Drishyam, ek chudai ki kahani-5
हेल्लो दोस्तों, अब आगे की कहानी पढ़िए! सिम्मी समझ गयी की जो होना है सो होगा ही, चिल्लाने से कुछ होने वाला नहीं है। सिम्मी चुप होकर वहीँ वैसे की वैसे खड़ी हो गयी। सिम्मी ने बिना बोले ही कालिया को अपनी रजामंदी का इजहार कर दिया। पहली बार सिम्मी किसी मर्द को अपना बदन सौंप रही थी। अबतक उसने ऐसे चुदाई के किस्से सखियों के साथ गपशप में सुने थे। हंस कर सारी सखियाँ यही कहती थीं की अगर उनके साथ ऐसा कभी हो तो वह चुदाई करने वाले से पहले तो हो सके उतना विरोध करेगी। पर अगर उनकी कुछ नहीं चली तो फिर वह उस रेप को एन्जॉय करेगी। यह कभी सिम्मी ने सपने में भी सोचा नहीं था की कभी उसके अपने साथ भी ऐसा कुछ हो सकता था। उसकी सपनों की रानी सिम्मी ने जब अपनी सहमति का इजहार किया तो कालिया का दिल जोर …