Drishyam, ek chudai ki kahani-15
अर्जुन भी दीदी का हाथ पकड़ कर सिम्मी को घर ले आया और दीदी पर गुस्सा करने लगा। अर्जुन ने दीदी को डाँटते हुए कहा, “दीदी तुम्हें कालिया से उलझने की क्या जरुरत थी? क्या तुम जानती नहीं की कालिया एक छटा हुआ बदमाश है? कालिया तुम्हें भी चाकू मार सकता था। मैंने तुम्हें कहा नहीं, की कालिया आजकल पागल हो रहा है? देखा ना तुमने..? पता नहीं तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है? कालिया को प्यार से समझाने बुझाने के बजाय तुमने तो उसे सीधा एक करारा थप्पड़ ही मार दिया? अब पता नहीं गुस्से में वह क्या कर बैठे? उसे जेल जाने का कोई डर नहीं। वह पहले भी कई बार जेल जा चुका है… मैं तुम्हें यह समझाने की कोशिश कर रहा था की कालिया को बुलाकर प्यार से बात करो। वह तुमसे प्यार करता है, तुम्हारी इज्जत करता है। तुम अगर उसे समझा कर प्यार …