हैल्लो साथियों दोस्तों.. मेरा नाम संजीव चौरसिया है और मेरी उम्र 24 है और मैं मंडावली फरीदाबाद का रहने वाला हूँ.. दोस्तों यह बात उन दिनों की है.. जब मैं 20 साल का था और में किसी काम से कुछ दिनों के लिए फरीदाबाद गया हुआ था.. तो मेरा पूरा दिन फरीदाबाद में अपना काम खत्म करने में ही लग गया और इस वजह से में अपने एक बहुत अच्छे दोस्त से भी नहीं मिल पाया.. जो कि फरीदाबाद में रहता है और मुझे उसी शाम को वापस निकलना पड़ा. लगभग 7 बजे में फरीदाबाद मैट्रो स्टैंड पर मंडावली फरीदाबाद की मैट्रो पकड़ने गया और जब में वहाँ पर पहुँचा.. तो एक मैट्रो निकलने को थी और में जल्दी से उस मैट्रो में चढ़ गया.. लेकिन उस मैट्रो में एक भी सीट खाली नहीं थी.
उसके बाद मैंने दूसरी मैट्रो का इंतजार करना ठीक नहीं समझा और चुपचाप मैट्रो में पीछे जाकर खड़ा हो गया और मैंने देखा कि मेरे पीछे एक लड़की भी मैट्रो में चड़ी. उसके पास एक बहुत भारी लगेज था.. जिस वजह से उसे चलती मैट्रो में चढ़ने में प्रोब्लम हो रही थी और में पिछले दरवाजे के पास ही खड़ा हुआ था. फिर मैंने उस लड़की का लगेज पकड़ लिया.. ताकि वो मैट्रो में आसानी से चढ़ सके और मैट्रो में चड़ने के बाद उसने मुझे धन्यवाद बोला. फिर मैंने भी हल्की सी स्माईल के साथ उसे वेलकम कहा. दोस्तों वो लड़की बहुत सुंदर थी और क्या फिगर था उसका.. मेरे हिसाब से उसके फिगर का साईज 34-26-36 रहा होगा.
फिर मैंने उसके लगेज को ठीक जगह पर सेट किया.. लेकिन उसे भी मेरी तरह मैट्रो में खड़ा होना पड़ा.. क्योंकि मैट्रो में एक भी सीट खाली नहीं थी और वो मुझसे थोड़ी आगे खड़ी हुई थी. फिर मैंने कुछ ज्यादा ध्यान नहीं दिया.. क्योंकि मेरी किसी भी लड़की को घूरने की आदत नहीं है और फिर मैट्रो स्टैंड से कुछ दूरी पर ही बाहर निकली थी और लगभग 20 या 25 मिनट बाद वो बाईपास पर पहुँचकर रुक गई.. तो वहाँ से बहुत सारे लोग मैट्रो में चड़े.. जिस वजह से मैट्रो में काफ़ी भीड़ हो गई.. क्योंकि कुछ इक्के दुक्के लोग बीच में भी मैट्रो में चड़े थे.
अब वो लड़की बिल्कुल मेरे पास मुझसे सटकर खड़ी हुई थी और वो क्या मस्त लग रही थी. उसने चुस्त लगीस पहना हुआ था.. शायद वो एक हरयाणवी लड़की थी और वैसे में भी हरयाणवी लड़को की तरह दिखने में अच्छा हूँ.. मेरी हाईट 5.10 इंच है और फिर वो लड़की मेरे इतने करीब थी कि में उसके शरीर की गर्मी को महसूस कर रहा था. तभी मैट्रो थोड़ी दूरी पर एक जगह रुकी और दो लोग पिछले गेट से और चढ़ गये.. इस वजह से में और वो लड़की एक दूसरे से बिल्कुल चिपक गये और अब हमारे जिस्म के बीच से हवा तक भी बाहर नहीं निकल सकती थी.. लेकिन उसने मैट्रो में ज्यादा भीड़ होने की वजह से मुझसे कुछ भी नहीं कहा. उसने गहरे गले वाला कुर्ता पहना था.. जो कि आगे और पीछे दोनों साईड से गहरे गले का था.. लेकिन पीछे का गला कुछ ज़्यादा ही बड़ा था और उसकी गर्दन के पीछे वाली साईड से उसका गोरा रंग देखकर मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा था और में उस लड़की से फिर भी जगह बनाकर खड़ा होने की कोशिश कर रहा था.. लेकिन मैट्रो में इतनी भीड़ हो गई थी कि मुझे उससे चिपककर ही खड़ा होना पड़ रहा था और ऊपर से मेरा लंड खड़ा होने लगा था. फिर मैंने अपना ध्यान और कहीं पर लगाने की बहुत कोशिश की.. लेकिन हूँ तो में भी एक मर्द ना.. कितनी भी कोशिश कर लूँ.. लेकिन अपने लंड पर कंट्रोल नहीं कर सकता और इसी वजह से मेरा लंड उसकी चूतर को छूने लगा. तभी उसने पीछे मुड़कर मुझे देखा.. लेकिन में क्या कर सकता था.. भीड़ ही इतनी थी कि थोड़ी देर तक तो उसने सहन किया.. लेकिन जब उसे महसूस हुआ कि मेरा मोटा लंड उसकी चूतर में घुसा ही जा रहा है.. तो वो सीट का सहारा लेकर थोड़ा तिरछा होकर खड़ी हो गई.. इस वजह से जगह थोड़ी टाईट हो गई और मेरा लंड उसकी जांघ पर छूने लगा.
वाह क्या कोमल जिस्म था उसका और ऐसे खड़े होने की वजह से उसके बूब्स की लाईन भी मुझे दिख रही थी.. क्योंकि उसके सूट का गला बहुत बड़ा था.. जिसकी वजह से उसके बूब्स मुझे साफ दिख रहे थे. उसके बहुत मस्त बूब्स थे.. एकदम टाईट बड़े बड़े और गोल थे. इस तरह खड़े होने की वजह से तो और प्रोब्लम हो रही थी. उससे वो बार बार मेरी तरफ देख रही थी और पता नहीं उसके मन में क्या आया और वो फिर से वैसे ही खड़ी हो गई.. जैसे पहले खड़ी थी.
फिर से मेरा लंड उसकी चूतर पर रगड़ खा रहा था और उसने फिर से मुड़कर पीछे देखा. फिर मैंने धीरे से उसके कान में बोला कि मैट्रो में भीड़ बहुत है और में तो ऐसा कुछ करना नहीं चाहता.. लेकिन पता नहीं यह खुद ही हो रहा है.. क्योंकि तुम बहुत सुंदर हो. फिर वो मेरी यह बात सुनकर धीरे से हंस पड़ी और मैंने भी उसको हल्की सी स्माईल दी और अभी भी मेरा लंड उसकी चूतर पर ही था.. लेकिन अब उसकी तरफ से कोई भी विरोध नहीं था और कहीं ना कहीं वो भी मेरे शरीर से आकर्षित हो गई थी और में धीरे धीरे उसकी चूतर पर लंड को रगड़ने लगा.. तो वो भी मज़े कर रही थी और फिर मैंने उससे उसका नाम पूछा.. तो उसने अपना नाम कनिका बताया ( नाम बदला हुआ है क्योंकि में किसी भी लड़की को बदनाम नहीं कर सकता ) और उसने मुझे बताया कि वो चंडीगढ़ से ही है और फरीदाबाद से अपनी पढ़ाई कर रही है और फिर धीरे धीरे हमारी बातों का दोर आगे बड़ने लगा और वो अब मुझसे बहुत खुल गई थी और हमारे बीच गर्लफ्रेंड/बॉयफ्रेंड की बातें चल पड़ी और उसका बॉयफ्रेंड फरीदाबाद में ही था.
फिर उसने मुझसे पूछा कि क्या तुम्हरी कोई गर्लफ्रेंड है. फिर मैंने हाँ बोल दिया.. उसने मुझसे कहा कि क्यों तुम्हारी गर्लफ्रेंड तो तुमसे बहुत खुश रहती होगी. मैंने बहुत हैरानी से पूछा कि तुम्हे ऐसा क्यों लगा. फिर उसने नीचे की तरफ देखते हुए कहा कि क्योंकि तुम मेरा इतना इम्तिहान ले रहे हो.. तो पता नहीं उसका क्या हाल करते होंगे. फिर मैंने हँसी हँसी में उससे बोला कि नहीं यार ऐसा कुछ नहीं है.. वो तो मैट्रो ऐसे ही. फिर वो बोली कि अगर ऐसे ही है.. तो अभी तक उसे शांति क्यों नहीं मिली. दोस्तों उसका मतलब मेरा लंड था. मैंने कहा कि यार पता नहीं यह तुम्हे देखकर बहुत उछल रहा है.. तो उसने बोला कि थोड़ा सम्भालो इसे.. कहीं किसी ग़लत जगह ना उछलकर चला जाए.
फिर ऐसी बातें करने से मेरा लंड पहले से भी ज़्यादा टाईट हो गया और अब थोड़ी हिम्मत करके मैंने अपना एक हाथ उसकी चूतर पर रख दिया और उसे सहलाने लगा और वो भी अब थोड़ा थोड़ा गरम होने लगी थी और उसकी चूतर को सहलाने के बाद मैंने सही मौका देखकर अपनी उंगलियों को उसकी चूत तक पहुँचाया और मेरे ऐसा करने से उसके मुहं से सिसकियाँ निकल गयी.. जब कि मैंने अभी उसकी सलवार के ऊपर से ही सहलाया था.. लेकिन दोस्तों उसकी चूत बहुत हॉट थी और मैंने महसूस किया कि उसमे से पानी भी निकल चुका था.. जो कि मुझे मेरी उंगलियों पर महसूस हुआ. इसका मतलब उसे भी मेरे साथ इन सभी कामो में बहुत मज़ा आ रहा था और इतने में किस्मत से मैट्रो की लाईट भी बंद हो गई और अब तो मेरा मन उसके बूब्स पकड़ने का करने लगा और मैंने उससे धीरे से पूछा कि में क्या तुम्हारे बूब्स को छू लूँ?
तो उसने अपने सर को हिलाकर हाँ बोला और मैट्रो उसके हाँ कहने की देर थी और मैंने उसके बूब्स को पकड़ लिया.. वो बहुत ही टाईट थे और दोस्तों वो बिल्कुल अनछुए लग रहे थे और उसके निप्पल भी बहुत टाईट हो गये थे.. तो वो भी खुद को रोक नहीं पाई और उसने अपना एक हाथ पीछे लाकर मेरे लंड को पकड़ लिया और उसने मेरे लंड की तारीफ करते हुए कहा कि यह तो बहुत बड़ा है.
फिर मैंने कहा कि अभी तो यह पेंट के अंदर है और जब यह इससे आजाद हो जाएगा.. तो और भी बड़ा लगेगा. फिर उसने मुझसे मेरे लंड का साईज़ पूछा.. तो मैंने 8 इंच उसे बताया. उसने कहा कि तुम कहीं झूठ तो नहीं बोल रहे. फिर मैंने कहा कि अगर मैट्रो में भीड़ ना होती.. तो में तुम्हे इसे अपनी पेंट से बाहर निकालकर दिखा देता.
फिर उसने कहा कि इसका भी ईलाज़ है मेरे पास. मैंने बोला कि वो क्या? तो वो बोली कि तुम उसे पेंट की जिप खोलकर बाहर निकालो.. में उसे छूकर महसूस कर लूँगी कि तुम्हारा इतना बड़ा है या नहीं. फिर मैंने जल्दी से लंड को पेंट से बाहर निकाल लिया और उतनी ही जल्दी से उसने भी उसे पकड़ लिया और पकड़ते ही उसकी साँसे अटक गई. फिर वो बोली कि हाँ यार तुम्हारा लंड तो 8 इंच लंबा तो होगा ही.. लेकिन यह मोटा भी बहुत है.
फिर मैंने कहा कि लड़कियाँ लेते हुए बोलती ही है और लंड को अपनी चूत की गहराइयों में गायब भी कर जाती है.. पता भी नहीं लगता और वो हंस पड़ी और अब वो लंड को आगे पीछे कर रही थी और में उसके बूब्स का स्वाद ले रहा था और इतना सब कुछ इसलिए मुमकिन हो पाया.. क्योंकि हमारी आस पास की सीट पर सभी लोग सो रहे थे और इतने में ही मैट्रो पानीपत पहुँच गयी और वहाँ पर बहुत सारी सवारियां उतर गई. दोस्तों ऐसा समझो कि मैट्रो में अब 7-8 सवारियां ही बची थी और हमने पीछे वाले गेट के पास वाली दो सीटर सीट खड़ी की और वो खिड़की की साईड बैठी थी.. उसकी आखों में साफ साफ दिख रहा था कि वो मुझसे क्या चाहती है और थोड़ी देर में फिर से लाईट बंद हो गई और वो अगली सीट के पिछले हिस्से पर अपना सर झुकाकर बैठ गई. मेरा हाथ अब उसके मुलायम और बड़े बड़े बूब्स पर था. मैंने उसके कपड़ो के गले में से हाथ अंदर पहुँचा दिया और उसके निप्पल को अपनी उंगली और अंगूठे से रगड़ने लगा. ऐसा करने से वो पागल सी हो गई और वो मेरा लंड बाहर निकालकर उसे जोर ज़ोर से रगड़ने लगी और फिर में भी मस्ती में आ गया.
मैं भी उसके निप्पल को और रगड़ने लगा और देखते ही देखते वो नीचे झुकी और मेरे लंड को मुहं में ले लिया.. ओहहह भगवान वो बहुत अच्छी सकर थी और वो मेरे लंड को जितना हो सकता था.. अपने मुहं में अंदर लेकर जाती. फिर मैंने उससे कहा कि में तुम्हारी चूत को चाटना चाहता हूँ..
उसने बोला कि यह कैसे मुमकिन हो सकता है? फिर मैंने कहा कि हम बिल्कुल आखरी सीट पर चलते है.. क्योंकि मैट्रो में सवारियां बहुत कम थी और जो भी थे वो सब आगे की तरफ थे.. पीछे तो मैट्रो बिल्कुल खाली थी और मेरे ऐसा कहने पर वो एकदम मान गई और ह्म पिछली सीट पर चले गये. फिर मैंने उसकी चड्ढी को नीचे कर दिया..
लेकिन उसने पूरा उतारने से साफ मना कर दिया और मैंने उससे कहा कि यह मैट्रो अब नई दिल्ली से पहले कहीं नहीं रुकेगी.. क्योंकि उस रूड़ पर रात को सवारियां नहीं होती.. में बहुत बार आ चुका हूँ.. तो इस टाईम तो वो राज़ी हो गई और मैंने उसकी सलवार भी उतार दी. उसने नीचे गुलाबी कलर की पेंटी पहनी हुई थी और मैंने उसे भी उतार दिया और उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिए. मेरे ऐसा करने से वो सिसकियां लेने लगी और कहती.. आअहहहह अविनाश चूसो इसे ऊहहहह और ज़ोर से करो.. बहुत मज़ा आ रहा है और साथ ही में उसके बूब्स भी रगड़ रहा था. फिर उसने मुझे बताया कि उसका बॉयफ्रेंड भी इतने अच्छी तरह से नहीं चूसता.. जैसा की मैंने चूसा.
इसके बाद मैंने उससे पूछा कि क्या तुम मेरा लंड लोगी और उसने झट से हाँ बोल दिया और मैंने ज्यादा टाईम ना लगाते हुए उसके एक पैर को अपने कंधे पर रखा और झट से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया. अभी आधा ही लंड गया होगा और उसकी चीख सी निकल गई.. लेकिन मैट्रो चलने की आवाज़ होने के कारण कनिका की चीख की आवाज़ किसी को सुनाई नहीं दी.
फिर वो धीरे धीरे नॉर्मल हो गई और मुझे बाकी का लंड डालने को कहने लगी और मैंने भी एक ही झटके में अपना पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसने किसी तरह उसे झेल लिया और करीब 3-4 मिनट के बाद वो खुलकर साथ देने लगी.. वो भी नीचे से झटके देने लगी और कहने लगी आआआआहह वूऊओवववव अविनाश चोदो मुझे और ज़ोर से आआआआ और चोदो मुझे.. मेरी चूत को शांत कर दो.. यह मुझे बहुत तंग करती है आआआअहउउ चोदो मुझे और ज़ोर से अह्ह्ह. फिर में भी जोश में आकर उसे चोद रहा था और करीब 20-25 मिनट के बाद हम दोनों शांत हो गये और उसके बूब्स पर अपना वीर्य छोड़ दिया.. मुझे वो बहुत खुश लग रही थी और उसके बाद उसने मेरा लंड चाटकर एकदम साफ किया.
अब हमने चाय और समोसे खाए.. जो कि वो अपने साथ लाई थी और कुछ बातें भी शेयर की.. उसने बताया कि उसके बॉयफ्रेंड का लंड इतना बड़ा नहीं है और उसने बहुत मज़े किए.. करीब 45 मिनट के बाद मैंने उससे बोला कि एक घंटे बाद नई दिल्ली आने वाला है.. अगर तुम चाहो तो हम एक ट्रिप और ले सकते है और वो तो राज़ी थी. दोस्तों क्योंकि उसे आज एक मर्द का लंड मिला था और हमारा अगला सेक्स फिर से शुरू हो गया.
इसके बाद करीब 8 मिनट के बाद वो झड़ गई.. लेकिन मेरा लंड अभी भी नहीं झड़ा था और उसने मुझसे लंड को बाहर निकालने को बोला. फिर मैंने कहा कि मेरा काम तो अभी हुआ ही नहीं.. तो उसने कहा कि उसे अब चूत में लंड सहन नहीं हो रहा है और वो लंड को चूसकर मुझे डिसचार्ज कर देगी. फिर मैंने उससे कहा कि नहीं.. में तो अब तुम्हारी चूतर में करूंगा और थोड़ी देर के बाद वो मान गई. मैंने जल्दी से उसे घोड़ी बनाया और पीछे से थोड़ा उसकी चूतर के छेद को रगड़ने लगा और थोड़ी देर उसे सहलाने के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूतर में डाल दिया.
मित्रों उसका तो बहुत बुरा हाल हो गया.. वो बहुत ज़ोर से चीखने चिल्लाने लगी और मुझसे लंड को बाहर निकालने का आग्रह करने लगी. फिर में एकदम शांत हो गया और उसके बूब्स को सहलाने लगा और उसकी चूत में उंगली करने लगा.. जिससे 10 मिनट बाद वो थोड़ी ठीक हो गई और अब वो भी अपनी चूतर को पीछे धक्का दे देकर मज़ा लेने लगी.. शायद अब उसे चूतर को पीछे की तरफ धक्के देने में भी मज़ा आ रहा था.. लेकिन उसकी चूतर का छेद बहुत ही टाईट था और लंड को अंदर धक्के देने में मेरी बहुत मेहनत लग रही थी.. लेकिन उसे मज़े करता देख मेरा जोश बड़ गया और में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा और में करीब 15 मिनट में उसकी चूतर में ही झड़ गया. अब हमने अपने कपड़े ठीक किए और नॉर्मल होकर बैठ गये.. क्योंकि नई दिल्ली आने वाला था.
इसके बाद नई दिल्ली से कुछ दूरी पहले कुछ और सवारी मैट्रो में चड़ गई.. जो कि पीछे ही बैठ गई थी.. जिस वजह से हमे फिर से कुछ करने का मौका ही नहीं मिला. कनिका कहने लगी कि ठीक ही हुआ.. जो मौका नहीं मिला.. क्योंकि अब उसकी कुछ करने की हिम्मत भी नहीं थी और उसने यह भी बताया कि आज तक उसने अपने बॉयफ्रेंड को चूतर में कुछ भी नहीं करने दिया.. लेकिन पता नहीं क्यों उसने मुझे यह सब करने दिया. फिर हम बातें करते रहे और पता ही नहीं चला कि कब चंडीगढ़ आ गया. फिर हमने मैट्रो में ही एक किस किया और नीचे उतरने से पहले हमने अपने मोबाईल नंबर एक्सचेंज किए. उसको उसके पिताजी लेने आए थे.. उसने मुझे गले में झप्पी के साथ बाय बोला और चली गई.