नमस्कार मेरे मित्रगणों और सुनाइए कैसे आप सब बात उन दिनों की हैं जब मैं खड़कपुर से अपनी ट्रेनिंग निपटा के पहली बार हमारे दिल्ली ऑफिस में गया था. मैं उन दिनों 19 साल मात्र का एक नया कोर्पोरेट प्रे यानी की शिकार था. शिकार इसलिए क्यूंकि साले यहाँ पे सब मेरी पुंगी बजाते रहते थे. जूनियर था ना इसलिए काम गधे के जैसे लादा जाता था. ऑफिस के ही शुक्ला सर, मोना मेडम और बृजेश भोसड़ा साब सब अपने जिम्मे का काम भी मुझ से करवाते फिरते थे. मोना का काम तो फिर भी मैं बाथरूम में उसकी चूडासी चूत की याद में मुठ मारने के बदले में कर दे सकता था लेकिन यह दोनों लौड़ो के उपर मुझे शुरू से ही गुस्सा आता था. चलिए अब मैं आप को मोना मेडम के बारे में बताता हूँ. उसकी उम्र कुछ 40 के करीब हैं और वो एक मोडर्न पहरवेश और खयालो वाली महिला हैं. उसकी बड़े चूडासी चुंचे और उभरी हुई गांड देख के आप मनोमन यह अंदाजा जरुर लगा सकते हैं की उसकी चूत जरुर एक चूडासी चूत होंगी. बस हमारे नसीब में ऐसी चूडासी चूत और गांडो के बारे में सोच सोच के मुठ मारना ही लिखा था तभी तो 18 साल के उपर 14 महीने होने के बाद भी हम अपना हाथ विश्नाथ किये हुए थे. मोटी गांड वाली लड़कियों की बात ही कुछ और है.
क्या गजब चुदकड़ अंदाज थी दिन निकलते गए और मैं रोज इन तीनो को ढेर सारी गालियाँ देते हुए उनका काम करता था. यह ऑफिस छोटा सा था और मेरे इन तीनो और हमारे सब के बॉस धनराज के अलावा यहाँ पे एक लोकल अंकल नौकरी करते थे. यह अंकल जिनका नाम बलराज गुप्ता था वो यहाँ पे चपरासी थे जो सब को चाय पानी देना और दुसरे छोटे काम करने के लिए रखे गये थे. मैं उन्हें पहले से अंकल कह के बुलाता था लेकिन उन्होंने मुझे कहा की मेरी उम्र उतनी भी नहीं हैं की मुझे अंकल कहो सर, आप मुझे वीरेंदर लोखंडवाला ही कहिए. पहले तो अजीब लगता था लेकिन मैं उन्हें वीरेंदर लोखंडवाला ही कहने लगा उसके बाद से. मैं अक्सर उन्हें टिप और काम से बचे हुए पैसे ऐसे ही दे देता था इसलिए हम दोनों काफी घुल मिल गए थे. एक दिन इन तीनो ने मुझे एक बड़ी फ़ाइल दे दी इसलिए मुझे काम निपटाते हुए शाम के साढे सात हो गए. वीरेंदर लोखंडवाला मेरी ऑफिस में ही बैठ के मेरा काम निपटने का इन्तेजार कर रहे थे. उन्हें ऑफिस को ताला लगा के घर जाना था. मैं अभी भी मनोमन गाली दे रहा था उन लोगो को. वीरेंदर लोखंडवाला ने मुझे पूछा, “अरे साहब क्या हो गया इतने गुस्से में क्यों हो?” लड़किया क्युआ गजब चुदकड़ होती है दोस्तों.
मैं: अरे वो बेन्चोद तीनो रोज मुझे अपना काम भी दे देते हैं. साला जूनियर हूँ इसिलए गांड में डंडा दिए हुए हैं.
वीरेंदर लोखंडवाला : कौन?
मैं: अरे और कौन. शुक्ला, मोना और बृजेश भोसड़ा …!
वीरेंदर लोखंडवाला : अच्छा, बाकी दो का तो पता नहीं लेकिन मोना से आपका पीछा हम छुडवा सकते हैं.
मेरे मित्रगणों क्या मॉल थी उसकी चुची पीकर मजा आ गया मेरे चहरे पे आश्चर्य के भाव आ गए और मैंने वीरेंदर लोखंडवाला की तरफ देखा. उसके मुहं के भाव ऐसे ही थे जैसे हमेंशा होते थे. मैं सोच रहा था ऑफिस का चपरासी एक सीनियर का पंगा कैसे दूर करेगा भला? मैंने उसकी आँख में आँख डाली और कहा, “भला तुम मुझे इसमें कैसे मदद कर सकते हो?”
वीरेंदर लोखंडवाला : मोना मेरे क्लास में पढ़ती थी, कोलेज के सेकंड इयर के बाद मुझे घर की परिस्थिति के चलते काम करना पड़ा और पढाई छुट गई. लेकिन उसके पहले कोलेज के पहले दुसरे साल मेरा और मोना का अफेर था. हम जम के चुदाई करते थे. शादी तक के लिए तैयार थे. लेकिन फिर मोना को नौकरी के लिए मुंबई जाना पड़ा और वो जब दो साल के बाद मुझे मिली तो उसकी शादी हो चुकी थी. मै एक नंबर का आवारा चोदा पेली करने वाला लड़का हु मुझे लड़किया चोदना अच्छा लगता है.
मेरे प्यारे दोस्तो चुची पिने का मजा ही कुछ और है वीरेंदर लोखंडवाला की आँखे झुकी थी. उसने लंबी सांस लेते हुए बात को आगे चालू रखा. “और किस्मत तो देखिए, मोना की नौकरी उसके बाद इसी ऑफिस में लगी और वो फिर से मेरे जीवन में आ गई. मैं नहीं चाहता था फिर भी मैं उसके साथ सेक्स करता हूँ. किसी को बताना मत लेकिन यह ऑफिस के हरेक कक्ष में हम चुदाई कर चुके हैं.” ये कहानी पढ़ कर आपका लंड खड़ा नहीं हुआ तो बताना लड खड़ा ही हो जायेगा .
मेरे मित्रगणों चुत छोड़ने के बाद सुस्ती सी आ जाती है मेरे मुहं से हंसी निकल पड़ी, क्यूंकि मैं इसे मजाक ही समझ रहा था. जिस चूडासी चूत को सोच सोच के मैं मुठ मारता था क्या वो चूडासी चूत इस चपरासी से चुद रही थी. मुझे लगा की वीरेंदर लोखंडवाला मेरा दिल बहलाने के लिए मुझे यह सब कह रहा हैं. मैंने उसे कहा, “मैं सच बताऊँ, मोना मेडम की चूडासी चूत को सोच के मैं भी हस्तमैथुन करता हूँ. लेकिन आपकी तरह मैं सपने दिन में नहीं देखता हूँ.” क्या बताऊ मेरे मित्रगणों उसको देखकर किसी लैंड टाइट हो जाये.
मेरे मित्रगणों मने बहुत सी भाभियाँ चोद राखी है वीरेंदर लोखंडवाला के भंवे उपर उठे और वो बोला, “साहब जी चपरासी का लंड क्या लंड नहीं होता हैं. अगर मैं आप को मोना की चूडासी चूत कल शाम को दिखा दूँ तो. फिर मानेंगे आप मेरी बात को.” मेरे मित्रगणों क्या मलाई वाला माल लग रहा था.
मैंने उसकी ओर देखा और कहा, “चलो फिर आप दिखा दो मुझे कल. मैं फिर तो मानूंगा ही ना.”
चुदाई की कहानी जरूर सुनना चाहिए मजे के लिए वीरेंदर लोखंडवाला ने मुझे दूसरी शाम को ऑफिस में छिपने को कहा, जब सब लोग ऑफिस से घर चले जाएँ. मैंने कहा ठीक हैं. उसने कहा वो बाद में ऑफिस खोलेगा और मोना को स्टोर रूम में ले जाके चोदेंगा. अगर मैं मोना की चूडासी चूत देखना चाहूँ तो मुझे स्टोर रूम का द्रश्य साफ़ दिखे ऐसे जगह पे छिपना होगा. मैंने सोचा और मेरे दिमाग में स्टोर के बाजू वाले फ़ाइल के कमरे का ध्यान आया. वह कक्ष बिलकुल स्टोर रूम के बाजू में था और अंदर एक खिड़की भी थी जिस से स्टोर रूम देखा जा सकता था. साथियो की पुराणी मॉल छोड़ने का मजा ही कुछ और है.
अब सुनिए चुदाई की असली कहानी दुसरे दिन सब के ऑफिस से जाने के बाद मैं फ़ाइल वाले कमरे में जा बैठा. वीरेंदर लोखंडवाला मुझे मिल के गया और बोला की मोना 10-12 मिनिट में ऑफिस से वापस आएगी. मैंने कहा ठीक हैं. उसने मुझे कहा की मैं मोबाइल साइलेंट कर दूँ. वो भी ऑफिस में मुझे कैद कर के चला गया. मैंने अँधेरे में मोबाइल की गेम खेल के 15 मिनिट जितना समय निकाल दिया. तभी दरवाजे क उपर से आवाज आई. मैंने छिपे रह के देखा की वीरेंदर लोखंडवाला मोना मेडम को ले के अंदर आया. उसके हाथ मोना की गांड पर रखे हुए थे और वो उसे खिंच के स्टोर रूम में ले आया. मोना बोली, “अरे वीरेंदर लोखंडवाला दो दिन पहले तो तुमने बुलाया था. क्या बात हैं बढती उम्र के साथ लौड़ा दगा दे रहा हैं.” मेरे मित्रगणों एक बार चोदते चोदते मेरा लंड घिस गया.
वहा का माहौल बहुत अच्छा था मेरे मित्रगणों वीरेंदर लोखंडवाला : अरे तेरी चूडासी चूत रोज नींद की माँ बहन करती हैं. तुम ही बताओ अब तुम्हारे जैसी चूडासी चूत वाली औरत मिले तो क्या कोई बीवी को चोदेंगा. मेरे मित्रगणों उस लड़की मैंने चुत का खून निकल दिया.
वहा जबरजस्त माल भी थी मेरे मित्रगणों मोना ने अपनी काली स्कर्ट उठाई और वीरेंदर लोखंडवाला ने तुरंत अंदर की पेंटी निकाल दी. स्टोर रूम में पड़े इस टेबल के उपर मोना अपने दोनों पाँव फैला के लेट गई. वीरेंदर लोखंडवाला अल्सेशियन कुत्ते की तरह अपनी बड़ी जबान निकाल के मोना की चूत को चूसने लगा. मैंने देखा की वीरेंदर लोखंडवाला चूत के दाने को जोर जोर से सक कर रहा था और मोना उसके बालो को पकड़ के उसके मुहं को अपनी चूत में दबा रही थी. मोना के मुहं से सिसकियाँ निकलती जा रही थी, आह आह ओह ओह ओह…बल्लू…आः आह्ह्हह्ह्ह्ह बल्लू आई लव यु. मेरे मित्रगणों चोदते चोदते चुत का भोसड़ा बन गया.
ऐसे माहौल कौन नहीं रहना चाहेगा मेरे मित्रगणों उधर वीरेंदर लोखंडवाला ने अब अपनी एक ऊँगली पे थूंक लगा के उसे मोना की चूडासी चूत के अंदर घुसा दिया और वो जोर जोर से उसे ऊँगली से ही चोदने लग गया. मोना ने टांगो को और भी फैला दिया. वीरेंदर लोखंडवाला ने अपनी खाखी पेंट की क्लिप खोल दी और अंदर पहने कच्छे को भी खोल डाला. मोना ने अपने हाथ को लम्बा कर के वीरेंदर लोखंडवाला के लंड को हाथ में पकड़ा और उसे सहलाने लगी. वीरेंदर लोखंडवाला ने शर्ट भी निकाल दी और खुद भी टेबल के उपर चढ़ बैठा. वो मोना की दोनों टांगो के बिच में बैठा हुआ था. मोना की चूडासी चूत के उपर उसने अपना सुपाड़ा रख दिया और हलके हलके करते हुए पुरे का पूरा लौड़ा अंदर पेल दिया. मोना की सिसकियाँ और भी भारी हो गई और वो अपनी गांड उठा उठा के वीरेंदर लोखंडवाला से चुदवाने लगी. वीरेंदर लोखंडवाला ने मोना के कंधे को एक हाथ से पकड़ा और दुसरे हाथ से कमर को. आह आ अह इ ईईइ आह्ह्ह आ आह आह…..मोना की हालत बड़े लौड़े से चुदाई से ख़राब होती जा रही थी. मेरे मित्रगणों एक बार मैंने अपने गांव के लड़की जबरजस्ती चोद दिया.
उह क्या मॉल था मेरे मित्रगणों गजब वीरेंदर लोखंडवाला बिच बिच में मैं जहाँ पे छिपा इन दोनों की सेक्स लीला देख रहा था उधर नजर फिराता था. वो शायद मुझे नहीं देख सकता था लेकिन मुझे वो साफ़ दिख रहा था. मोना की सिसकियाँ और भी भारी होती गई. वीरेंदर लोखंडवाला ने उसकी टांगो को उठा के अपने कंधे पे रख दी और वो उसकी चूत की गहराई तक उसमे लंड डालने लगा. मेरा तो मन ही ख़राब हो जाता था मेरे मित्रगणों .
क्या बताऊ मेरे मित्रगणों मैंने चुदाई हर लिमिट पार कर दिया कुछ 10 मिनिट की मस्त चुदाई के बाद वीरेंदर लोखंडवाला ने फट से अपने लंड को बहार किया और उसे हिला के सारी मलाई को चूडासी चूत और पेट के भाग पे छिडक दिया. मोना की आह आह बंद हुई. वीरेंदर लोखंडवाला ने लौड़े को पूरा निचोड़ा और फिर निचे उतर के एक पुरानी फ़ाइल ले के उसके कागज से वीर्य पोंछ लिया. मोना भी खड़ी हुई और वो लोग कपडे पहन के बहार चले गए. उनके जाते ही मैंने अपने लंड की मलाई भी एक पेपर में निकाल दी. 10 मिनिट के बाद वीरेंदर लोखंडवाला आया और उसने मुझे मिस कोल दी. मैं बाहर आया और वीरेंदर लोखंडवाला ने कहाँ, “कल से मोना आप को तंग नहीं करेंगी, और बाकी के दो लंड को भी वो देख लेगी….!!!”कुछ भी हो माल एक जबरजस्त था .
उसको देखकर किसी का मन बिगड़ जाये मैं मनोमन सोच रहा था की वीरेंदर लोखंडवाला मोना की चूडासी चूत मुझे भी दिला दे तो वह उपकार कितना बड़ा होंगा……?मेरे मित्रगणों एक बार स्कूल में चुदाई कर दिया बड़ा मजा आया मेरे मित्रगणों मेरा तो मानना है जब भी चुत मारनी हो बिना कंडोम के ही मारो तभी ठीक नहीं सब बेकार एक बात और मेरे मित्रगणों चुत को चोदते समय साला पता नहीं क्यों नशा सा हो जाता बस चुदाई ही दिखती है.