नमस्कार दोस्तों कैसे है आप सब चोदा पेली कहानिया पढने वालो को और उनको चाहने वालो को मेरा प्यार भरा नमस्कार. में उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी आप सभी को बहुत पसंद आएगी. अब में आप सभी का ज्यादा टाईम खराब ना करते हुए सीधा अपनी आज की कहानी पर आता हूँ. मन कर रहा था कब इसे चोद लू मेरा लंड समझने को तैयार नहीं था.
अब बिना चुदाई के रह नहीं सकता था दोस्तों मै पागल सा हो गया दोस्तों यह घटना 5-5 साल पहले की है.. उस टाईम में अपना शहर छोड़कर दूसरे शहर में नया नया रह रहा था. मेरे शहर जाने के 3 महीने बाद मेरे एक दोस्त के दादा जी की तबीयत बहुत खराब हो गई और वो लोग उन्हें वहीं पर लेकर आ गए थे. फिर में वहाँ पर पहले से ही रहता था तो सभी जगह मुझे अच्छे से मालूम थी.. इसलिए में उनकी मदद के लिए हॉस्पिटल में रहता था और रात को में और मेरा दोस्त दादाजी के साथ रुकते थे. उस हॉस्पिटल में एक नर्स थी जिसको मैंने पहले दिन जब देखा तो मुझे अंदर से कुछ कुछ होने लगा और में उसे पटाने का प्लान बनाने लगा.. लेकिन वो बहुत कड़क स्वभाव की थी. तो इसीलिए मेरी उससे ज़्यादा बात करने की हिम्मत नहीं होती थी. फिर भी मुझे जब भी मौका मिलता तो में उससे बातें करने लगता.. लेकिन वो मुझे बिल्कुल भी भाव नहीं देती थी. एक दिन मेंने उसे दादाजी की बोतल बदलने के लिए बुलाने गया तो वो किसी से फोन पर बात कर रही थी और वो सामने वाले को बेटा कहकर बुला रही थी और उस पर बहुत भड़क रही थी. ओह ओह ओह है कब लंड को घुसा दू ऐसा लग रहा था दोस्तों.
मॉल था चुदाई के लायक मैंने सोचा पेलुँगा जरूर कभी न क यह सुनकर मुझे लगा कि शायद वो कोई और होगा. फिर जब उसने फोन रखा तो मैंने थोड़ी हिम्मत करके उससे पूछ लिया कि वो किससे बात कर रही थी और वो इतने गुस्से में क्यों है? तो उसने मेरी तरफ देखा और कुछ नहीं बोला. फिर उसने मेरे साथ दादाजी के पास आकर उनकी बोतल बदल दी और अपने केबिन में जाकर बैठ गयी. फिर में उसके पीछे पीछे गया और उसे बहुत परेशान देखकर फिर से उसकी प्राब्लम के बारे में पूछा.. उसने मुझे बताया कि में अपने बेटे के कारण बहुत परेशान हूँ और यह बात सुनकर मेरे होश उड़ गये.. क्योंकि उसे देखकर कोई नहीं कह सकता कि वो शादीशुदा है और उसका एक कॉलेज जाने लायक एक बेटा भी है और मुझे बातों बातों में पता चला कि वो विधवा है और उसके पति को मरे हुए 10 साल हो चुके है. उसने अपना नाम सविता और अपनी उम्र 50 साल बताई. में तो सुनकर बहुत चकित हो गया.. फिर मैंने उससे पूछा माल चुदाई के लिए तड़प रही थी दोस्तों कि क्या हुआ? आपको मैंने इतना परेशान कभी नहीं देखा और मुझे लगता है कि कोई बड़ी प्राब्लम होगी. अगर आप बुरा ना माने तो क्या में जान सकता हूँ कि क्या हुआ है? तो उसने बताया कि उसके बेटे की 10th क्लास खत्म हो गई है और वो अभी एक अच्छे से कॉलेज की तलाश में है जहाँ उसका बेटा पढ़ सके. तो सारी बातें सुनने के बाद मैंने कहा कि मेडम इसका हल मेरे पास है. फिर उसने पूछा कि वो कैसे? तो मैंने कहा कि मेरे शहर में एक बहुत अच्छा कॉलेज है जहाँ पर स्टूडेंट के लिए सभी जरूरी चीज़े मौजूद है और में भी वहाँ पर पढ़ता था तो मेरी वहाँ पर बहुत अच्छी जान पहचान है.. अगर आप कहें तो में आपके बेटे का दाखिला वहाँ पर करवा सकता हूँ और होस्टल में भी अच्छा सा रूम दिला सकता हूँ. फिर यह बात सुनकर सविता ने मेरी तरफ देखा और कहा कि यहाँ से कितना दूर है तुम्हारा शहर? मैंने कहा कि सिर्फ 5 घंटे का रास्ता है.. फिर उसने बोला कि ठीक है.. तुम ही मेरे बेटे के लिए वहाँ पर बात कर लो. फिर मैंने उसी वक़्त अपने एक दोस्त को फोन किया जो कॉलेज का प्रेसिडेंट रह चुका था और अब उसका भाई वहाँ पर प्रेसीडेंट है. फिर उसने मुझे कहा कि यार तू उसे मेरे पास भेज दे.. में उसका दाखिला करवा दूँगा और जब तक होस्टल में रूम नहीं मिलता वो हमारे घर में रह सकता है. फिर यह सारी बातें मैंने सविता को बताई तो वो बहुत खुश हो गयी और उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे धन्यवाद कहा. दोस्तों यह पहली बार था.. जब मैंने उसे हाथ लगाया.. लेकिन उस टाईम मेरे दिमाग़ में कोई ग़लत ख़याल नहीं था और मैंने भी उससे कहा कि मेडम यह तो एक छोटी सी बात है इसके लिए धन्यवाद क्यों? अगर आपके बेटे की जगह मेरा भाई होता तो में भी उसके लिए यह सब करता. जब माल अच्छा हो तो कौन नहीं चोदना चाहेगा है न दोस्तों.
चोदने के बाद थोड़ा रिलेक्स हुआ भाइयो क्या गजब मजा आया फिर मेरी बातें सुनकर वो मुझसे आकर्षित हो गयी और फिर मैंने उसके बेटे को अगले ही दिन ट्रेन में बैठा दिया और अपने दोस्त को फोन करके बोल दिया कि वो उसे स्टेशन से घर पर ले जाए और उसने वैसा ही किया और उसका दाखिला कॉलेज में करवा दिया. उस दिन के बाद सविता मुझसे बहुत घुल गयी. में खाली टाईम पर उसके साथ बातें करने बैठ जाता और धीरे धीरे केन्टीन में उसके साथ कॉफ़ी पीने जाने लगा. दो दिन के बाद उसका नाईट का समय चालू हो गया और में रात को उसके केबिन में उससे बात करने जाने लगा. अब वो मेरे साथ बहुत खुलकर बातें करने लगी और मैंने एक रात उससे उसकी शादी के बारे में पूछा तो उसने मुझे बताया कि उसका पति एक शराबी था और वो रोज़ रात को शराब पीकर घर आता था और उसे बहुत मारता भी था. फिर धीरे धीरे ज़्यादा शराब पीने के कारण उसका लीवर खराब हो गया था और उसी वजह से उसकी मौत हुई. सेक्स करते समय बहुत मजा आया था दोस्तों
उसके ओठ रसीले थे दोस्तों मॉल गजब था दोस्तों फिर मैंने कहा कि आपके पति के जाने के बाद अपने दूसरी शादी क्यों नहीं की? तो सविता ने कहा कि इस शादी के कारण मैंने जो जो दुख उठाए उसके बाद मेरा तो मर्दों के ऊपर से विश्वास ही उठ गया और मैंने ठान लिया कि में अकेले ही अपने बेटे की परवरिश करूँगी और उसे एक अच्छा इन्सान बनाऊंगी.. इस कारण से मैंने वो घर छोड़ दिया और अलग रहने लगी और यह बात कहते कहते वो रोने लगी. फिर मैंने उसके बूब्स क्या मस्त थे दोस्तों अब मै क्या कहु दोस्तों उसके आँसू साफ किए तो वो मुझसे लिपटकर रोने लगी.. पहले तो मुझे थोड़ा अजीब लगा.. क्योंकि ऐसे किसी की मजबूरी का फायदा उठना मुझे अच्छा नहीं लगता.. अगर वो इन्सान अच्छा है तो. सविता ने अपनी लाईफ में बहुत मेहनत की है और आज इस मुकाम पर पहुँची है. फिर में उसकी पीठ को थपथपाते हुए उसे चुप करने लगा.. वैसे मुझे तो पहले से ही औरतों को पटाना अच्छा लगता था और इसका मुझे अच्छा ख़ासा अनुभव भी था.. क्योंकि में जब अपने शहर में रहता था तो मैंने बहुत सी औरतों को पटाकर चोदा था. फिर थोड़ी देर बाद सविता ने रोना बंद कर दिया और मुझसे अलग हो गयी. पहले तो हम दोनों ने ही नज़रे झुका दी और फिर मैंने थोड़ी हिम्मत करके उसके हाथों को अपने हाथों में ले लिया.. तो वो मुझे देखने लगी. मैंने उसे कहा कि मेडम भूल जाओ पुरानी बातों को.. वो तो बीत गई.. अब उसके बारे में सोचकर क्यों अपने आप को दुखी करती हो? तो उसने मुझे कहा कि तुम मुझे मेरे नाम से पुकार सकते हो या और कुछ भी पुकारो.. लेकिन मेडम मत कहो. फिर मुझे उसकी आखों में एक अजीब सी कशिश दिखाई देने लगी और हम दोनों एक दूसरे की आखों में आंखे डालकर देखने लगे. हमे इस दौरान पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों एक दूसरे के इतने करीब आ गए है कि हमारे होंठ आपस में टकराने लगे और हम लिप किस करने लगे. तभी अचानक दरवाजा खटखटाने की आवाज़ आई तो हमे होश आया और देखा कि हम एक दूसरे की बाहों में थे. मैंने उसका सर पकड़ा हुआ था और उसने मेरे गले पर अपने हाथ बांध रखे थे. आवाज़ सुनते ही हम दोनों अलग हो गये और उसने बाहर वाले को अंदर आने के लिए कहा.. वो एक कम्पाउंडर था और उसके जाने के बाद सविता ने मुझे कसकर पकड़ लिया और कहा कि आज से पहले मैंने ऐसा कभी किसी के बारे में महसूस नहीं किया और मेरे पति के जाने के बाद तुम पहले ऐसे मर्द हो जिसने मुझे छुआ है.. प्लीज़ मुझे अपनी बाहों में भर लो.. पिछले 9 सालों से में प्यार के लिए तड़प रही थी. मैंने तय किया की चोद कर ही दम लूंगा
मै चुदाई के लिए बिल्कुल बेताब था दोस्तों तो मैंने उसे अपनी बाहों में ज़कड़ लिया और उसकी पीठ को सहलाने लगा.. उसके माथे को चूमने लगा. तो वो मदहोश होने लगी और उसने अपनी आंखे बंद कर दी. फिर में उसके होंठो को किस करने लगा.. वो मेरी पीठ को अपने दोनों हाथों के नाख़ून से खरोंचने लगी और धीरे धीरे हम दोनों ही गरम होने लगे. फिर मैंने उसे दीवार पर सटा दिया.. उसने एप्रन पहन रखा था और में उसके ऊपर से ही बूब्स को मसलने लगा. फिर मैंने उसकी नाभि को किस किया. उसके मुहं से आहह की आवाज़ निकल गयी. तो मैंने एप्रन के अंदर हाथ डालकर ब्लाउज में हाथ घुसा दिया और ब्रा के ऊपर से ही बूब्स को दबाने लगा.. उसके बूब्स बहुत बड़े बड़े थे.. रंग गोरा और स्लिम फिगर था. फिर में उसकी साड़ी के ऊपर से ही चूत को सहलाने, दबाने लगा तो वो अपने पैरों खोलकर खड़ी हो गयी.. ताकि आसानी से मेरा हाथ उसकी चूत में घुस सके. कुछ देर बाद मैंने उसकी साड़ी को ऊपर उठा दिया और पेंटी के अंदर हाथ घुसाकर चूत को सहलाने लगा.. उसकी चूत में बहुत बाल थे और उसकी चूत बहुत गीली हो गयी थी.
मुझे तो बस चुदाई की धुन सवार थी दोस्तों फिर में जैसे ही उसकी चूत के दाने को रगड़ने लगा तो वो आह्ह्ह अच्छा लग रहा है कहने लगी और अब मुझे भी जोश चढ़ने लगा और मेरा लंड खड़ा होने लगा. तो उसने मेरे लंड को पेंट की ज़िप खोलकर बाहर निकाला और हाथ से मुठ मारने लगी.. में और जोश में आ गया और चूत में उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगा. तो उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और कहने लगी कि और मत तड़पाओ में पिछले 9 सालों से इस आग में जल रही हूँ.. प्लीज जल्दी से मेरी चूत में अपना लंड घुसाकर आज मेरी इस आग को ठंडा कर दो.. अभी तो मेरे तन बदन में आग लगी है और देर मत करो. उस रूम में एक टेबल थी जिस पर वो रात को आराम करती थी.. मैंने उसे उसी टेबल पर बैठा दिया. तो उसने मेरे लंड को अपने मुहं में भर लिया और चूसने लगी. तभी अचानक फिर से कोई आ गया और दरवाजा ठोकने लगा.. तो हम दोनों अलग हो गये और हमने अपने अपने कपड़े ठीक किए.. जब उसने दरवाजा खोलकर देखा तो बाहर एक नर्स खड़ी थी और फिर उसके जाने के बाद उसने मुझे फिर से पकड़ लिया तो मैंने कहा कि यहाँ नहीं.. वरना हमे कोई देख लेगा तो तुम्हे बहुत मुश्किल हो जाएगी. मुझे बूर की मादक खुसबू आ रही थी जो मुझे पागल कर रहे थे
दिन रात बस चुदाई ही चुदाई ख्याल दोस्तों और कुछ नहीं तो उसने कहा कि हम बाथरूम में चलते है और मैंने वहाँ पर भी जाने से मना कर दिया.. क्योंकि उसमे भी बहुत रिस्क था. फिर में उसे साथ में लेकर मेरे दोस्त के दादाजी के केबिन में आ गया और हमने सोचा कि शायद वहाँ पर कुछ बंदोबस्त हो जाए.. लेकिन वहाँ पर भी प्राब्लम थी.. क्योंकि मेरा दोस्त भी वहाँ पर मौजूद था जो कि कभी भी उठ सकता था. हम दोनों हवस की आग में जल रहे थे तो में उसे उसी रूम के बाथरूम में लेकर गया.. लेकिन वहाँ का बाथरूम बहुत छोटा था और उसमे सिर्फ़ एक ही आदमी ठीक से रुक सकता था. तो अंदर जाते ही सविता घुटनों के बल बैठ गयी और मेरा लंड बाहर निकालकर चूसने लगी. वाह क्या लंड चूस रही थी वो.. मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा था और में अहह ओह कर रहा था. फिर मैंने उसके सर को पकड़ा और लंड को ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करके उसके मुहं को चोदने लगा और जब मेरा लंड उसके गले तक घुस जाता तो वो उल्टी करने लगती. फिर 10-15 मिनट लंड चुसवाने के बाद मेरा लंड हिचकोले मारने लगा और मैंने उसे गोद में उठा लिया और उसकी साड़ी को ऊपर करके खड़े खड़े लंड को नीचे से चूत में घुसाने लगा.. लेकिन जगह छोटी होने के कारण लंड बार बार फिसल जाता था. फिर 3-4 बार ऐसा करने के बाद मैंने उसे नीचे उतार दिया और आगे झुकने के लिए कहा तो उससे वो भी नहीं हुआ. फिर में उसकी जांघो के बीच लंड फंसाकर चोदने लगा और चूत में उंगली अंदर बाहर करने लगा.. लेकिन इसमे हम दोनों को ही कुछ ज़्यादा मज़ा नहीं आ रहा था.. क्योंकि चूत में लंड घुसाकर चोदने में जो मज़ा है वो ऐसे कहाँ. वो बार बार लंड को चूत में डालने की कोशिश कर रही थी.. लेकिन उससे नहीं हुआ. फिर मैंने उससे कहा कि डार्लिंग ऐसे कुछ भी नहीं होगा.. आज के लिए बस इतना ही रहने दो.. कल जब तुम्हारी ड्यूटी खत्म हो जाएगी तो में दोपहर को तुम्हारे घर पर आ जाऊंगा और तुम्हारी चूत की आग को ठंडा करूँगा.. लेकिन उस टाईम हम दोनों की हालत ऐसी थी कि बिना चुदाई के जाने का मन ही नहीं था. सच कहु तो वो चुदाई तो तरस रही थी दो
मेरा लंड उसकी बूर को चिर कर आगे निकाल रहा था तो में उसकी चूत को उंगली से चोदने लगा और साथ ही साथ उसे लिप किस करने लगा और वो मेरे लंड को हाथ में लेकर मुठ मार रही थी. कुछ देर बाद ऐसा करने से वो झड़ गयी और उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकलने लगा जो नीचे ज़मीन पर गिर रहा था.. झड़ने के दौरान वो अह्ह्ह उऊह्ह्ह उफ्फ्फ माँ कर रही थी. फिर थोड़ी देर बाद वो शांत हो गयी.. लेकिन अभी तक में शांत नहीं हुआ था तो में उसे नीचे बैठाकर उसके मुहं में लंड डालकर तेज़ी से चोदने लगा और बहुत देर बाद जाकर मेरे लंड ने पानी छोड़ा और में झड़ गया. मैंने सारा का सारा वीर्य सविता के मुहं में छोड़ दिया.. पहले तो उसे उल्टी आने लगी. फिर उसने सारा वीर्य निगल लिया और उसके बाद हम दोनों बाथरूम से बाहर आ गए और उसके केबिन में चले गये. फिर जैसे तैसे रात एक दूसरे की बाहों में बीत गयी और सुबह उसकी ड्यूटी खत्म हुई तो मैंने उसे गले लगाया और किस किया और उसने मुझे जल्दी से उसके घर आने को कहा.. तो मैंने भी उससे कहा कि मुझे ऑफिस का थोड़ा काम है तो में उसे खत्म करके आ जाऊंगा और मैंने उसे बाईक से घर छोड़ा और बाहर से ही ऑफिस चला गया .. फर्स्ट टाइम चुदाई में सील टूटती है तो थोड़ा तो दर्द होगा ही इस प्रकार हमने मस्त चुत की ताबड़ तोड़ चुदाई की और मजा लिया और आप.
मित्रो आगे की कहानी अगले भाग में …