Drishyam, ek chudai ki kahani-29
दृश्यम द्वितीय चरण पति और पत्नी के रिश्तों का नाजुक तानाबाना गूंथती हुई यह कहानी तत्कालीन भारतीय सामाजिक परिपेक्ष में शायद पोर्न अथवा अश्लील श्रेणी में समावेश हो सकती है। पर हमें यह स्वीकार करना होगा की तत्कालीन समाज में पति पत्नी के रिश्ते एक बड़े ही नाजुक दौर से गुजर रहे हैं जिसमें पति और पत्नी की सामाजिक, आर्थिक, जातीय और व्यावसायिक संवेदना को सम्हालना और पति पत्नी के सम्बन्ध को निभाना अति कठिन साबित हो रहा है। यह एक ऐसी चुनौती है जिसे पति और पत्नी दोनों को एक दूसरे की संवेदना को समझ कर कहीं ना कहीं एक दूसरों को आवश्यक अवकाश दे कर, उन्हें और उनकी कमजोरियों को स्वीकार कर अपनी रचनात्मक पटुता से दाम्पत्य जीवन को सुखमय और रसमय बनाना होगा। यही मेरी सब उन दम्पतियों से प्रार्थना है, जो एक दूसरे को चाहते हैं और साथ में रहते हुए जीवन के जातीय प्रयोगात्मक आनंद …