मेरे सभी चुद्दकड़ चाहने वालों के लंडों को इस चुद्दकड़ संस्कारी कोमल मम्मी की तंग कसी हुई योनि का नमस्कार!
ये एक बहुत पहले की कहानी है एक दिन मेरे सासुमा ने मुझे बुलाया और कहा “बहु तुम्हे गाँव जाना है बाबूजी के साथ किसी काम के सिलसिले में”
मैंने कहा “सासुमा, क्या आप का बेटा और आप नही जा सकते हो क्या?”
तो सासुमा ने कहा “बहु, तुम्हे तो पता है के मेरी तबीयत खराब हो जाती है जैसे मैं कही ट्रैवल करती हु, और रही तुम्हारे पति याने मेरे बेटे की बात तो उसके काम में और आपने आवारा फ्रेंड्स के साथ शराब में व्यस्त होता है”
मैने कहा, “अच्छा सासुमा, जैसे आप ठीक समझे”
सासुमा ने कहा “बहु, हमारे प्रॉपर्टी का काम है, और वो होना बहुत जरूरी है”
मैने कहा, “अच्छा सासुमा, जैसे आप ठीक समझे”
सासुमा ने कहा “बहु, तुम्हे खाली गुरुवार को बाबूजी के साथ निकालना है, शुक्रवार को काम कर के शनिवार या रविवार को वापस आना है, बहु देख तुम्हे भी नया चेंज मिलेगा, अपने गाँव का घर कितना प्यारा और बड़ा है वो!”
मैंने कहा “ठीक है सासुमा, आप चिंता मत करो मैं बाबूजी के साथ जाऊंगी”।
अब बात करें मेरे बाबूजी याने मेरे ससुर जी की उनकी उम्र करीब 69 होगी। लेकिन इस उम्र में भी वो काफी तगड़े है। हमारा अच्छा खासा बिजनेस है, वाह ही देखिए। हमारा परिवार हायर मिडिल क्लास से हैं, तो गाड़ी बंगला सब है हमारे पास।
मेरी एक बेटी है हाँ लेकिन वह टेस्ट ट्यूब प्रक्रिया से पैदा हुई है, हांजी मेरी बेटी पति के सम्भोग से पैदा नहीं हुई है।
मेरे पति में संभोग शक्ति नही है, यह बात खाली मुझे और बाबूजी याने मेरे ससूरजी को मालूम है, बाकी घर में किसी को नहीं। हां जी, ये बात तो मेरी सासुमा को भी नही मालूम।
वैसे जब सासूजी ने कहा मुझे के गांव जाना तब तो मैं अंदर से ही थोड़ी खुश थी.
उस रात मैं दूसरे दिन गांव जानेकी तयारी में लगी। फिर मैं ससुर जी के कमरे में गई। हां जी, मैं घरमे हमेशा साड़ी का पल्लू अपने सिर पर घूंघट जैसे ही लेती थी, हां जी हमारे घर रीती रिवाज था के बहु बिना घूंघट के किसी भी मर्द के साम ने नही जाएगी। हां जी, मै तो एकदम संस्कारी बहु हु।
तो मैं अब ससुर जी के कमरे में आ गई, लेकिन मैं तो ससुरजी कोई किताब पढ़ रहे थे।
मैने कहा “बाबूजी, जादा देर तक मत पढ़ो, कल हमे जल्दी गांव जाना है, आप ही नेवतो कहा था”
मै ने कुछ सामान ससुर जी के बैग में भी रखा।
लेकिन ससुर जी का ध्यान अब कही और था, वो किताब पढ़ने के बदले कही और देख रहे थे।
मैं एक चीज बोलना भूल गई। मेरा नाम सुचरिता है,
लोग मुझे घरवाले सूची नाम से पुकारते थे।
आपको बताया था कि मेरा नाम सुचरिता है, मैं संस्कारी परिवार से हूँ। तो अब मेरे बारे में, मैं अच्छी खासी गोरी और मोटी हूँ। मेरी नाक बहुत सीधी है। मैं बहुत खूबसूरत हूँ मैं 45 साल की हूं और बहुत सुंदर हूं, मेरी ऊंची 5.4 इंच है, मेरा आकार 42-32-46 है, तो आप सोच सकते हैं कि मेरे स्तन कैसे होंगे, हाँ, मेरे 42 के स्तन दूध की थैलियों की तरह काफी बड़े हैं, हां जी लेकिन थोड़े पपई जैसे लटके हुवे है मेरा ब्रा साइज याने, हां जी मैं 36 E ब्रा पहनती हूं। कमर 32 की और चूतड गांड 46। मैं कदम साडी मॉडेल सुचरिता भट्टाचार्य जैसे, ये मैं इसलिए बता रही हु टेक आप को मेरी फिगर का अंदाजा आएगा।
उस दिन गुरुवार आया हम करीब थोड़ा देर से ही निकले 12 के बाद। हम कार से ही आगये, हांजी कार भी मेरे ससुर जी ने ही चलाई। ट्रैफिक के कारण हम शाम को 6.30 बजे इगतपुरी में आगये।
यहां हमारा एक घर है मिनी बंगला समझो वो थोड़ा माउंटन पे है। लेकिन कार जा सकती है वाहा पे! सिंगल फ्लोर घर, बड़ा। अच्छी पहाड़ ठंडी हवा, हमारे कुछ रिश्तेदार भी वहां हैं तो उन लोगों ने हमें खाने पर बुलाया।
वाह एक नोकर दिप्पू भी है, हमारे घर की देख भाल लिए रखा है। लेकिन उसका कोई बीमार था इसलिए वो सुबह जानेवाला था ससुर जीने अनुमति भी दे दी।
भर अच्छी की बारिश ही, हम रिश्तेदार के पास खाना खाने के लिए गए। वैसे तो हमने वहा सब खाने पीने का सामान रखा था। फिर मेरी बडी बूआ आगई हम दोनो में कुछ घरेलू बाते हुई, घरेलू राजनीति तो होती ही है।
उस रात बुआ भी मेरे घर ही रही और मेरे ससुर जी बुआ के पति के साथ उनके घर शराब पी रहे थे। तो वो रात ऐसी ही गई।
याने गुरुवार हमारा एसे ही चला गया, अगला दिन शुक्रवार था।
दुसरे दिन ससुर जी अपने काम के लिए गए, मैं तो बुआ के साथ ही थी। उस रात हमने बुआ जी के घर ही खाना खाया, और मेरे ससुर जी तो बुआ के पति के साथ मस्त शराब का आनंद ले रहे थे। हां जी, मेरे ससुर जी भी शराब पीते है लेकिन कंट्रोल के मेरे पति याने अपने बेटे जैसे पागल नही थे शराब के लिए।
फिर ससुरजी निकल गए।
ससुर जी ने कहा “बहु मै बंगले पे जा रहा हु”
बुआ बोली “आप जाओ, हमे थोड़ी बाते करनी है”
थोड़ी देर के बाद मैं भी बुआ जी के घरसे निकल गई.
बाहर घमासान बारिश हो रही थी तो बुआ जी ने मुझे छाता दिया, मै घर आगई। मैने साड़ी का पल्लू घूंघट जैसे ही रखा था सिर पे।
मै घर में आयी, ससुरजी फिर से शराब पी रहे थे और टीवी देख रहे थे। मै घर आयी, लेकिन मैं काफी पूरी तरह से भीग गई थी बारिश और हवा के वजह से।
हमारा घर काफी बड़ा था, बंगला ही था लेकिन मुझे तो घर बोलना अच्छा लगता है, नीचे हॉल और ऊपर भी कुछ रूम थे, छाता छोटा बल्कि मैं तो चूबी हु इसलिए मैं काफी गीली थी।
मैने अंदर आते ही ससुर जी से कहा “बाबूजी, दरवाज़े-खिड़की बंद करो नहीं तो पानी और मच्छर aa जायेंगे”
तब बाबूजी ने खिड़की दरवाजे बंद कर दिए। अचानक घरकी बिजली चली गई, लेकिन कोई चिंता नहीं थी दीपू हमारे नोकरने मोमबत्ती रखी ही थी।
मै बोली “बाबूजी, क्या तुम मेरी थोड़ी मदत करोगे”
बाबूजी ने कहा “कहो बहु क्या मदत करू”
मैने कहा “बाबूजी, मोमबत्ती लेके मेरे साथ ऊपर चलो”
बाबूजी ने कहा “हां बहु, वैसे भी अब नीचे नही आना है,
तो ऊपर ही चलते है”
फिर हम सामने वाले रूम में आगये।
बाबूजी ने घर के कोने में मोमबत्ती लगाई।
फिर में बाथरूम में गई और ससुरजी को बुलाया और कहा “बाबूजी, यहां इतने नल क्यों है, प्लीज जरा देखो पानी बंद करो”
बाबूजी बाथरूम में आए और नल बंद करने लगे लेकिन गलती से शॉवर चालू होगया। मै फिर से भीग गई।
हां जी, मैने नीली साड़ी पहनी थी, और ऊपर घूंघट भी लिया था। तभी मेरा ध्यान गया तो बाबूजी चुपकेसे मेरे बड़े पपाया जैसे लटके हुवे स्तनों को देख रहे थे। हां जी, मैंने तंग गलेका ब्लाउज पहना था इसलिए २५% मेरे स्तन तो बाहर ही आराहे थे, Uff, ऊपर से बारिश के वजह से तो और मेरी साड़ी गीली होने के वजह से मेरे स्तन तो और भी बाहर आगए थे। मेरा ये बदन बाबूजी चुपकीसे देख रहे थे।
एक दिन ऐसा हुआ।
मेरे बाबूजी याने ससुर जी हमेशा नाके पे जाते थे, दोस्तो मे खड़े रेह ते थे, उन्हें थोड़ी सिगरेट पीने की आदत थी। एकदिन ऐसे हुआ सुबह मै स्टोर मे गयी थी बारिश हो रही थी। मै वैसे भी साड़ी का घूंघट हमेशा सिर पे लेती हु एकदम संस्कारी बहु हु मै। खैर, मैंने छाता लिया था देखा तो मेरे ससुरजी सामने नाके पे ही थे। मैंने छाता आगे लिया मुझे उनका चेहरा दिख रहा था वो मेरी तरफ नही तो मेरे मंम्मो को देख रहे थे, मुझे थोडा अजीब लगा, उनकी आखे मेरे ब्लाउज के बाहर उछल के आते हुवे, मेरे बड़े स्तनों से हटनेका नाम ही नही ले रही थी। मै घर आयी ओर मेरे रूम मे गयी आयीनेमे देखा तो मुझे ही अपने आप से शरम आने लगी, मेरी साडी थोडी आगेसे गीली थी वो मेरे ब्लाउज को चिपकी हुयी थी उस कारण मेरे ब्लाउज और गीली साड़ी के वजह से बड़े पपाया जैसे स्तन उभर कर आरहे थे दीख रहे थे। साड़ी ट्रांसपैरंट होने के कारण मेरे मंम्मो की बीच की गल्ली दरार भी दिख रही थी साडी पीछेसे भी गीली थी उस कारण वो मेरे कूल्हों को अच्छी खासी चिपकी हुयी थी। मेरी गांड भी पीछेसे उभर के दीख रही थी, कुछ देर मै वैसे ही अपने आपको आईने मे देख रही थी मै मेरा योवन जवानी देख रही थी।
फिर मैने कुछ सामान लिया और घर की और निकली।
फिर मुझे भी थोड़ा मजा आने लगा, मैं जान बूझ कर बाबूजी के आस पास जाति थी, झाड़ू पोछा करते वक्त नीचे झुकती थी, किसी न किसी बहाने मैने अपना बदन बाबूजी को दिखाने लगी, और बाबूजी भी हमेशा अपनी चुपकी नजर से मेरे बड़े स्तनों और बदन देख ने का आनंद लेते थे।
थोड़ी ही देर में बाबूजी याने मेरे ससुरजी भी घर आए।
हां जी, मैं गीली थी और मुझे साड़ी बदल नी थी।
बाबूजी जहा बैठे थे वही एक अलमारी थी।
मैने ब्रा, पेटीकोट और ब्लाउज लिया साथ ही मै दूसरी काली साड़ी निकाली जो मैने अलमारी मे रखी थी।
उस रूम में और एक रूम थी, मैने पेटीकोट और ब्लाउज लिया साथ ही मै दूसरी काली साड़ी लेके दूसरे कमरे में चली गई। साड़ी बदलना शुरू किया मैने उस रूम का दरवाजा जान बूझ के थोड़ा खुला रखा ताके बाहर सोफे पे बैठे हुवे बाबूजी को मुझे साड़ी बदलते हुवे देख ने मिले।
हां जी अब, मै भी गीली थी इसलिए मुझे साडी बदल रही थी मेरे रूम मे, दरवाजा थोडा खुला ही था मुझे मालूम था के मेरे ससुरजी चुपकेसे मुझे देख रहे है, साडी बदलते हुए लेकिन मैने भी देखा अनदेखा किया। मेरे कंगन कुछ जादा ही बज रहेथे साडी बदल ते वक़्त इसलिए ससुरजी थोड़े उत्तेजित हो रहे थे। लेकिन जाने दो मुझे भी थोडी खुशी मिल रही थी कि कोयी तो मुझे छुपकेसे देख रहा है ससुरजी ही सही लेकिन कोयी तो देख रहा है।
बाबूजी वही सोफे पे बैठे थे, मुझे मालूम था के वो मेरी
हरकतों को देख रहे है। वो अपने धोती में छुपे हुवे बड़े नल को एडजस्ट कर रहे थे मुझे मालूम था के वो अब उत्तेजित हो गए है। रूम में काफी अंधेरा था, मुंबत्ती के उजाले में मै सब देख सकती थी।
फिर मैं ने साड़ी बदलना शुरू किया, मेरे कूल्हे इतने बड़े है के मै अपना टॉवल नही लपटे सकती, तो खैर. मै, दोनो याने बाबूजी और मेरे में १२ फीट का अंतर था, वो वोही सोफे पे बैठे बैठे मुझे देख रहे थे। मैने अपने ब्लाउज बटन निकाल ना शुरू किया, ब्लाउज तंग होने के कारण मैं बटन खोलने के लिए जोर लगा रही थी। अब मेरे स्तन ५०% तो बाहर आए हुवे थे। मेरी साड़ी नीचे जमीन पर थी, मेरा भरा हुआ पेट और गहरी नाभी शायद दिख ती होंगी बाबूजी को।
बाबुजी तो अब पूरे पागल हो रहे थे, वो बात बार अपने बड़ा नल को धोती में एडजेस्ट कर रहे थे। हां जी, में उनकी हरकतों को देख सकती थी लेकिन उनका चेहरा नही क्यो के रूम में काफी अंधेरा था।
अब मैंने ब्लाउज का आखिरी बटन खोला, और थोड़ी घूम गई बाबूजी के तरफ। यकीनन अब उनको मेरे स्तन और मेरे कूल्हे दिखते होंगे।
फिर मैने ब्लाउज लेके बाजू में फेका। मैने दूसरा ब्रा लिया, ये सब बहुत ही स्लो चल रहा था। अब लगभग 12.15 बज चुके थे। मैं थोड़ी और मूड गई बाबूजी के तरफ, साड़ी बदलते वक्त मेरे हातो की चूड़ियां बज रही थी।
साड़ी बदलते वक्त मैने कहा “तो बाबूजी कैसा रहा आज आप का दिन? आज शायद आप थक चुके होंगे, प्रॉपर्टी के काम में आज आप काफी व्यस्त थे”।
बाबूजी ने फिर एक बार अपने बड़े नल को धोती में एडजेट्स करते हुवे कहा “हा, बहु, आज कुछ जा दा ही काम था, लेकीन मै नही थका हु, अपने इस गांव की हवा भी तो अच्छी है।
मै ब्रा पर थी, फिर दूसरा ब्लाउज लिया और मैं ब्लाउज ही पहन रही थी धीरे-धीरे एक एक बटन आराम से लगा रही थी साथ ही में मै बाबूजी से इधर उधर की बाते कर रही थी।
हां जी, रूम में बिजली नही थी मुंबत्ती लगाई थी उसके उजाले मै ना मुझे बाबूजी का मुंह दिख रहा था और बाबूजी को मेरा मुंह देख रहा था।
अब मैने ब्लाउज का एक बटन लगाया, फिर भी मेरे स्तन ७८% बाहर थे, मेरे बड़े स्तनों का गोल्डन प्वाइंट तो दिख ने का कोई चांस ही नही था। फिर मैने दूसरा बटन लगाना शुरू किया।
मैने बाबूजी से कहा “बाबूजी सुनो, मुझे बड़ी चिंता होती है”
बाबूजी ने कहा “बहु किस बात की चिंता”
मैने कहा “बाबूजी, आज तू कल रात जैसे सोफे पे मत सोना यही मेरे साथ बेड पे सोना, वैसे भी हमारा बेड काफ़ी बड़ा है”
अब मैंने मेरी साड़ी लपेटना शुरू किया, मैं साड़ी पहने वक्त गोल घूम रही थी, ताके बाबूजी को मेरे बड़े कूल्हों के भी दर्शन हो।
मेरी गांड को देख बाबूजी ने फिर से अपने बड़े नल को धोती में अडजस्त करने लगे।
अब वो लास्ट पार्ट था, मैने साड़ी का पल्लू ऊपर लिया खुद को एडजस्ट किया और बाबूजी को बोली “बाबूजी, कैसा लगा, मजा आया”
बाबूजी एकदम चौक गए, मैने कहा “, हां जी, बाबूजी
कहो ना आप को मजा आया मुझे साड़ी पहनते देख कर”
फिर मैं बालकनी में चली गई।
बाबूजी अभी भी सोफे पे बैठ कर मेरे चलते वक्त उछल ने वाले कूल्हे देख रहे थे।
मैने कहा “अरे बाबूजी, आ जाओ आप भी बालकनी में”
फिर बाबूजी भी बालकनी में आगये।
मैने फिर से बाबूजी से पूछा “बाबूजी कहो ना कैसा लगा आप को, मजा आया क्या मुझे साड़ी बदलते देख कर”
मै तो घूंघट में थी बाबूजी के सामने,
मैने कहा “बाबूजी, मुझे आप से कुछ बात करनी है”
बाबूजी ने कहा “कहो बहु, क्या बात करनी है”
मैने कहा “बाबूजी, आप को याद है, कभी कभी आप के दोस्त या मेरे पति के दोस्त आते है तब मैं आप को कहती थी, के उनको चाय लेके जाओ”
बाबूजी ने कहा “हां बहु, मुझे मालूम है”
मैने कहा “बाबूजी आप के दोस्त और मेरे पति के दोस्त मुझे वासना की नजर से देखते है, लेकिन कोई बात नई”
बाबूजी ने कहा “ohh, बहु ये तुमने पहले क्यों नहीं बताया”
मैने कहा “बाबूजी, यह बात हम दोनो में ही रखो, हां जी और बाबूजी मैं सब जानती हु के आप मुझे कैसे वासना की नज़र से देखते हो, लेकिन कोई बात नही आप की वासना भरी नजर मुझे अच्छी लगती है”
बाबूजी ने खाली humm किया और कहा “बहु एक बात बताओ तुम खुश तो हो ना”
मैने कहा “बाबूजी अब मुद्दे पे आते है”
बाबूजी ने कहा “कोनसा मुद्दा है बहु, बताओ संकोच मत करो”
मैने कहा ” बाबूजी आप को क्या लगता है के मै खुश हु?
हां मैं खुश हु क्यों के हम रईस है, सब है हमारे पास, गाड़ी, बंगला सब लेकिन”
बाबूजी ने कहा “कहो बहु लेकिन क्या, संकोच मत करो, मै हमेशा तुम्हे खुश देखना चाहता हु”
मैने कहा “लेकिन बाबूजी मैं खुश नही हु”
बाबूजी ने कहा “कहो बहु, मै ऐसा क्या कर सकता हु ताके तुम खुश रहो”
मैने कहा “आप का बेटा”
बाबूजी ने कहा “बहु बताओ क्या दिक्कत है मेरे बेटे से”
मैने कहा “बाबूजी, आप को क्या लगता है के गाड़ी बंगले से सब खुश है, ऐसा नहीं तो असली खुशी एक पत्नि की तो बेडरूम में होती है”
बाबूजी ने कहा “कहो बहु लेकिन क्या, संकोच मत करो”
मैने कहा “बाबूजी, आप का बेटा तो मेरे साथ संभोग नही करता, अब उसमे वो संभोग सुख देनेकी शक्ति नही है। हां जी, बाबूजी मुझे सेक्स चाहिए, मुझे संभोग चाहिए, और मैं जानती हु के”
बाबूजी ने कहा “कहो बहु और क्या जानती हो तुम”
मैने कहा “मै जानती हु के आप सासू मां के साथ संभोग नही कर सकते, कई सालोसे अपने भी संभोग सुख नहीं लिया है, आप ने ना आप के पत्नी के साथ और तो किसी स्त्री के साथ आप ने संभोग सुख नहीं लिया है”।
बाबूजी खाली सुन रहे थे।
मैने कहा ” मैं जानती हु के आप मुझे कभी कबार वासना की नजर से देख ते हो, मुझे मालूम है आज जब मै आप के कमरे में आई तो आप किताब पढ़ने के बदले मुझे देख रहे थे।”
तभी बाबूजी थोड़े एक्साइट होके मेरे पीछे आए, और मेरे कूल्हों पे अपना हाथ घुमाने लगे, साथ ही अपना हाथ ऊपर लेके मेरे पेट से मेरी कमर पर घुमाने लगे, मेरे पेट पे हाथ घुमाते वक्त बाबूजी ने एक उंगली मेरी नाभी में घुसा दी।
“Ooouch” मेरे मुंह से आवाज निकली.
तभी बाबूजी अपना हात अंदर डाल के मेरे बड़े को दबाना शुरू किया. बाबूजी ने अब तो मेरे ब्लाउज में ही हाथ डाला, और जोर से मेरे नाजुक मम्मो को दबाया तभी “Ooouch”
हम अभी भी बालकनी में थे, सामने कुछ नही था खाली माउंटेन ही थे, और पूरा अंधेरा था तो कोई चिंता नहीं।
बाबूजी ने फिर से मेरे बड़े स्तनों को मेरे ब्लाउज में हाथ डाल के जोर से दबा रहे थे।
बाबूजी बोले “बहु, तुम बड़ी सुंदर हो”
मैने कहा “Ohh आप कुछ भी बोलते हो, मै तो थोड़ी मोटी और चुबी हु”
बाबूजी जादा ही उत्तेजित हो रहे थे, वो तो इतने मशरूफ थे मेरे पपाया जैसे बड़े स्तनों को दबाने में के वो तो भूल ही गए के उनका बड़ा नल अब जरा ही खड़ा हो के मेरे कुल्हों के दरारों में घुसने लगा। हां जी मैं बाबूजी का बड़ा नल मेरे कुल्हों में महसूस कर सकती थी। हम तो अभी भी कपड़ो पे ही थी। मै तो साड़ी में और बाबूजी धोती में थे।
बाबूजी का हाथ तो मेरे ब्लाउज के बाहर आने के लिए मान ही नहीं रहा था। बाबूजी तो मेरे बड़े स्तनों को मेरे ब्लाउज में हाथ डाल के जोर से दबा ते ही जा रहे थे, अब तो उन्होंने ने मेरी चूचियां
तब बाबूजी ने कहा “बहु, तुम तो मुझे बहुत अच्छी लगती हो, सब से प्यारी बहु है तुम मेरी”
मैने कहा “Ohh, तो ऐसा है क्या बानूजी”
बाबूजी को अब रहा नही गया उन्होंने मुझे तुरंत ही पकड़ के रूम में ले आगे।
बाबूजी ने कहा “बहु, तुम तो एकदम लाजवाब हो, एकदम मक्खन की तरह रसीली”
मैने कहा “ohh अच्छा जी, और कुछ कहना है”
बाबूजी ने जोर से मेरी साड़ी के पल्लू के अंदर हाथ डाल के मेरे स्तनों को दबाया।
“ooouch, थोड़ा धीरे बाबूजी” मै जोर से चिल्लाई
बाबूजी ने कहा “बहु, एक सवाल है”
मैने काहा “क्या बाबूजी”
बाबूजी ने कहा “बहु मुझे तुम्हारी साइज तो बताओ”
मैने कहा “ohh बाबूजी, अच्छा जी, ohh बाबूजी आप कुछ भी सवाल करते हो”
बाबूजी ने कहा “हां बहु, बताओ तुम्हारी फिगर क्या है, अब क्यों शर्माना”
मैने कहा “42-32-46, है”
बाबूजी ने कहा “बहु, ये सब मुझे नहीं समझता, तोड़ा विस्तार से बताओ”
मैने कहा ” हां जी, बाबूजी मेरी फिगर 42-32-46 है,
याने मेरे ये मोटे पपाया जैसे लटकते स्तन ४२, कमर ३२ और ये मेरा बड़ा पिछवाड़ा ४६ है”
बाबूजी ने कहा “अच्छा, बहु इतने मोटे बॉल है तेरे, तो तुम्हारी ब्रा का साइज क्या है”
मैने कहा “बाबूजी मै ३६E, का ब्रा पहनती हु याने डबल डी से भी बड़ा”
लेकिन बाबूजी ने कहा “मुझे तुम्हारी साइज गिननी है”
मैने कहा “बाबूजी रुको एक सेकंड, अरे बाबूजी जरा बालकनी का दरवाजा तो बंद करो”
बाबूजी ने तुरंत ही बालकनी का दरवाजा बंद किया।
मैने तुरत ही अलमारी खोली अंदर एक मीटर पट्टी थी, वो बाबूजी ने लेके मेरी साइज नापी और एकदम पागल हो गए।
मैने कहा “ohhh बाबूजी, हो गई तस्सली आप की, आप अब खुश हो अभी?”
यह सुन कर बाबूजी को रहा नही गया और वो मेरे मम्मे जोर जोर से दबाने लगे, साथ ही में मुझे बाजुवले सोफे पे खीच लिया।
मुझे सोफे पे खीच ते वक्त कहा “बहु, काफी टाइम से मुझे तुम्हे चोदनी की इच्छा थी, अब नही छोड़ूंगा तुमको”
अब तो बाबूजी एकदम पागल हो गए थे। उहोंने अपना लंड धोती के बाहर निकाला और मेरे हाथ में दिया।
“हाय दय्या, इतना मोटा लंड, बाबूजी ये तो आप की प्यारी बहु की चूत फाड़ देगा” मै ने कहा.
अभी तक हम नंगे नहीं हुए हैं.
बाबूजी ने कहा “बहु, सुचरिता पर एक बात बताऊँ, जब भी मुझे तुम्हारी ये कामुक कमर, ये तुम्हारी गहरी नाभी, उपजे ये तने हुवे बड़े स्तन और साथी ही में ये बाहर आया हुआ तुम्हारा पिछवाड़ा ये बड़ी गांड दिखती है, तो बहु सुचित्रा तो मेरा मन हमेशा तुम्हे चोदने का करता है।”
मैने कहा “Ohh आछा बाबूजी, और क्या लगता है”
बाबूजी ने कहा “हां, सुचरिता, बाहर आया हुआ तुम्हारा पिछवाड़ा ये बड़ी गांड, तो बहु तो मेरा मन हमेशा देख कर तो करता है के मैं तुम्हारी खुली जगह में, तुम्हारी गांड में मेरा सारा माल डाल दु”!
मैने कहा “अच्छा, बाबूजी”
बाबूजी ने मेरे स्तनों को जोर से दबाके मुझे चूम लिया, बल्के मेरे होटों में आपने होंट घुसा दिए।
मैने थोड़ा बाबूजी को धक्का देके दूर किया और कहा “ohh बाबूजी, आप के मुह से शराब की बदबु आरही है”
लेकीन अब तो बाबूजी मान ही नही रहे थे, वो तो उर भी उत्तेजीत हो गाये थे।
बाबूजी ने कहा “मैं तुमसे प्यार करता हूँ”
और मेरे स्तनों को चुम ते हुंवे नीचे आके मेरे पेट की नाभि को चाटना शुरू कर दिया।
अब वो कुछ जादा ही उत्तेजित हो रहे थे। मेरे ऊपर एकदम जानवरों की तरह चढ़ रहे थे।
मैने उनको कैसे तैसे संभाला और कहा, “बाबूजी, एक बात है”
बाबूजी ने कहा “कहो बहु क्या बात है”
मैने कहा “बाबूजी, ऐसे तो मैं आप को लगाने नही दूंगी”
बाबूजी ने कहा “याने मैं समझा नहीं”
मैने कहा “बाबूजी, पहले आप को मेरे से शादी करनी पड़ेगी, फिर हम सुहागरात मनाएंगे”
बाबूजी थोड़े चौक गए और ने कहा “बहु लेकिन”
मैने कहा “बाबूजी अरे डरो मत, ये शादी का सीक्रेट खाली हम दोनो में ही रहेगा, ताके मुझे भी पति सुख लेने मिलेगा”
फिर उस रात हमने कुछ नही किया।
बाबूजी और भी उत्तेजित होकर, मेरे कूल्हे दबाने लगे, स्तनों को दबाने लगे। मेरे गहरि नाभी में उंगली घुसाने लगे।
मैने बाबूजी का बड़ा नल हाथ में लिया था, मैने कहा
“बाबूजी, हाय रे मेरी किस्मत आप का ये बड़ा नल तो मेरी योनि और तंग गांड को पूरा फाड़ देगा”।
बाबूजी बड़े ऊंचे थे, वो तो ६ फीट के थे और मैं ५.४ थी। लेकिन हम एक हो रहे थे। बाबूजी ने मेरा ब्लाउज खोलना चालू किया लेकिन मैने उनको ब्लाउज खोलने का मौका नहीं दिया।
मैने कहा “बाबूजी ये सब बाद में करेंगे”
हाँ, फिर हमने उस रात कुछ नहीं किया।
फिर भी बाबूजी नहीं सुन रहे थे, आख़िरकार मैं उठ कर दीवार को सटक कर खड़ी हो गई। मैने अपनी साड़ी ऊपर उठाई, निक्कर थोड़ी नीचे लेली और बाबूजी को इशारा किया।
बाबूजी करीब आये, अपना मोटा नल धोती से बाहर निकाला, उन्हें लगा कि मैं उन्हें चूत चोदने दे रही हूँ। लेकिन मैंने ऐसा नहीं होने दिया।
हांजी, मैंने उसका मोटा नल अपने हाथ में ले लिया और अपनी पैरो की जांघों के बीच जोर से दबा लिया। उहोंने अपनी कमर आगे पीछे की और अपने मोटे लंड का वीर्य मेरी जाँघों के बीच छोड़ दिया।
फिर हम बिस्तर पर आये और आराम से सो गये।
हां जी फिर दूसरे दिन।
हम दूसरे दिन शनिवार को वापस जाने वाले थे लेकिन हमने और एक दिन रुकने का प्लान किया। दुसरे दिन मै और बाबूजी एकदम नॉर्मल थे।
बाबूजी भी बाहर गए थे। मैने कुछ पार्सल मंगाया था वो भी दोपहर को आगया। फिर मैने बाबूजी को बोल के ऊपर के कमरे का बेड खिड़की की बाजू में किया बेड थोड़ा वजनदार था इसलिए मैंने बुआ जी के नोकर को कहा था।
फिर शाम हुई और रात भी, आज भी हमने याने मैने और बाबूजी ने बुआ जी के घर जी खाना खाया। बाबूजी तो क्या बुआ जी के पति के साथ शराब तो पी ही रहे थे।
मैने कहा “अरे बाबूजी, हमारे घर के लाइट सब बंद है, और कब से हमारा घर बंद है”
यह कहते वक्त मैने बाबूजी को इशारा किया।
बाबूजी भी समझ गए। जाते जाते उन्होंने शराब का और एक पेग लिया, वैसे तो मुझे मालूम था के बाबूजी घर जाके फिर से शराब पियेंगे, घर पे भी उनका शराब का स्टॉक था।
खैर, तभी बुआ जी ने कहा “भाईजी आप आगे जाओ आप की बहु थोड़ी ही देर में आएगी, हमे थोड़ी बाते करनी है”
बाबूजी भी मुस्कराके चले गए।
थोड़ी ही देर में मैं भी घर आई, बाहर बारिश हो रही थी और मै बारिश में भीग चुकी थी।
मेरी हलचलों को साड़ी के बजने वाले कंगन ने बाबूजी का ध्यान खीच लिया, वो तो सोफे पे बैठ के टीवी देख रहे थे साथ ही में शराब भी पी रहे थे।
मैने बाबूजी को देखा न देखा किया, हां जी बानूजी मेरे तरफ कामुक वासना की नजर से देख रहे थे।
फिर मैने बाबूजी के तरफ देखा लेकिन जैसे मैने आप को बताया के मै हमेशा घूंघट लिए रहती हु।
तो खैर, फिर मैने बाबूजी के हाथ में एक छोटा पार्सल दे के कहा “बाबूजी, आप फ्रेश हो जाओ, और इस पार्सल में कुछ है वो पहन के ऊपर के आखरी कमरे में आओ, हां जी और एक बात ११.४५ को आना, आज रात हम शादी करेंगे १२ बजे का मुहरत है, तो आज से हम दोनो का एक नया जीवन शुरू होगा”
बाबूजी ने कहा “ठीक है बहु, और कोई इच्छा है तुम्हारी”
एक छोटे एनवलप में मैने एक चिट्ठी रखी थी, वो बाबूजी के हाथ में देके कहा “हांजी, ये चिठ्ठी है वो जरा पढ़ लेना, लेकिन तयार होने के बाद”
तो पार्सल और चिट्ठी लेके बाबूजी अपने कमरे में चले गए।
अब यहां मैने सब तयारी कर के रखी थी। रूम में कोने में कैंडल रखे थे, एक क्लासिकल कामुक आलाप म्यूजिक चालू रखा था। हां जी, मैने बेड को गुलाबो के फुलोसे सजाकर रखा था, हमारे बेड पर मच्छरदानी भी थी। बेड वैसे भी खिड़की को चिपका के रखा था। फिर मैने रूम के बीच एक पारदर्शी पर्दा भी लगाया था। इसी रूम में और एक छोटी रूम थी मैं अंदर ही सज रही थी।
पूरे रूम में अत्तर के परफ्यूम के वजह से अच्छी सुगंध महक रही थी।
अब बाबूजी भी रूम में आगये। बाबूजी पर्दे के उस्तरफ खड़े थे और मैं इस तरफ खड़ी थी।
बाबूजी ने इधर उधर देखा और कहा “वाह बहु, रूम तो बहुत ही अच्छा सजाया है तुमने, मेरे शादी के बाद के हनीमून में ऐसा कुछ नही था, बहुत ही बढ़िया सजाया है रूम तुमने बहु”
मैने कुछ नही कहा, मैने हाथ में शादी का हार लिया था, बाहर की ठंडी हवा का झोका रूम में आरहा था।
रूम के परदे हवा के झोके के वजह से हिल रहे थे।
तो खैर, तभी बाबूजी का ध्यान गया, पीछे बड़ा आइना था। बाबूजी ने कहा “ohh, वाह बहु रानी, लगता है आज तुम्हे अपनी चुदाई आईने में देख नी है”
मै वैसे ही परदे के इस तरफ खड़ी थी, मैने कुछ नही कहा।
हां जी, मैने लाल रंग का बड़ा सिल्क कपड़ा आपने कमर के नीचे लपेटा था, उसके फोल्ड सामने ही रखे थे। मैने वो कपड़ा कमर के नीचे ऐसा लपेटा था ताके मेरे उभरा हुआ पेट और गहरी नाभी दिख सके। ऊपर भी एक स्तनों पर एक लाल रंग का सिल्क कपड़ा लपेटा था, बल्के वो सिल्क ट्यूब ब्लाउज था, जिसकी गाँठ पीछे थी। इसमें भी मेरे उरोज काफी बाहर आए हुवे थे। अंदर ब्रा नही पहनी थी और इस लपेटे हुवे कपड़े में ब्रा पहन भी नही सकती। हाथ में चूड़ियां पहनी थी।
और हां जी, सिर से मैने एक बड़ी साड़ी घूंघट की तरह ली थी ।
मेरे उरोज तो लगभग 50% बाहर ही थे लेकिन
लेकिन ऊपर से हल्का सा दुप्पटा लिया था साथ ही में खाली साड़ी घूंघट जैसे लेने कारण थोड़े कामुक दिख रहे थे। हां जी मैने शादी का हार भी हात में लिया था।
वो सब सामान मैने पहले से ही तयार रखा था।
अब परदे के इस तरफ मै थी और उस्तराफ मेरे बाबूजी याने ससुर जी थे।
मैने कहा “बाबूजी, इतना क्या देख रहे हो, अब सब कुछ देख ना है आप को, हमारा शादी का मूहरत १२ बजे है, देखो जी मैने वहा बाजू में हार रखा है, वो लेलो”
बाबूजी ने तुरंत ही वो शादी का हार अपने हाथ में लिया।
फिर मैने कहा “बाबूजी अब मुझे देखना बंद करो, नही तो अपना शादी का मूहरत चला जायेगा”
बाजू में ही घड़ी रखी थी, अब 12 को 2 मिनट बाकी थे।
हम दोनो थोड़े आगे आगए। मै और बाबूजी एकदम शांत खड़े थे। घड़ी में १२ बजते ही मैने बीच का परदा गिरा दिया और फिर हम दोनों ने याने बाबूजी ने मेरे गलेमे और मैने बाबूजी के गलेमें हार पहनाया।
अब तो बाबूजी मेरी तरफ पागलों जैसे ऊपर से नीचे देख रहे थे, फिर वो पीछे जाके सोफे पे बैठ गए।
फिर बाबूजी ने कहा “सुचरिता, बहु जरा घूम के दिखा तो, देखू तो तुम कैसी दिख ती हो”
तब मैं उनके याने बाबूजी के सामने घूमी, अब तो वो मेरे बड़े नितंभ गांड देख कर पागल ही हो गए।
फिर मैं पीछे आके बेड पर बैठ गई, और कहा
“बाबूजी और कितना देखोगे, मुझे मालूम है आप को क्या चाहिए”
फिर बाबूजी मेरे पास आके बैठ गए, उन्होंने मेरा घूंघट ऊपर किया और मेरे माथे को चूमा।
बाबूजी ने मेरे माथे कि बिंदी और सिंदूर देख कर कहा
“सुचरिता, तुम तो एकदम अब मेरी पत्नी ही बनी हो”
अब बाबूजी ने मेरा घूंघट उठा के फिर से मुझे चूमा और फिर से मेरा घूंघट मेरे सिर पे ही रखा।
हां जी, मैने बाबूजी को जो चिट्ठी दी थी उसमे उस में यही लिखा था, के आप मेरा घूंघट नही उतारोगे, आप मुझे नंगी करो लेकिन साड़ी मेरे ऊपर ही रहेगी एक दुप्पटे जैसी।
बाबूजी के एक हाथ मेरे बड़े स्तनों पे लेके मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया। अब धीरे धीरे बाबूजी ने अपना एक हात मेरे नीचे लपेटे हुवे कपड़े के अंदर डालके मेरी योनि को सहलाने लगे, मेरी फुद्दी में अपनी उंगली डालने लगे।
हां जी, मैने निकर नही पहनी थी, बाबूजी की उंगलियां मेरे फुद्दी में जाते ही मैं कामुकता से मचलने लगी।
फिर बाबूजी को रहा नही गया, उन्होंने अपना हाथ जोर से मेरे सीने पर लेके एक झटका देके मेरा दुप्पटा जो मैने अपने स्तनों पे बंधा था उसको खीच के निकाल दिया।
जैसे ही उनका झटका लगा, मेरा दुप्पटा पूरा निकल गया
और मेरे पपाया जैसे बड़े स्तन बाहर आके झूलने लगे।
अब तो बाबूजी ने मेरे नंगे स्तनों को पूरी तरह से दबाना, शुरू किया, साथ ही में मेरे स्तनों की चुचियों को आपनी उंगलियों से खेलने लगे, हल्की हल्की उंगलियां घुमाके
मेरे चुचियों को सहलाने लगे।
फिर अचानक अपनी उंगलियों से मेरे नाजुक चुचियों को जोरोसे चुटकी करने लगे, “Ouuch, ohh बाबूजी चिमटी मत करो मेरी नाजुक कमसिन चुचियों को, दुख ता है”
अब तो बाबूजी को रहा नही गया, उन्होंने आपनी उंगलियों में मेरे स्तनों की चूचियां लेके जोर से खींचा।
“Ouuuchhhh” मैं चिल्लाई।
फिर बाबूजी अपने होंट मेरे स्तनों की चुचियों पे लेके मेरी चुचियों को प्यार से चाटने लगे, वो थोड़ी वैसे ही कर रहे थे फिर अचानक मेरी चुचियों को अपने दातों से काटा।
“Ouuuchhhh” मैं फिर से चिल्लाई।
“Ouuuchhhh, बाबूजी प्लीज जरा धीरे”
अब तो बाबूजी और भी कामवासना से उत्तेजित होकर आक्रामक बन गए, उहोंने मुझे उलटा घुमाया, मेरी गांड अपने तरफ खीची, मै समझ गई के अब बाबूजी को मेरी चूतड चुदाई करनी है।
तभी मैं सीधी हुई और इनकार किया और कहा “बाबूजी, आज तो अपनी सुहागरात है, पहले आप मेरी इस तंग योनी का उद्घाटन करो अपने बड़े लंबे मोटे नल से।
अब तो बाबूजी और भी उत्तेजित हो गए,
बाबूजी अब मेरे ऊपर चढ़ गए उसका दुपट्टा तो निकला हुआ ही था अब तो उन्होंने मेरे नीचे पहना हुआ कपड़ा भी उतार दिया और मुझे पूरी नंगी कर दी।
हां जी, लेकिन मैने मेरे ऊपर साड़ी कवर की थी, खाली साड़ी ऊपर से थी।
तभी बाबूजी ने अपनी स्लिकी लूंगी ऊपर की और अपना बड़ा नल निकाल कर मेरी फुद्दी पर रखा। लेकिन मैं थोड़ी चुबि, मोटी होने के कारण वो फिसल गया।
बाबूजी को तो चुदाई का अनुभव था, उन्होंने तुरंत ही मेरे दोनो पैर उठाए और आपने कंधों पे लेके फिर से अपना बड़ा नल निकाल कर मेरी फुद्दी पर रखा।
एक पहला जोर का झटका दिया। मै चिल्लाई “Ooouch”
अब तो बाबूजी ने अपना चुदाई का इंजन शुरू किया,
मै चिल्लाने लगी “बाबूजी, आआओहह जरा धीरे प्लीज आआऊऊऊ, ohh बाबूजी जरा आराम से चोदो मुझे”
बाबूजी ने एक जोर का झटका दिया और उनका मोटा जाड़ा नल मेरी फुद्दी में आधे से जादा घुस गया।
मै जोर से चिल्लाई “ohh, बाबूजी जरा धीरे, प्लीज आराम से चोदो मुझे”
लेकिन बाबूजी कहा सुन रहे थे, वो तो मेरे एकदम चुदाई में इतने मशरूफ थे के मेरे चिल्लाने कोई असर ही नहीं हो रहा था उनपे।
मुझे चोद ते वक्त बाबूजी ने कहा “बहु, अभी तो मेरा आधा ही लंड घुसा है तेरी चूत में”
मै तो कामुक आवाज से चिल्ला रही थी “ऊऊह्ह्ह प्ला धीरे धीरे आआ प्लीज़ तकलीफ हो रही है, बाबूजी”
अब तो बाबूजी पूरे ही जानवर बन चुके थे।
बाबूजी में एक जोर का झटका दिया “ohhh, बाबूजी मै मर गई” मै फिर से चिल्लाई। अब उनका नल आधे से जादा घुस चुका था।
बाहर बारिश हो रही रही थी। बेड की बाजू की खिड़की खुली थी बाहर का बारिश का थोड़ा पानी अंदर आरहा था हमारे बेड पे, हम दोनो भीग रहे थे, लेकिन बाबूजी की चुदाई इतने जोरोसे चल रही थी के हम भीग रहे थे उसका पता भी नहीं चल रहा था।
लेकिन इस चुदाई में मुझे बड़ा मजा आरहा था।
बाबूजी का बडा लंबा नल अब मेरी फुद्दी अच्छा खासा घुस गया था, उनके झटके बढ़ रहे थे, ऊपर से बाबूजी मेरे बड़े स्तनों को जोर जोर से दबा रहते। हां जी, वो मेरे स्तनों को सबके निचोड़ रहे थे, मेरी चूचियों को काट रहे थे।
मै भी निचेसे मेरी कमर, कूल्हे उठा के बाबूजी को चुदाई में साथ दे रही थी। हम दोनो का स्पीड बढ़ रहा था।
मै बाबूजी के बड़े मोटे नल से परेशान थी, मुझे दर्द हो रहा था लेकिन इस चुदाई में एक अलग ही आनंद मिल रहा था, हां जी, एक बुड्ढे से चूत चुदाई का मजा ही कुछ अलग है।
तभी बाबूजी बोले “बहु, देख तो मेरे लंड और तेरी चूत कैसे आवाज कर रही है, जैसे के वे आपस में बात कर रहे है”
मैने कहा “बाबूजी, हां जी, आऊउउ पचाक पचाक-पचाक-पचाक ये तो हमारे मिलन की आवाज है, मेरी कोमल योनि आप का बड़ा मोटा लंबा नल लेने के लिए और आपका पवित्र वीर्य लेनेकेलिये बेताब है”
बाबूजी और भी उत्तेजित हो के जोर से चोद रहे थे।
मैने कहा “Ohhh, बाबूजी लगता है आज आप मेरी नाजुक योनि फाड़ ही दोगे, प्लीज थोड़ा होले होले धीरे धीरे. “
बाबूजी ने कहा “बहु, तूने कल जो मुझे तरसाया है ये उसका नतीजा है”
हमारी ठुकाई जोरोसे हो रहि थी।
बाहुजी भी अपनी कमर आगेपीछे करके जोर दार झटके दे रहे थे और मैं अपने कूल्हे उठा के उनके झटको का साथ दे रही थी।
तभी बाबूजी ने झटके और तेज बढ़ाए और कहा “Ohhh, बहु, मेरा पानी निकलने वाला है”
मैने भी बाबूजी के कूल्हे पीछे से पकड़े और कहा
“Ohh, बाबूजी डालो आप का पानी मेरी इस नाजुक तंग योनी में”
बाबूजी ने वीर्य मेरी फुद्दी में छोड़ दिया और कहा
“बहु, लेकिन तूने तो मेरी इच्छा अब तक पूरी नहीं की”
तब मैंने कहा “बाबूजी, आप चिंता ना करो, आप की मेरी गांड चुदवाने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी, अभी तो पूरी रात बाकी है”
अब तो रात के १ ही बजे थे।
लेकिन इस चुदाई में मैने अभी भी घूंघट ही लिया था, बाकी पूरी नंगी थी मैं। हां जी, हमारे गले में अभी भी शादी का हार था।
करीब 4 बजे हम दो नो की नींद खुली।
हां जी, जैसे के मैने आप को कहा,
मैने अभी भी घूंघट ही लिया था, बाकी पूरी नंगी थी मैं। हां जी, हमारे गले में अभी भी शादी का हार था।
हां जी, करीब 4 बजे हम दो नो की नींद खुली।
मैने कहा “बाबूजी थोड़ी चाय पियोगे?”
मै वैसे ही साड़ी लपेट के गई और चाय बनाके लेके आई फिर हमने चाय पी।
लेकिन हमारे गले में अभी भी शादी का हार था,
अब मैं उठ कर उलटी अपने घुटनो पर खड़ी हो गई अपना हात थिदकी के दीवार पर रख कर बाबूजी को इशारा किया। हां जी मै अभी भी घूंघट में ही थी।
बाबूजी भी तुरंत आगये, हम दोनो मुंह भर खिड़की के तरफ था। बाबूजी मेरे पीछे थे उन्होंने आपनी सिल्क लुंगी उठाई और मैने जो साड़ी खाली मेरे ऊपर ली थी उसको नीचे से बाजू में सरकाया। लुंगी उठाई लेकिन हम पूरे नंगे नहीं थे, हां जी।
बाबूजी ने अपना मोटा लंबा नल मेरे कुल्हों पर गांड के छेद पर रखा और मेरी गांड में अपना मोटा नल घुसाना शुरू किया।
लेकिन बाबूजी का मोटा नल नहीं जा रहा था। कैसे जाता मेरी गांड इतनी टाइट थी।
तब मैंने कहा “बाबूजी, आउच नहीं जा रहा है आप का” बाबूजी ने अपने लंड को थूक लगाया और मेरी गांड को ऊपर करके मेरी गांड की चूतड फैला कर गांड में थूके।
हां जी, बाबूजी ने मेरी गांड को आपनी थूक से चिपचिपा कर दिया। फिर अचानक जोर का झटका देके अपना बड़ा लंबा नल मेरी गांड में पेल दिया।
मै जोर से चिल्लाई “माँ ऊह्ह्ह! बाबूजी, घुस गया आपका मेरी गांड में, क्या गांड फाड़ दोगे आज मेरी, ओह्ह बाबूजी”
बाबूजी ने कहा “बहू, हां आज मैं तो तेरी गांड फाड़ दूंगा” बाबूजी एक तरफ अपने मोटे लंबे नल से मेरी गांड की चुदाई कर रहे थे और दूसरे तरफ मेरे पीछे से हात डालके मेरे बड़े पपाया जैसे लटकते हुवे स्तनों को दबा रहे थे।
मै चिल्ला रही थी “बाबूजी, ऊह्ह्ह्ह! मुझे दर्द थोड़ा आराम से, मर जाउगी मै, प्लीज धीरे धीरे, थोड़े होल्ले होल्ले” लेकिन बाबूजी कहा सुन रहे थे वो तो एक तरफ मेरी गांड की चुदाई कर रहे थे और दूसरी तरफ मेरे पीछे से हात डालके मेरे बड़े स्तनों को दबा रहे थे।
तभी बाबूजी ने अपना मुंह आगे लेके मेरे होठों को चूमने की कोशिश की, लेकिन मैंने उनको पीछे हटाया। मैंने उनसे वादा लिया था कि आप मेरी चुदाई घूंघट में करोगे, मैं मेरा घूंघट नहीं निकालूंगी। मैं तो कामुक आवाज से सिसकियां चिल्ला रही थी “बाबूजी, आऊच प्लीज दर्द हो रहा है” लेकिन मैं जितना चिल्ला रही थी बाबूजी भी उतने ही उत्तेजित हो कर मेरी तंग गांड जोर जोर से चोद रहे थे।
हां जी, बाबूजी तो एकदम शैतान बन गए थे।
अब बाबूजी मुझे जोर जोर से झटके देने लगे, वो हाफ रहे थे, उनकी सासे मै महसुस कर सकती थी, बलके मै भी हाफ रही थी।
हम दोनों में याने मेरे हमारे बाबूजी के बीच में घमासान चुदाई हो रही थी, हमारि चुदाई की स्पीड बढ़ गई थी।
मै अभी भी खुद खिड़की को पकड़े हुए थे, बाहर सामने तो सब पहाड़ और अँधेरा भी था, हमारे रूम की मुंबत्तीयां बुझ गई थी इसलिए रूम में भी पूरा अँधेरा था, बाहर से कोई देख ने का सवाल ही नहीं आता।
मै समझ गई के हम दोनो अब आखिरी क्लाइमेक्स में थे, आखिरी मकाम पे आये।
तभी बाबूजी ने अपनी कमर हिला के एक जोर का झटका दिया, उन्होंने अपने शरीर का वजन पूरा मेरे ऊपर डाल दिया।
एक आखिरी बार मैं जोर से चिल्लाई “ऊउच” मै समझ गई के बाबूजी ने जोर से एक झटका दे के अपने बड़े लंबे नल का पूरा वीर्य मेरे गांड में, चूतड ने डाल दिया।
मै बाबूजी का चिपचिपा गाढ़ा गरम वीर्य मेरे गांड में अंदर महसुस कर रही थी “ओह बाबूजी! हो गई आपकी मेरी गांड मारने की इच्छा पूरी। आप का ये मोटा लंबा नल तो मेरी गांड में बहुत ही अच्छा लग रहा है, ऊऊ आआ मजा आ रहा है आपके इस मोटे नल का गरम पानी, गाढ़ा वीर्य मेरे गांड में लेके” मैने कहा।
बाबूजी काफ़ी थक गए थे, वो कुछ नहीं बोल रहे थे “ओह बाबूजी आप ने तो मेरी गांड एकदम पानी-पानी से चिप चिपी कर डाली!”
मैंने कहा बाबूजी ने कहा “बहू, मजा आया, आज काई सालो के साथ ये चुदाई का मौका मिला” मैंने कहा “बाबूजी, चलो हटो, अब क्या हो गा मालूम है आप को?”
बाबूजी ने कहा “बहू, कही अब क्या होगा”
मैने कहा “एक तो मेरी ये गांड बड़ी ऊपर से, आपने जिस तरिके से मेरी गांड की चुदाई की है, हां जी, उसके तरिके से मेरी गांड चोदी है, बाबूजी, कल देखना मेरी गांड चलेगी” वक्त कितना हिलने लगेगी”
बाबूजी ने कहा ”ओह, अच्छा बहू”
मैंने कहा ”हां जी, बाबूजी! आपको मालू है जब बड़ा नल किसी स्त्री के गांड में घुस जाता है, हमारी भी ढीली हो के चलते वक्त ज्यादा हिलता है।”
बाबूजी ने कहा “बहू, अच्छा तो फिर क्या होगा”
मैंने कहा “ओह, बाबूजी! अब तो मुझे साड़ी का पलू पीछे से नीचे लेके इस बड़ी गांड को छुपाके चलना पड़े गा नहीं तो ये जालिम दुनिया चलते वक्त हिलती हुई मेरी गांड देखेगी”
फिर दूसरे दिन हम ने याने मैंने हमारे बाबूजी ने साथ में नहा लिया, नहाते वक्त बाबूजी ने फिर से एक बार मेरी गांड की चुदाई की।
मेरी भी इच्छा थी एक बार फिर से चूत की चुदाई करवा लूं बाबूजी से। हां जी, तो बाबूजी ने भी जाने से पहले फिर से मेरी नाजुक कोमल योनि की चुदाई की।
हांजी, उस रात हमारी शादी बहुत अच्छी रही, और हाँ मैं आईने में देख सकती थी कि बाबूजी मुझे कैसे चोद रहे थे। हमारी चुदाई आईने के सामने चल रही थी. वैसे भी, सेक्स के दौरान बाबूजी के मुँह से शराब की बदबू आ रही थी, खैर, लेकिन कोई बात नहीं, मुझे भी बहुत मज़ा आया।
फिर दोपहर को हम वहां से चले गए उस रात से अब तक बाबूजी मुझे चोद ही रहे हैं, अब तो मैं बाबूजी से ही मेरी गांड और चूत चुदवा लेती हु।
इस तरह से हमने हमने याने मै एक संस्कारी बहु और हमारे बाबूजी याने मेरे सासूजी ने हमारी पहली घूंघट सुहाग रात मनाई।
हांजी।
वैसे भी मुझे सेक्स चाहिए, पर मैं कई सालों से सेक्स के लिए भूखी हूँ। मेरे बाबूजी याने मेरे ससुरजी भी अब नही रहे, मेरे पति भी गुजर गए। अब तो मैं अपनी चूत और गांड चुदाई के लिए बेकरार हु।
मुझसे संपर्क करो, क्या तुम मुझसे संपर्क करोगे?
हां जी, ये संस्कारी स्त्री आप को मिलने के लिए बेकरार है।
मैं तुम्हें अपनी टाइट फुद्दी और टाइट गांड दूँगी। हाँ, तुम मेरी टाइट फुद्दी और टाइट गांड की खूब जितना आप का मान चाहे जोरों से चुदाई सकते हो। मै मेरी फुद्दी और गांड में आपका बड़ा मोटा लंड लेना चाहती हू। हां जी, आओ चलो सेक्स संभोग का भरपूर मज़ा लेते हैं!!!
क्या आप मुझसे संपर्क करोगे, आप मुझसे संपर्क करोगे ना? मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगी!!!
आपकी कोमल मॉम ( . Y . )
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