बदन और कहाँ सिम्मी छुटकी सी, पतली, गोरी, नाजुक लड़की।

कहाँ कालिया का महाकाय काला लण्ड और कहाँ सिम्मी की छोटी, गुलाबी, नाजुक चूत? फिर भी सिम्मी उसे इतनी तगड़ी टक्कर दे रही थी यह देख कर कालिया दंग रह गया। सिर्फ कालिया को सुधारने के लिए एक लड़की इतना कुछ कर सकती है, यह सोच कर ही कालिया का मन किया की वह सिम्मी के पाँव छू ले।

ना चाहते हुए भी कालिया ने सिम्मी की चूतमें से अपना लण्ड निकाला और सिम्मी को मौक़ा दिया की वह गहरी साँस ले कर कुछ देर विश्राम करे। तव तक उन्हें चुदाई करते हुए एक घंटे से ज्यादा समय बीत चुका था।

अर्जुन अपने स्थान पर एक बूत सा गड़ा हुआ सिम्मी की चुदाई बिना पलक झपकाए देख रहा था। अर्जुन कम से कम तीन बार अपना लण्ड हिला हिला कर अपना वीर्य निकाल चुका था। अर्जुन की निक्कर पूरी चिकनाहट से भीग चुकी थी। यह दृश्य देखने के लिए अर्जुन ने कितना जबरदस्त खेल खेला था।

कालिया सिम्मी के पास आ आकर सिम्मी को अपनी बाँहों में लेकर बिस्तर पर लेट गया। सिम्मी की गाँड़ उसने अपने लण्ड से सटा कर राखी थी।

मतलब सिम्मी को अपनी पीठ कालिया की और करा कर कालिया ने सिम्मी को अपने बाजुओं में जकड रखा था। कालिया का लण्ड सिम्मी की गाँड़ की दरार में घुसा हुआ था हालांकि वह सिम्मी की गाँड़ के छिद्र में नहीं घुसा हुआ था।

कालिया ने पीछे से अपनी बाँहों में समायी हुई सिम्मी के स्तनोँ को मसलते हुए सिम्मी को बिना कुछ बोले सिम्मी के बदन को कस कर भींच लिया और बिना कुछ किये चुपचाप पडा रहा। सिम्मी ने कुछ राहत की साँस ली।

कालिया ने सिम्मी की हालत चोदते चोदते खराब कर दी थी। पर तौर के मारे सिम्मी कोई शिकायत नहीं कर रही थी। जैसे ही कालिया ने सिम्मी को अपनी बाँहों में लिटाया की सिम्मी आँखें थकान से गहराने लगीं। कुछ ही देर में सिम्मी गहरी नींद में सो गयी।

अब कालिया भी डेढ़ घंटे अविरत परिश्रम से कुछ थका हुआ तो था ही। सिम्मी की गहरी साँसे सुनकर कालिया की आँखें भी गहराने लगीं। देखते ही देखते सिम्मी और कालिया के दो नंगे बदन एक दूसरे से के आहोश में चिपके हुए नींद की गोद में खो गए। अर्जुन भी सीढ़ी पर ही सो गया।

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उनको सोये हुए करीब एक घंटा हुआ होगा की अचानक तपाक….. तपाक….. की आवाज से अर्जुन की नींद खुल गयी। अर्जुन की आँखें नींद से इतनी भारी हो गयीं थीं की खोले खुली नहीं जा रहीं थीं।

पर वह सिम्मी की कालिया के द्वारा की जा रही चुदाई के बहुमुल्य दृश्यों को मिस करना नहीं चाहता था। उसने अंदर झाँक कर पलंग पर देखा तो कालिया सिम्मी के साथ लेटे हुए ही सिम्मी की चूत में सिम्मी के पिछवाड़े से ही अपना लण्ड पेले जा रहा था।

इस बार का दृश्य बड़ा ही अद्भुत था। सिम्मी धनुष्य की तरह टेढ़ी हो कर सोइ हुई थी। उसके बिलकुल पीछे सिम्मी और अपने बिच बिलकुल भी जगह ना छोड़ते हुए (हालांकि सिम्मी की गाँड़ और कालिया की झांटों के बिच घिरा हुआ कालिये का लण्ड आगे पीछे हो सके उतनी ही जगह छूटी हुई थी) कालिया भी सिम्मी की ही तरह धनुष्य आकार में टेढ़ा लेटा हुआ सिम्मी को पीछे से अपनी गाँड़ को धक्के मारते हुए अपने पेंडू को आगे पीछे कर जोर से चोदे जा रहा था।

सिम्मी की गाँड़ के गालों से कालिया के लण्ड, उसकी झांटें और उसके पेंडू के टकराने से “छपाक….. छपाक……” की आवाजें आ रही थीं।

गहरी नींद में लेटी हुई सिम्मी भी नींद में ही कालिया की चुदाई से सपने में ही उत्तेजित हो कर “आह…… आह…..” की आहें भर रही थी।

कालिया और नींद में डूबी हुई सिम्मी की इस तरह चुदाई कुछ देर चली तब सिम्मी कुछ देर बाद जागी और उसने महसूस किया की उसकी चुदाई सपना नहीं हकीकत थी। इस बार सिम्मी को कालिया की चुदाई बहुत ज्यादा मादक लगी।

कुछ देर बाद सिम्मी ने कालिया का लण्ड अपनी चूत में से निकाला और वह बिस्तरे में पलटी और कालिया से आमने सामने लिपट गयी। कालिया का विकराल लण्ड सिम्मी के पेट को टॉच रहा था। सिम्मी की चूँचियाँ कालिया की छति के बालों में अटक गयीं थीं।

सिम्मी ने कालिया की गर्दन अपनी बाँहों में लेकर कालिया के होँठों से अपने होँठों को सटा कर उससे गहरी किस की और कालिया की आँखों में आँखें मिलाकर बोली, “कालिया तूने मुझे आज एक अच्छे पति की तरह बड़ा सुख दिया है। मैं जीवन भर के लिए तो तेरी पत्नी नहीं बन सकती, पर तुझे यह विश्वास दिलाती हूँ की जब तक मैं यहां रहूंगी तब तक जब मौक़ा मिलेगा, मैं तुमसे एक पत्नी की तरह ही चुदवाती रहूंगी।“

कालिया ने कहा, “मेरी रानी, मैं तुझे वादा करता हूँ की आजसे मैं एक अच्छा पति, एक अच्छा इंसान बन कर रहूंगा और किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं करूंगा। तू जब कहेगी मैं तैयार रहूंगा।”

सिम्मी ने मुस्कुरा कर कालिया से कहा, “तुमने मुझे अब तक बहुत रगड़ रगड़ कर चोदा है। अब मेरी बारी है। अब मैं तुझे चोदुंगी।”

यह कह कर सिम्मी ने कालिया को पीठ के बल लिटा दिया और खुद कालिया के लंड के ऊपर अपना मुंह लगा कर कालिया के लण्ड को चाटने लगी।

अपने मुंह की लार से कालिया का लण्ड वह स्निग्ध भी करती रही और कालिया का कुछ बिखरा हुआ वीर्य भी चाटती रही। सिम्मी कालिया को बहुत सुख देना चाहती थी। शायद वह उस रात को शादी की सुहाग रात के रूप में मनाना चाहती थी। कालिये के लंड का स्वाद सिम्मी को भाने लगा।

सिम्मी ने काफी झुक झुक कालिये के लण्ड को काफी देर तक चाटा। कालिया लेटा हुआ, सिसकारियां भरता रहा। कुछ ही देर में सिम्मी ने महसूस किया की कालिये का बदन अकड़ने लगा है। तब सिम्मी को लगा की कहीं कालिया अपना वीर्य छोड़ ना दे।

तब सिम्मी पीठ के बल लेटे हुए कालिये के बदन के ऊपर चढ़ गयी। कालिया का लण्ड उसने अपने हाथ से ही अपनी चूत के पंखुड़ियों के बिच में रखा और ऊपर से निचे एक धक्का मार कर एक ही झटके में अपनी चूत में घुसेड़ दिया।

कालिया का लण्ड सिम्मी की बच्चे दानी तक पहुँच गया। सिम्मी को यह ख़याल भी आया की ऊपर से कालिया को चोदने से शायद कालिया जब कालिया उसका वीर्य छोड़ेगा तो वह उसकी चूत में तो जाएगा पर टिकेगा नहीं और जल्दी ही निचे आ जाएगा और उसे गर्भवती होने से बचाएगा।

सिम्मी ने धीरे धीरे कालिया के ऊपर से ही कालिया को चोदना शुरू किया। सीढ़ी पर बैठे हुए अर्जुन के लिए तो यह एक अद्भुत दृश्य था। अर्जुन की दीदी जो कालिया से मिलने के लिए भी तैयार नहीं थी वह उस रात कालिया के ऊपर चढ़ कर कालिया को चोद रही थी।

अर्जुन अपनी नजरें गड़ाए हुए दो नंगे बदनों को एक दूसरे से रगड़ते हुए देख रहा था। उसका लण्ड फिर उसकी निक्कर में खड़ा हो गया था।

कालिया के ऊपर चढ़ कर कालिया को चोदने का अनुभव सिम्मी के लिए अद्भुत रोमांचक था। सिम्मी की चूत कालिये के लण्ड से सख्ती से जकड रही थी उस का कालिया के लण्ड की चमड़ी से जो घर्षण हो रहा था वह सिम्मी की चूत में विचित्र सी कम्पन पैदा कर रहा था। सिम्मी की चूत रोमाँच से फड़फड़ा रही थी।

कूल्हों को ऊपर निचे उठा कर कालिया को निचे रख कर चोदने के कारण सिम्मी बहुत ज्यादा उकसाई हुई लग रही थी। कुछ ही देर इस तरह चुदाई करने से सिम्मी की चूत में बड़ा उफान आया और सिम्मी का दिमाग उत्तेजना और कामुक रोमांच से घूमने लगा। सिम्मी अपने चरम पर पहुँच रही थी।

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इधर कालिया के लिए भी सिम्मी से चुदने का अनुभव कोई कम उत्तेजक नहीं था। कालिया को चोदते हुए सिम्मी की चूँचियाँ जिस तरह से उछल रहीं थीं, जैसे कालिया को चुनौती दे रहीं थीं की “आओ और मुझे मसल दो।” कालिया सिम्मी से चुदवाते हुए उन चूँचियों को दोनों हाथ से पकडे उन्हें मसल रहा था।

सिम्मी चोदते हुए इतनी उत्तेजित हो गयी की ऊसके झड़ने का समय आ गया। सिम्मी अचानक कालिया को चोदते हुए चिल्लाई, “जोरसे चुसो मेरी चूँचियों को। काटो निप्पलोँ को। रगड़ो मेरी चूँचियों को। जल्दी जोरसे। मैं झड़ने वाली हूँ।”

ऐसा चिल्लाते हुए सिम्मी एकदम झड़ गयी। सिम्मी चूत में से काफी पानी निकल कर बहने लगा था। सिम्मी कालिया के ऊपर ही एकदम ढेर हो कर गिर पड़ी और कालिया के लण्ड को अपनी चूत में रखे हुए ही वह कालिया के ऊपर लेट गयी।

कालिया ने सिम्मी की पीठ पर अपने दोनों हाथ डाल कर सिम्मी को अपनी बाँहों में जकड़े रखा और सिम्मी को पूरी तरह झड़ने दिया। काफी देर तक पड़े रहने के बाद भी सिम्मी वहां से हट नहीं रही थी। सिम्मी कालिया के लण्ड को अपनी चूत से निकालना नहीं चाह रही थी।

सिम्मी को अपने ऊपर लिटाये हुए कालिया वैसे ही कुछ देर पड़ा रहा। फिर उसने धीरे से सिम्मी को उठाया। शायद सिम्मी थक कर सो रही थी। कालिया के हिलाने पर भी सिम्मी ने जब आँख नहीं खोली तो कालिया ने सिम्मी को धीरे से कहा, “मेरी रानी, तुम तो झड़ गयी। पर अभी मेरा झड़ना बाकी है। तुम लेट जाओ अब मुझे चोदने दो।”

यह कह कर कालिया ने अपना लण्ड सिम्मी की चूत में से निकाला और सिम्मी को पीठ के बल लिटा कर सिम्मी के ऊपर चढ़ गया। इस बार कालिया ने जल्दी ही अपना लण्ड सिम्मी की चूत में डाल दिया। सिम्मी के पानी और कालिया के वीर्य से चिकना हुआ कालिये का लंड सिम्मी की चूत में थोड़ी सी मशक्क्त के बाद ज्यादा दिक्कत किये बिना चला गया।

सिम्मी ने अभी आँखें नहीं खोलीं थीं। कालिया के लण्ड में उसका वीर्य जोर से दौड़ रहा था। कालिया सिम्मी की चूत दुबारा अपने वीर्य से भर देना चाहता था। शायद कालिया को लग रहा था की कहीं अगर सिम्मी उसके वीर्य से गर्भवती हो गयी तो हो सकता है वह कालिया से शादी करने के लिए अपना मन बना ले।

कालिया बहुत ज्यादा उत्तेजित था। अब उसे सिम्मी को चोदने के अलावा कुछ भी नहीं दिख रहा था। करीब करीब बेहोश पड़ी हुई सिम्मी की चूत में कालिया ने जोर जोर से अंदर काफी गहराई तक चोदना शुरू किया। कालिया अब रुक रुक कर पर एक के बाद एक पहले से कहीं जोरदार धक्के मारे जा रहा था।

कालिया के धक्के से पलंग इतना हिल रहा था जैसे अब टूटेगा, अब टूटेगा। कालिया को इसकी कोई चिंता नहीं थी। उस तो बस अब अपना वीर्य स्खलन सिम्मी की चूत में उंडेलना ही था।

एक एक बाद एक जोर से धक्के मारते हुए एकदम कालिया का वीर्य चाप बढ़ गया। कालिया का दिमाग एकदम चकराने लगा। कालिया फिर भी धक्के मारे जा रहा था। फिर एक जोरदार धक्का जब कालिया ने लगाया और उसके दिमाग में फिर वही इतना जबरदस्त विस्फोटक धमाका हुआ की उसकी प्रचंडता से वह और सिम्मी दोनों एकदम लुढ़क गए।

सिम्मी ने चौक कर आँखें खोलीं। कालिया के लण्ड से फिरसे उसके वीर्य की तगड़ी धार फव्वारे की तरह फूट पड़ी और सिम्मी की चूत को देखते ही देखते पूरी तरह भर दिया।

जब सिम्मी ने जोर से चीख कर कहा, “कालिया, यह तुमने क्या किया?” तब कालिया को होश आया की वह विस्फोटक धमाका सिर्फ उसके दिमाग में ही नहीं पर एक और धमाका पलंग के टूटने से हुआ था। अब वह और सिम्मी दोनों ही सर निचे की तरफ और पाँव ऊपर की तरफ ऐसे लुढ़के हुए लेटे थे। टूटे हुए पलंग को देख कर सिम्मी के मुंह से निकल गया:

“कालिया, यह तुमने क्या किया? मेरे चाचे का पलंग तुने तोड़ दिया।
अब क्या होगा, मैं क्या करुँगी, तूने तो मेरा भंड़ा फोड़ दिया।”

कालिया और सिम्मी को उस समय यह पता नहीं था की धमाके दो नहीं तीन हुए थे। विस्फोटक धमाके सिर्फ कालिया के दिमाग में और पलंग के तोड़ने से ही नहीं हुए थे। कालिया से इस तरह बेरहमी से सिम्मी को चोदते हुए दृश्य को देखते देखते अर्जुन भी सीढ़ी से लुढ़क पड़ा और धड़ाम से निचे रखे हुए बर्तनों के ढेर पर गिर पड़ा और एक धमाका और भी उनमें जुड़ गया। इस तरह विस्फोटक धमाके एक नहीं पर एक साथ तीन हुए।

कालिया सिम्मी को सुबह के तीन बजे तक चोदता रहा। सिम्मी भी कालिया से खूब जोश से चुदवाती रही। कालिया ने उस रात चार बार झड़ गया। सिम्मी उस रात छह बार झड़ गयी थी।

पढ़ते रहिये कहानी आगे जारी रहेगी!

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