दोस्त की माँ को दोनों ने ठोका

नमस्कार मेरे मित्रगणों  और सुनाइए कैसे आप सब , में दीवान चोदने एक बार फिर से आप सभी के सामने अपनी एक और नई कहानी लेकर आया हूँ. सबसे पहले में आप सभी को मेरा परिचय करवा देता हूँ. में अमहदाबाद  के झंझटघट  शहर में रहता हूँ और मेरी उम्र 23 साल है. मेरी लम्बाई 6.7 है और मेरा फिगर 39-30-38 है. मोटी गांड वाली लड़कियों की बात ही कुछ और है.


 क्या गजब चुदकड़ अंदाज थी आज में आप सभी को अपनी जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ यह एकदम सच्ची कहानी है और करीब एक साल पहले की बात है, मेरा एक दोस्त है जिसका नाम सुमित चूतमारे  है और में और सुमित चूतमारे  बहुत पक्के दोस्त है. हम दोनों एक दूसरे से सभी तरह की बातें करते है और हम दोनों के बीच में सभी तरह की बातें होती है. दोस्तों में पहले कभी भी सुमित चूतमारे  के घर पर नहीं गया था, क्योंकि उसका घर मेरे घर से बहुत दूर है और उसके घर के आसपास ज्यादा घर भी नहीं है इसलिए उसका घर थोड़ा सा सुनसान जगह पर है. लड़किया क्युआ गजब चुदकड़ होती है दोस्तों.


 मेरे मित्रगणों  क्या मॉल थी उसकी चुची पीकर मजा आ गया एक दिन सुमित चूतमारे  का 20 जन्मदिन था इसलिए उसने अपने घर पर एक छोटी सी पार्टी रखी थी और इसलिए उसने मुझसे उसके घर पर आने के लिए बहुत आग्रह किया और इसलिए में रात के करीब 9 बजे उसके घर पर पहुंच गया. मेरे पहुंचते ही वो मुझे देखकर बहुत खुश हुआ और उसने मुझे सोफे पर बैठने के लिए कहा तो में बैठ गया और तभी उसकी मम्मी मेरे लिए पानी लेकर आ गई. मै एक नंबर का आवारा चोदा पेली करने वाला  लड़का हु मुझे लड़किया चोदना अच्छा लगता है.


 मेरे प्यारे दोस्तो चुची पिने का मजा ही कुछ और है  उम्र करीब 50 साल की होगी, लेकिन वो 30 साल की लग रही थी और वो बहुत ही सुंदर थी उसने अपनी साड़ी को हमेशा नाभि के नीचे पहनी हुई थी और उसकी नाभि बहुत ही गहरी और बहुत चौड़ी थी. उसके बूब्स भी बहुत बड़े और एकदम गोल थे. उसकी आँखे नशीली कामुक थी और होंठ गुलाबी और मुलायम थे किसी को भी उन पर किस करने का जी चाहे, वो बिल्कुल ऐसे थे कि में तो उसे देखता ही रह गया. ये कहानी पढ़ कर आपका लंड खड़ा नहीं हुआ तो बताना  लड खड़ा ही हो जायेगा .


 मेरे मित्रगणों  चुत छोड़ने के बाद सुस्ती सी आ जाती है     वो मुझसे बहुत हंस हंसकर बहुत प्यार से बातें हंसी मजाक कर रही थी और जैसे वो मुझे बहुत पहले से जानती है या में उनसे पहले भी बहुत बार मिल चुका हूँ उनका व्यहवार मेरे लिए बहुत अच्छा और वो बहुत खुले विचारो की बहुत हसमुख स्वभाव वाली औरत थी, इसलिए में पहली बार मिलते ही उनकी तरफ बहुत ज्यादा आकर्षित हो गया और अब में अब मन ही मन में सोच रहा था कि कैसे सुमित चूतमारे  के घर पर दोबारा आया जाए? तभी मेरे दिमाग़ में एक विचार आया जिसको सोचकर में बहुत खुश हुआ. क्या बताऊ मेरे मित्रगणों   उसको देखकर किसी लैंड टाइट हो जाये.


 मेरे मित्रगणों  मने बहुत सी भाभियाँ चोद राखी है फिर मैंने दूसरे दिन जब सुमित चूतमारे  कंप्यूटर क्लास में मुझसे मिला तब मैंने उससे कहा कि सुमित चूतमारे  मेरे घर पर तो कंप्यूटर नहीं है क्या में तुम्हारा कंप्यूटर को काम में ले सकता हूँ अगर तुम्हे इसमे कोई भी आपत्ति ना हो और तुम मुझे इस बात की इजाजत दे दो तो में तुम्हारे घर पर आ सकता हूँ? वरना मुझे कहीं किसी और से बात करनी पड़ेगी और हो सकता है कि मुझे इसके लिए कोई क्लास भी जाना पड़ सकता है. मेरे मित्रगणों  क्या मलाई वाला माल लग रहा था.    


तब सुमित चूतमारे  मेरे मुहं से यह बात सुनकर बहुत खुश हो गया और वो मुझसे बोला कि क्यों नहीं? हम दोनों एक बहुत अच्छे दोस्त है, तुम मेरी सभी चीज़े काम में ले सकते हो, मुझे इसमें किसी भी तरह की कोई भी आपत्ति नहीं होगी, तुम मेरे घर आओगे तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी और तुम्हारे साथ साथ मेरा भी पढ़ाई और दूसरे कामो में मन लगा रहेगा. चुदाई की कहानी जरूर सुनना चाहिए मजे के लिए.


 साथियो की पुराणी मॉल छोड़ने का मजा ही कुछ और है दोस्तों में उसका यह जवाब सुनकर मन ही मन बहुत खुश हुआ और मैंने उसको बहुत बहुत धन्यवाद कहा और अब में उसकी मम्मी के साथ वो सब करने के सपने देखने लगा और दूसरे दिन में बहुत खुश होकर सुमित चूतमारे  के घर पर पहुंच गया. वो उस समय इंटरनॅट पर सेक्सी फिल्म देख रहा था और में भी उसके साथ हो गया, तब मैंने देखा कि उसमें एक बहुत सुंदर बिल्कुल नंगी लड़की आई जिसको देखकर मैंने उस लड़की को देखकर तुरंत उससे कहा कि यह तो एकदम तुम्हारी मम्मी जैसी दिखती है, तो सुमित चूतमारे  बोला कि हाँ, लेकिन इसके बूब्स थोड़े छोटे आकार के है, मेरी मम्मी के तो बहुत बड़े बड़े है. अब सुनिए चुदाई की असली कहानी.

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 मेरे मित्रगणों  एक बार चोदते  चोदते  मेरा लंड घिस गया दोस्तों में उसकी यह बात सुनकर तुरंत समझ गया कि सुमित चूतमारे  भी उसकी मम्मी को अपनी गंदी चुदाई की नज़र से देखता है और थोड़ी देर बाद सुमित चूतमारे  की मम्मी जिसका नाम पुनिता लांदोरे  है वो आ गयी वो उस समय कहीं बाहर गई थी, हमने तुरंत इंटरनेट को बंद कर दिया और मैंने पीछे मुड़कर देखा तो आज पुनिता लांदोरे  बहुत कमाल की दिख रही थी, सुमित चूतमारे  रोज उसकी मम्मी को कपड़े बदलते हुए देखता था और जब पुनिता लांदोरे  कपड़े बदलने के लिए दूसरे कमरे में चली गई तो सुमित चूतमारे  मेरे पास से उठकर उस एक छोटी सी खिड़की में से अपनी मम्मी को कपड़े बदलते हुए देखने चला गया. वहा का माहौल बहुत अच्छा था  मेरे मित्रगणों  .


अब में उसको इधर उधर खोजने लगा तो मैंने देखा कि वो एक टेबल को नीचे रखकर उस पर खड़ा होकर उस खिड़की से अंदर देख रहा था.

 वहा जबरजस्त माल भी थी मेरे मित्रगणों    मेरे मित्रगणों  उस लड़की मैंने चुत का खून निकल दिया मैंने उससे कहा कि तुम क्या देख रहे हो? तब उसने मुझे चुप कर दिया और उस टेबल पर ऊपर आने को कहा में झट से उस टेबल के ऊपर चड़ गया और अब में भी खिड़की से अंदर की तरफ देखने लगा. पहले तो पुनिता लांदोरे  ने अपनी साड़ी को उतार दिया, जिसकी वजह से वो अब ब्लाउज पेटीकोट में खड़ी हुई थी और उसके वो बड़े आकार के बूब्स उसके ब्लाउज में समा भी नहीं पा रहे थे और वो ब्लाउज के ऊपर से ही बाहर निकल रहे थे, इतने में उसने ब्लाउज को भी उतार दिया वाह क्या गोरा बदन था जिसको देखकर मेरा लंड तो एकदम टाइट हो गया, उसने काली कलर की ब्रा पहन रखी थी..

 मेरे मित्रगणों  चोदते चोदते चुत का भोसड़ा बन गया उसने अपने उस पेटीकोट को भी उतार दिया, वाह क्या सुंदर जांघे थी एकदम गोरी गोरी और भरी भरी. मुझे अपनी आखों पर बिल्कुल भी विश्वास ना था कि में यह सब क्या देख रहा हूँ और वो भी अपने दोस्त के साथ उसी के घर में उसी की हॉट सेक्सी मम्मी का गोरा भरा हुआ बदन. अब वो आईने में देखकर अपने बूब्स को देखने लगी और वो अपने बूब्स को देखकर मुस्कुरा रही थी और फिर ब्रा की डोरी को ठीक करने लगी और अपनी पेंटी में ऊँगली फंसाकर उसको भी ठीक किया और ब्रा पेंटी को थोड़ा ऊपर नीचे करने के बाद अब पुनिता लांदोरे  ने गाउन पहन लिया. तब तक हम दोनों उस टेबल से नीचे उतर गये और फिर से जाकर कंप्यूटर पर बैठ गये. ऐसे माहौल कौन नहीं रहना चाहेगा मेरे मित्रगणों . 


 मेरे मित्रगणों  एक बार मैंने अपने गांव के लड़की जबरजस्ती चोद दिया दोस्तों सुमित चूतमारे  उस समय प्री मेडिकल टेस्ट की तैयारी कर रहा था, इसलिए वो कंप्यूटर पर कम बैठता था क्योंकि कंप्यूटर उसके कम काम में आता था, लेकिन में कंप्यूटर को उससे ज़्यादा काम में लेता था. उह क्या मॉल था मेरे मित्रगणों  गजब .

 मेरा तो मन ही ख़राब हो जाता था मेरे मित्रगणों   एक दिन में कंप्यूटर पर बैठा हुआ अपना काम कर रहा था इतने में सुमित चूतमारे  की मम्मी हमारे लिए चाय बनाकर ले आई और अब उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे भी कंप्यूटर चलाना सीखना है में बहुत दिनों से कंप्यूटर सीखना चाहती हूँ, लेकिन मुझे यहाँ पर सिखाने वाला कोई भी नहीं है मैंने बहुत बार अपने बेटे से भी यह बात कही, लेकिन वो हमेशा मेरी बात को अनसुनी कर देता है. तो मैंने उनसे बोला कि इसमे ऐसा क्या है, अगर आप चाहती है तो में आपको सिखा दूँगा? क्या बताऊ मेरे मित्रगणों  मैंने चुदाई हर लिमिट पार कर दिया.


 कुछ भी  हो माल एक जबरजस्त था  इसको चलाना बहुत आसान काम है. तब पुनिता लांदोरे  ने बहुत खुश होकर मुस्कुराते हुए मुझसे कहा कि कल से हम अपनी क्लास शुरू करेंगे, आज मुझे थोड़ा ज्यादा काम है, मैंने भी मन ही मन बहुत खुश होकर उनसे कहा कि अच्छा ठीक है आपकी जैसे मर्जी और मुझे पूरी रात वो सब सोच सोचकर नींद नहीं आई कि मुझे कल से पुनिता लांदोरे  को कंप्यूटर जो सीखना था और वो मेरे पास बैठेगी यह बात सोचकर ही मेरा लंड तो खड़ा हो जाता, मुझे उस सारी रात उसके साथ चुदाई के विचार आते रहे. उसको देखकर  किसी का मन बिगड़ जाये 


 मेरे मित्रगणों  मैंने किसी भाभी को छोड़ा नहीं है अगले दिन मैंने एकदम टाइट टी-शर्ट पहनी और सैंट भी लगाया में हर रोज की तरह उसके आने से पहले ही सुमित चूतमारे  के घर पर पहुंच गया और मैंने देखा कि उस दिन पुनिता लांदोरे  ने बिना बाँह का गाउन पहन रखा था. वो मेरे पास एक कुर्सी रखकर उस पर बैठ गई और मैंने कंप्यूटर का माउस उसकी तरफ रखा था ताकि माउस को चलते समय में जानबूझ कर अपने हाथ को आगे पीछे करते समय उसके बूब्स को भी छू लूँ. उह भाई साहब की माल है उसकी चुत की बात ही कुछ और है.

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 मेरे मित्रगणों  एक बार स्कूल में चुदाई कर दिया बड़ा मजा आया में अब उनको कंप्यूटर के सभी हिस्से दिखा रहा था और बता भी रहा था इसको बोर्ड कहते है और बाद में माउस को छूते हुए मैंने जानबूझ कर उसके बूब्स के साथ मेरा हाथ टकरा दिया. तभी वो मेरी कोहनी के उसके मुलायम बूब्स पर छूते ही तुरंत पीछे हट गयी. मैंने उससे कहा कि माफ़ करना आंटी गलती से हो गया. तो वो बोली कि कोई बात नहीं है मैंने अब सबसे पहले माउस को चलाने के बारे में कहा जिसकी वजह से अब तो कई बार मेरा हाथ उसके बूब्स से टकरा रहा था और अब वो पीछे भी नहीं हटा रही थी और में मज़े लिए जा रहा था. मेरे मित्रगणों  चोदते  चोदते  कंडोम के चीथड़े मच गए.


 ओह्ह उसके यह का चुम्बन की तो बात अलग है दूसरे दिन जब में अपने दोस्त के घर पर गया तब मुझे पता चला कि सुमित चूतमारे  कहीं बाहर गया हुआ था, इसलिए में और सुमित चूतमारे  की मम्मी घर पर अकेले ही थे और में बहुत खुश था, क्योंकि अब मुझे किसी भी बात की कोई भी टेंशन नहीं थी. अब मैंने की बोर्ड उसको चलाना सिखाया, लेकिन उसकी उंगलिया उस पर ठीक तरह से बैठ ही नहीं रही थी कई बार ऐसा किया, लेकिन कामयाब नहीं हुई और अब वो थक गयी, इसलिए उसने मुझसे कहा कि अब मुझे इससे ज्यादा कुछ नहीं आएगा. एक बार मैंने अपने मौसी की लड़की को जबरजस्ती चोद दिया.


 है उसके गांड मेरा मतलब तरबूज क्या गजब भाई मैंने मौका देखकर उससे कहा कि एक काम करो तुम मेरी गोद में बैठ जाओ में पीछे से जिसके ऊपर में उंगली रखूं तुम भी उस पर अपनी ऊँगली रखना वो बोली कि हाँ यह ठीक होगा है. अब वो मेरी गोदी में आकर बैठ गयी मेरा लंड तो पहले से ही पूरा टाइट हो गया, लेकिन उसकी गांड में फिट नहीं हो रहा था इसलिए मैंने उससे कहा कि थोड़ा सा ऊपर आ जाओ और वो जैसे ही ऊपर आई मेरा लंड उसकी गांड के बीच में बिल्कुल फिट हो गया, अब तो मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और शायद उसे भी मेरा लंड अपनी गांड में महसूस करके बहुत मज़ा आ रहा था और मैंने पूरे एक घंटे तक उसके बूब्स और गांड का पूरा पूरा मज़ा लिया. उसके बाद में अपने घर पर आ गया और अपने घर पर आकर मैंने उसके नाम से अपना लंड हिलाया और लंड को शांत किया. मेरे मित्रो मामा की लड़की की चुदाई में बड़ा मजा आया.


 मेरे मित्रगणों  कई बार जबरजस्ती शॉट मरने में चुत से खून निकल गया फिर दूसरे दिन उसने टी-शर्ट और स्कर्ट पहनी हुई थी और उसके नीचे ब्रा भी नहीं पहनी थी. में तुरंत समझ गया कि अब आंटी को भी मेरे साथ मज़ा आ रहा है मेरे पास आते ही वो सीधी आकर मेरी गोदी में बैठ गई सुमित चूतमारे  यह सब देख रहा था. उसका भोसड़ा का छेड़ गजब का था मेरे मित्रगणों  .


 उसकी बूब्स  देखते ही उसको पिने की इच्छा हो गयी   जैसे ही वो मेरी गोदी में बैठी तो मेरा लंड जींस में तन गया और उसकी गांड में एकदम फिट हो गया. अब तो में बड़े बड़े उसके बूब्स और निप्पल को हाथ लगा रहा था और मैंने कुछ देर बाद महसूस किया कि अब पुनिता लांदोरे  के निप्पल बिल्कुल टाइट हो गए थे और वो अब उसकी टी-शर्ट में से साफ साफ तने हुए दिखाई दे रहे थे. मेरे मित्रगणों  मै सबसे पहले उसकी गांड मरना चाहता हु .


 उसको पेलने की इच्छा दिनों से है मेरे मित्रगणों  अब मैंने एक हाथ उसकी जाँघ पर रख दिया और अपने हाथ को घुमाने लगा. वो मुझसे कुछ नहीं बोल रही थी, लेकिन मुझे अब वो जींस की पेंट पहनने से बहुत ज्यादा तकलीफ़ हो रही थी और उस बात को वो बहुत अच्छी तरह से समझ गयी इसलिए वो मुझसे बोली कि अगर तुम्हे गर्मी महसूस हो रही है तो तुम सुमित चूतमारे  का ट्राउज़र पहन लो, मैंने तुंरत कहा कि हाँ यह ठीक है. अब में फट से खड़ा हो गया वो मेरे पीछे आई और उसने मुझे सुमित चूतमारे  का ट्राउज़र दे दिया और टी-शर्ट भी दे दी अच्छा चुदाई चाहे जितनी कर साला फिर भी लैंड नहीं मनता मेरे मित्रगणों .   

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 मेरे मित्रगणों  मेरा तो मानना है जब भी चुत मारनी हो बिना कंडोम के ही मारो तभी ठीक नहीं सब बेकार मैंने उसके सामने ही अपनी शर्ट को उतार दिया वो इस पल की राह देख रही थी क्योंकि में हर रोज कसरत करता हूँ इसलिए मेरा शरीर और मेरे मसल्स बहुत अच्छे आकार के थे और जैसे ही मैंने अपनी शर्ट को उतारा वो मेरा कसा हुआ बदन को देखती ही रह गयी. उसने पास आकर मेरी छाती पर हाथ लगाया और बोली कि तुम्हारा बदन तो मस्त है. उसके बूर की गहराई में जाने के बाद क्या मजा आया मेरे मित्रगणों   जैसे उसके चुत में माखन भरा हो.


 उसको देखने बाद साला चुदाई भूत सवार हो जाता मेरे मित्रगणों  तभी सुमित चूतमारे  ने उसे आवाज देकर बुला लिया और में कपड़े बदलकर वापस चला गया तो पुनिता लांदोरे  बैठी हुई मेरी राह देख रही थी. अब उसे भी मेरे साथ चुदाई करने की इच्छा हो रही थी और में जैसे ही कुर्सी पर बैठा वो फट से मेरी गोदी में आकर बैठ गयी और मैंने भी कपड़े बदलते समय अपनी अंडरवियर को उतार दिया था इसलिए मेरा लंड पुनिता लांदोरे  की गांड का ज़्यादा अच्छी तरह से महसूस हो रहा था और अब में उसकी जाँघ पर हाथ फेर रहा था और धीरे धीरे उसकी स्कर्ट को ऊपर उठा रहा था. मुझे तो कभी कभी चुदाई का टाइफिड बुखार हो जाता है और जब तक चुदाई न करू    तब तक ठीक नहीं होता.


तभी पुनिता लांदोरे  ने मुझसे कहा कि अभी नहीं, अगर अचानक से सुमित चूतमारे  यहाँ पर आ गया तो वो हमे इस हालत में देख लेगा. अब में उनके कहते ही तुरंत रुक गया और फिर मैंने सुमित चूतमारे  की तरफ देखा तो वो अपनी एक किताब को अपने सामने रखकर पढ़ाई करने के बहाने से मुठ मार रहा था. अब मैंने पुनिता लांदोरे  की वो बात मान ली और में बंद हो गया. एक बात और मेरे मित्रगणों  चुत को चोदते समय साला पता नहीं क्यों नशा सा हो जाता बस चुदाई ही दिखती है.

 
 उह यह उसकी नशीली आँखे में एक दम  चुदकड़ अंदाज है दूसरे दिन मैंने उसके घर पर जाने से पहले ही सुमित चूतमारे  को सब कुछ बहुत अच्छी तरह से समझा दिया जिसको वो समझ भी चुका था और जब में उसके घर पर गया तो सुमित चूतमारे  ने मुझे देखकर अपनी मम्मी के सामने एक झूठा बहाना बनाया और कहने लगा कि में दो घंटे बाद आ जाऊंगा कहकर वो तुरंत बाहर चला गया. मेरे मित्रगणों  देखने से लगता है की वो पका चोदा पेली का काम करती होगी.


मेरे मित्रगणों  चुत को चाटेने के  समय उसके बूर के बाल मुँह में आ रहे थे   अब पुनिता लांदोरे  उसकी बात को सुनकर बहुत खुश होकर मेरी गोदी में आकर बैठ गई अब तो हम दोनों के सामने खुला मैदान था हमे रोकने देखने वाला उस समय पूरे घर में कोई भी नहीं था. आज हम दोनों अपनी मर्जी में मालिक थे और अपनी मर्जी का कोई भी काम कर सकते थे, हमे किसी से डरने की जरूरत नहीं थी. अब मैंने जल्दी से आगे बढ़कर उसकी टी-शर्ट को ऊँचा उठा दिया और अब ब्रा के ऊपर से ही बूब्स को दबाने लगा और निप्पल को निचोड़ने लगा. मेरे मित्रगणों  मुझे तो कभी कभी चुत के दर्शन मात्र से खूब मजा आता क्योकि मई पहले बहुत बार अपने मौसी के लड़की  को बिना पैंटी के देखा था  वाह क्या मजा आया था.

 अब चुदाई करने को  १००% तैयार थी   पुनिता लांदोरे  भी उस वक़्त का बहुत इंतज़ार कर रही थी और वो मुझसे कुछ भी नहीं बोली बस सिसकियाँ लेती रही और में अपने काम में लगा रहा. अब मैंने आंटी की टी-शर्ट को उतार दिया और उसके बाद ब्रा को भी उतार दिया, वाह क्या मस्त बूब्स थे एकदम नरम नरम, गोरे गोरे बहुत मोटे में तो उसे ज़ोर से मसलने लगा. मन कर रहा था कब इसे चोद लू मेरा लंड समझने  को तैयार नहीं था .
 अब बिना चुदाई के रह नहीं सकता था मेरे मित्रगणों  मै पागल सा हो गया  फिर वो बोली कि प्लीज आह्ह्ह्हह्ह थोड़ा धीरे से करो मेरे राजा आईईईई मैंने अपना हाथ उनके बूब्स पर थोड़ा ढीला कर दिया, वाह क्या निप्पल थी एकदम लाल रंग की और अंगूर के दाने जैसी. वो बिल्कुल कड़क हो गयी थी और अब मैंने उसकी स्कर्ट को भी उतार दिया. ओह ओह ओह है कब लंड को घुसा दू ऐसा लग रहा था मेरे मित्रगणों.

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